Friday, April 26, 2024
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कॉन्ग्रेस में खालिस्तान समर्थक सिंगर मूसेवाला: सिद्धू ने बताया ‘यूथ आइकॉन’, कैप्टन सरकार में हुआ था आर्म्स एक्ट का केस

किसान आंदोलन के दौरान सिद्धू मूसेवाला जैसे सिंगरों ने खालिस्तानी विचारधारा को हवा देने में अहम भूमिका निभाई थी। किसान आंदोलन के दौरान सिद्धू मूसेवाला ने एक गाना गाया था, जिसके जरिए उसने आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले की तारीफ की थी।

खालिस्तान से हमदर्दी रखने वाले विवादित पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला अब राजनीति करेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की मौजूदगी में मूसेवाला शुक्रवार (3 दिसंबर) को कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी में शामिल होने के बाद मूसेवाला ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि वह ‘पंजाबियों की आवाज उठाने’ के लिए राजनीति में आए हैं।

सिद्धू मूसेवाला का असली नाम शुभदीप सिंह सिद्धू है और वह मानसा जिले के मूसा गाँव के रहने वाले हैं। मूसेवाला पर अपने गानों में हिंसा और बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री रहने के दौरान मूसेवाला पर आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। इतना ही नहीं, कोरोना महामारी के दौरान फायरिंग रेंज में एके-47 से फायरिंग करते हुए उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। इसके बाद मूसेवाला को एक अन्य मामले में आरोपित किया गया था। 

ध्यान रहे कि ये वहीं सिद्धू मूसेवाला वही शख्स हैं, जिन्होंने किसानों के उस विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया था, जिसके कारण हिंसा की कई घटनाएँ हुई थीं। मूसेवाला खालिस्तान समर्थक और खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के प्रशंसक हैं।

‘किसानों विरोध’ का खालिस्तानी चेहरा गणतंत्र दिवस पर उस वक्त खुलकर सामने आया था, जब खालिस्तान समर्थकों की भीड़ ने लाल किले पर सिख झंडा फहराया था। हालाँकि, कुछ लोगों का दावा है कि वह खालिस्तानी झंडा नहीं, बल्कि सिर्फ एक सिख झंडा था, लेकिन यहाँ ध्यान रखने वाली बात है कि यह झंडा पंजाबी सिंगर दीप सिद्धू और उसके लोगों ने लगाया था। दीप सिद्धू एक जाने-माने खालिस्तानी हैं।

इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान सिद्धू मूसेवाला जैसे सिंगरों ने खालिस्तानी विचारधारा को हवा देने में अहम भूमिका निभाई थी। किसान आंदोलन के दौरान सिद्धू मूसेवाला ने एक गाना गाया था, जिसके जरिए उसने आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले की तारीफ की थी। गाना ‘पंजाब (मेरी मातृभूमि)’ शीर्षक के साथ शुरू होता है, जिसमें 1982 की सीन को दिखाया गया है, जिसमें खालिस्तानी नेता भरपुर सिंह बलबीर के साथ भिंडरावाले भी दिखाई देता है। अपने गाने में मूसेवाला ने अलगाववाद को खुलकर बढ़ावा दिया है। गाने में कहा गया है, ‘राज दी गल क्यूँ न करिए। अस्सी माला फड़ के हिंदुस्तान दे किसी मठ दे पुजारी नी बनना चौहंडे’ (स्व-शासन की बात क्यों नहीं करें? हमें सिर्फ माला पकड़कर हिंदुस्तान के किसी मठ में पुजारी नहीं बनना)।

इस वीडियो सॉन्ग को देखने पर पता चलता है कि गाने में कई सारी जगहों पर भिंडरावाले दिखाई देता है। एक बार अपने हाथ में एक तीर के साथ दिखाई देता है। गाने में कहा गया है, “ओह संता दे हाथन विच फडेया तीर दे वर्गा नी, ढके नाल जिहनु दब लोगे कश्मीर दे वर्गा नी’ प्ले (यह संतों के हाथ में तीर जैसा नहीं है। न ही यह कश्मीर जैसा है, जिसे तुम ताकत से दबा दोगे।)

इतना ही नहीं गाने में मूसेवाला ने ‘दिल्ली’ को भी धमकी दी। इसमें कहा गया है, ”मुड तो बड़े खिलाफ तू दिते ऑर्डर दिल्ली ए नी, ओह भूली ना मैनु वी लगदे बॉर्डर दिल्ली ए नी’। इसका मतलब है कि दिल्ली से जो तुम आदेश दे रहे हो, ये मत भूलो हम बॉर्डर स्टेट हैं।

खास बात ये है कि मूसेवाला को कॉन्ग्रेस में शामिल होने पर नवजोत सिंह सिद्धू ने यूथ आइकॉन बताते हुए उनका स्वागत किया। बहरहाल, मूसेवाला को कॉन्ग्रेस में शामिल कराने के बाद अब ये स्पष्ट हो गया है कि कॉन्ग्रेस ने अब अलगाववाद और आतंकवाद को भड़काने के लिए खुलकर सामने आ गई है। किसान आंदोलन के दौरान कॉन्ग्रेस ने खालिस्तानी भावनाओं को खूब भड़काया था। पार्टी के इस कदम से ऐसा प्रतीत होता है कि पंजाब में राजनीतिक सत्ता पाने के लिए कॉन्ग्रेस ने अलगाववाद को समर्थन देते रहने का फैसला किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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