Thursday, November 7, 2024
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10 साल की जेल और हजारों से लेकर लाखों का जुर्माना: कर्नाटक में पेश होगा धर्मांतरण विरोधी बिल, जानें ड्राफ्ट की खास बातें

कर्नाटक के धर्मांतरण विरोधी बिल में गैरकानूनी रूप से वयस्क व्यक्ति का धर्मांतरण कराने के दोषी व्यक्ति को 3 साल से लेकर 5 साल तक की सजा और 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। वहीं किसी नाबालिग, महिला या एससी और एसटी वर्ग के लोगों का गैरकानूनी रूप से...

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम और हिमाचल प्रदेश के बाद अब कर्नाटक सरकार भी धर्मांतरण के खिलाफ सख्ती करने जा रही है। बता दें कि कर्नाटक सरकार विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी बिल (Karnataka Anti Conversion Bill) पेश करने वाली है। इसका ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और इसके तहत कर्नाटक में धर्मांतरण कराने पर 3 से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। साथ ही धर्मांतरण के आरोपित पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकेगा।

जानिए क्या है बिल में

मौजूदा ड्राफ्ट के अनुसार, कर्नाटक के धर्मांतरण विरोधी बिल में गैरकानूनी रूप से वयस्क व्यक्ति का धर्मांतरण कराने के दोषी व्यक्ति को 3 साल से लेकर 5 साल तक की सजा और 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। वहीं किसी नाबालिग, महिला या एससी और एसटी वर्ग के लोगों का गैरकानूनी रूप से धर्मांतरण के दोषी व्यक्ति को 3 साल से लेकर 10 साल तक की सजा और 50 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। 

सजा का प्रावधान

इसके अलावा बड़ी संख्या में एक साथ लोगों का धर्मांतरण गैरकानूनी रूप से कराने वाले व्यक्ति को 3 साल से लेकर 10 साल तक सजा का प्रावधान है और उस पर एक लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं कोर्ट के आदेश के बाद दोषी व्यक्ति को पीड़ित को 5 लाख रुपए तक का हर्जाना भी देना पड़ सकता है। हालाँकि, विधानसभा में पेश होने के बाद इस पर चर्चा होगी और इसमें कुछ बदलाव भी हो सकते हैं।

धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले देनी होगी सूचना

नए बिल के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसकी प्रक्रिया भी थोड़ी लंबी की गई है। सबसे पहले धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले जिलाधिकारी को सूचित करना होगा। इसके बाद जिलाधिकारी इसकी जाँच कराएँगे और जाँच के बाद सब कुछ ठीक होने पर अपनी सहमति देंगे।  इसके बाद व्यक्ति को धर्मांतरण के बाद 30 दिन के भीतर डिक्लेरेशन भी देना होगा। प्रस्तावित कानून में आगे कहा गया है कि कोई भी संस्था या संगठन यदि उल्लंघन करता है, उसे भी सज़ा दी जाएगी।

पीड़ितों के लिए मुआवजे का प्रवधान

प्रस्तावित कानून में कहा गया है कि आरोपित शख्स को पीड़ित को पाँच लाख रुपए तक का मुआवजा देना पड़ सकता है। वहीं अवैध धर्मांतरण के एकमात्र उद्देश्य के लिए किए गए विवाह के मामले में, विवाह को पारिवारिक न्यायालय द्वारा अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। यदि कोई पारिवारिक न्यायालय नहीं हैं, तो ऐसे मामलों की सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र वाला न्यायालय भी ऐसे विवाहों को अमान्य घोषित कर सकता है। बता दें कि इसे गैर-जमानती कैटेगरी में रखा गया है।

पीड़ित के रिश्तेदार दर्ज करा सकते हैं FIR

प्रस्तावित कानून के तहत, कोई भी पीड़ित व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई, बहन, या कोई अन्य व्यक्ति, जिनका खून का रिश्ता हो वो ऐसे धर्मांतरण की FIR दर्ज करा सकता है, जो धारा-3 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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