Saturday, October 12, 2024
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‘अगर मजदूरों को पैसा देंगे तो उनकी आदत खराब हो जाएगी, सरकार के लोगों ने कहा’ – एक लाइन में राहुल के 2 झूठ

राहुल गाँधी ने बताया कि सरकार के किसी व्यक्ति ने उनसे कहा कि इस वक्त चीन के मुकाबले भारत के सामने काफी मौका है। ऐसे में अगर सरकार मजदूरों को पैसा देगी तो उनकी आदत खराब हो जाएगी और वो गाँव से काम पर नहीं आएँगे। इसीलिए सरकार ने...

राहुल गाँधी ने बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर आज (4 जून, 2020) बातचीत की। इसमें उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था और श्रमिकों को लेकर अपनी चिंताएँ व्यक्त कीं।

बातचीत की शुरुआत में कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने राजीव बजाज से पूछा- “किसी ने सोचा नहीं होगा कि दुनिया इस तरह लॉक हो जाएगी, विश्व युद्ध में भी ऐसा नहीं हुआ?”

इस पर राजीव बजाज ने जवाब में कहा कि जापान, सिंगापुर में उनके दोस्त हैं, इसके अलावा दुनिया के कई देशों में भी उनकी बात होती है। इसके बाद बजाज ने कहा कि भारत में एक तरह का ‘ड्रैकोनियन लॉकडाउन’ है, ऐसा लॉकडाउन कहीं पर भी नहीं हुआ है। दुनिया के कई देशों में बाहर निकलने की अनुमति थी, लेकिन हमारे यहाँ स्थिति अलग रही।”

उन्होंने कहा- ”हमने कठिन लॉकडाउन लागू करने की कोशिश की, जो अभी भी कमजोर था। हम दोनों विकल्पों के बुरे परिणामों के बीच फँस गए। एक तरफ कमजोर लॉकडाउन यह सुनिश्चित करता है कि वायरस अभी भी मौजूद रहेगा। सरकार ने उस समस्या को हल नहीं किया है।”

मजदूर पर राहुल गाँधी का झूठ

प्रवासियों के घर लौटने के विषय पर राहुल गाँधी ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि सरकार लोगों के हाथ में पैसा क्यों नहीं दे रही है। उनका मानना है कि अभी राजनीति को भूल लोगों को पैसे देने की जरूरत है। राहुल गाँधी ने बताया कि सरकार के किसी व्यक्ति ने उनसे कहा कि इस वक्त चीन के मुकाबले भारत के सामने काफी मौका है। ऐसे में अगर सरकार मजदूरों को पैसा देगी तो उनकी आदत खराब हो जाएगी और वो गाँव से काम पर नहीं आएँगे।

राहुल गाँधी निरंतर यही बात मीडिया के सामने रखते नजर आ रहे हैं कि सरकार को प्रवासियों को रुपए देने चाहिए। आज की बातचीत में भी वो यह कहते देखे गए हैं कि सरकार के लोगों ने उन्हें पैसा नहीं देने के पीछे कारण गिनाए हैं।

जबकि राहुल गाँधी के बयान से हटकर अगर वास्तविकता को देखा जाए तो सरकार ने श्रमिकों को सीधे उनके खातों में रुपए ट्रांसफर किए हैं। साथ ही, अर्थव्यवस्था और हर छोटे-बड़े उद्योग के लिए आत्मनिर्भर भारत के तहत बड़े आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की है। ऐसे में, जब सरकार ने यह किया है, तो फिर राहुल गाँधी को उन्हें ऐसा ना करने का स्पष्टीकरण देने का कोई कारण शेष नहीं रहता है।

इसका सीधा सा अर्थ है कि राहुल गाँधी द्वारा किए गए दोनों दावे एकदम झूठे और बेबुनियाद हैं। पहला दावा जो उनका झूठा है वो यह कि सरकार ने श्रमिकों को रुपए नहीं दिए हैं। और दूसरा यह कि ‘सरकार के लोगों ने’ उन्हें इस बारे में स्पष्टीकरण दिया है।

इस बातचीत के दौरान राहुल गाँधी ने अपने साथी वक्ता को लेकर दिलचस्प वाकया सुनाया। उनके अनुसार जब उन्होंने लोगों को बताया कि राजीव बजाज अर्थव्यवस्था के बारे में बात करने वाले हैं तो सबने कहा कि वाकई में उनमें (राजीव बजाज) में दम है।

स्वीडन की नीतियों का फिर किया जिक्र, जबकि कुछ और ही है हकीक़त

राहुल गाँधी ने कहा,

“हमारी स्थिति को देखते हुए, यह पूरी तरह से अलग है। हमारे पास प्रवासी और दैनिक मजदूर हैं। किसी कारण से, हम पश्चिम की ओर देखते हैं तो, मेरे लिए दिलचस्प सवाल यह है कि हम अपने समाधान के लिए अपने भीतर क्यों नहीं देखते हैं?”

आसमानी दावे करने के शौक़ीन राहुल गाँधी ने आज एक बार फिर यह बात भी दोहराई कि COVID-19 के कारण जारी लॉकडाउन को लेकर भारत बीच में फँस गया है और हमें स्वीडन की तरह नीति अपनानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि वहाँ पर नियमों का पालन हो रहा है, लेकिन लोगों के लिए जीवन को मुश्किल नहीं बनाया जा रहा है।

जबकि इसके उलट वास्तविकता यह है कि स्वीडन की ‘नो-लॉकडाउन नीति’ बनाने वाले वैज्ञानिकों ने खुद यह तथ्य स्वीकार किया है कि स्वीडन की लॉकडाउन की नीति असफल रही और यह और ज्यादा कठोर होनी चाहिए थी।

स्वीडन के वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है कि पूर्ण लॉकडाउन ना करने के स्वीडन के विवादास्पद फैसले को यदि सख्त बनाया जाता तो कोरोनोवायरस से होने वाली मौतों में वृद्धि को रोका जा सकता था। स्वीडन में अपने पड़ोसी देशों की तुलना में अधिक मौतें दर्ज की गई हैं।

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान राहुल गाँधी ने इससे पहले RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से भी चर्चा की थी। उन्होंने इन बातचीत में प्रवासियों को लेकर चिंताएँ व्यक्त की हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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