चेन्नई की विशेष अदालत ने पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को राहत देने से इनकार कर दिया है। कार्ति और उनकी पत्नी श्रीनिधि ने चेन्नई में ‘सांसदों एवं विधायकों के लिए विशेष अदालत’ में याचिका दायर कर के उन्हें इनकम टैक्स विभाग की जाँच में राहत दिलाने की अपील की थी। वित्तीय वर्ष 2015-16 में जूनियर चिदंबरम दम्पति ने अपनी कुल आय छिपाई थी और टैक्स देने से बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए थे। मुत्तुकादु में एक ज़मीन की बिक्री के बाद कार्ति को 6.38 करोड़ रुपए और उनकी पत्नी श्रीनिधि को 1.35 करोड़ रुपए कैश में प्राप्त हुए थे।
चेन्नई की स्पेशल कोर्ट ने जूनियर चिदंबरम दम्पति के ख़िलाफ़ चल रही इनकम टैक्स विभाग की जाँच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस आदेश के साथ ही आईटी डिपार्टमेंट अपनी जाँच जारी रखेगा और दोषी पाए जाने पर कार्ति व श्रीनिधि के ख़िलाफ़ कार्रवाई का रास्ता साफ़ हो जाएगा। ये मामला ‘एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड’ से जुड़ा है। आईटी विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तलाशी के दौरान कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त किया था। उन उपकरणों और उनसे मिले डेटा को दोनों जाँच एजेंसियों ने कोर्ट में पेश किया था।
A special court in Chennai dismisses pleas moved by Congress leader Karti Chidambaram and his wife seeking to discharge them from prosecution initiated by the Income Tax Department for alleged non-disclosure of income of over Rs 7 crores for the financial year 2015-16. (file pic) pic.twitter.com/D4cde0a3V6
— ANI (@ANI) January 7, 2020
कॉन्ग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम के पिता पी चिदंबरम हाल ही में साढ़े तीन महीने से भी अधिक जेल में समय बिता कर बाहर निकले हैं। तिहाड़ में उनसे मिलने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से लेकर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी तक पहुँचे थे। कार्ति और उनकी पत्नी के ख़िलाफ़ सितम्बर 2018 में मामला दर्ज किया गया था। इस मामले को विशेष अदालत को स्थान्तरित कर दिया गया था। अभी इस मामले में ट्रायल चल रही है। कुल मिला कर ये मामला 7.73 करोड़ रुपए का है। कार्ति आईएनएक्स मीडिया केस और एयरसेल-मैक्सिस केस में भी अपने पिता के साथ आरोपित हैं।
कई मामलों में कोर्ट की कार्यवाही का सामना कर रहे कार्ति जेएनयू और सीएए पर मोदी सरकार को घेरने में जुटे हुए हैं। उन्होंने जेएनयू में वामपंथी गुंडों की हिंसा के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए इसकी तुलना 1938 के नाजी अत्याचार से की, जिसमें यहूदियों का नरसंहार किया गया था। ‘क्रिस्टल नाईट ऑफ ब्रोकन ग्लास’ प्रोग्राम में क़रीब 100 यहूदियों को मार डाला गया था। कार्ति ने आरोप लगाया कि पूरी दुनिया में फासिस्ट और तानाशाही ताक़तें दक्षिणपंथी संगठनों के माध्यम से अपने आलोचकों पर अत्याचार करती है।
उन्होंने दावा किया कि जेएनयू में हिंसा करने वाले नकाबपोश भाजपा द्वारा भेजे गए थे। उन्होंने कहा कि जो लोग भाजपा का समर्थन कर रहे हैं, उन्हें वास्तविकता का भान नहीं है। उन्होंने ‘सरकार समर्थिक गुंडों’ द्वारा आतंक फैलाने जाने का दावा किया। बता दें कि जेएनयू हिंसा में वामपंथी गुंडों का हाथ होने के कई वीडियो और फोटोज सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं, बावजूद इसके कई वामपंथी व विपक्षी नेता उन्हें बचाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
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