Friday, March 29, 2024
Homeबड़ी ख़बरलोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ लागू हो जाएगी आदर्श आचार संहिता,...

लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ लागू हो जाएगी आदर्श आचार संहिता, जानिए क्या होंगे इसके प्रभाव

आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों के लिए बराबरी का समान स्तर उपलब्ध कराना है। इसका उद्देश्य है चुनावी प्रचार एवं अभियान को निष्पक्ष तथा स्वस्थ्य रखना। यह संविधान में नहीं लिखी बल्कि निर्वाचन आयोग द्वारा जारी गाइडलाइन्स हैं।

आज रविवार (मार्च 10, 2019) को शाम 5 बजे 17वीं लोकसभा के चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। आपने अक्सर चुनावों के मौसम में इसका नाम सुना होगा। हम आपको बताने जा रहे हैं कि आचार संहिता आख़िर है क्या और इसके लागू होते ही क्या असर होंगे। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित कराने के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सभी उम्मीदवारों तथा राजनीतिक दलों को समान अवसर और बराबरी का स्तर प्रदान किया जाता है। इस संदर्भ में आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों के लिए बराबरी का समान स्तर उपलब्ध कराना है। इसका उद्देश्य है चुनावी प्रचार एवं अभियान को निष्पक्ष तथा स्वस्थ्य रखना। दलों के बीच झगड़ों तथा विवादों को टालने में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है। इसका उद्देश्य आम चुनाव में केन्द्र या राज्यों की सत्ताधारी पार्टी को सरकारी मशीनरी का अनुचित लाभ लेने से रोकना है।

आगे हम आचार संहिता के इतिहास के बारे में भी चर्चा करेंगे लेकिन उस से पहले इसके नियमों को समझते हैं। आपने अक्सर ख़बरों में पढ़ा होगा कि ‘फलां नेता ने आचार संहिता का उल्लंघन किया’ या ‘फलां राजनीतिक दल पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ’। ये तब होता है जब ये नेता या दल आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन करते हैं। आइए समझते हैं कि क्या हैं ये नियम:

  • कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों (धार्मिक या भाषाई) के बीच आपसी द्वेष पैदा कर सकता है या तनाव पैदा कर सकता है।
  • जब अन्य राजनीतिक दलों की आलोचना की जाती है, तो नेतागणों के बयान उनकी नीतियों, कार्यक्रमों और पिछले रिकॉर्ड और कार्यों तक ही सीमित रहेंगे। पार्टियों और उम्मीदवारों को किसी के निजी जीवन के सभी पहलुओं की आलोचना से बचना होगा। ऐसी आलोचनाएँ आचार संहिता का उल्लंघन मानी जाएगी, जो अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़ी नहीं है। असत्यापित आरोपों या विरूपण के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना नहीं की जा सकती।
  • किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार या उसके कार्यकर्ताओं द्वारा किसी व्यक्ति की भूमि, भवन, परिसर की दीवार इत्यादि का उपयोग बिना उसकी अनुमति नहीं की जा सकती। इसमें झंडे खड़ा करना, बैनरों को चस्पाना, नोटिस चिपकाना, नारे लिखना इत्यादि शामिल है।
  • अगर किसी भी तरह की राजनीतिक बैठक या रैली प्रस्तावित हो तो पार्टियों व नेताओं को आयोजन से पहले स्थानीय प्रशासन व पुलिस को सूचित करना होगा। ऐसा इसीलिए, ताकि पुलिस शांति व्यवस्था और ट्रैफिक सुगमता के लिए पहले से तैयारी कर सके।
  • ऐसे इलाक़ों से जुलूस या रैली नहीं निकाली जा सकती, जिन्हे संवेदनशील होने या अन्य कारणों की वजह से इस क्रियाकलापों के लिए प्रतिबंधित किया जा चुका है। विशेष छूट मिलने पर ही ऐसा किया जा सकता है। राजनीतिक कार्यक्रमों के दौरान यातायात नियमों का सावधानीपूर्वक पालन होना चाहिए।
  • सभी राजनीतिक दल और उम्मीदवार यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके समर्थक अन्य दलों द्वारा आयोजित बैठकों और जुलूसों में अवरोध पैदा न करें। किसी एक राजनीतिक दल के कार्यक्रम में दूसरे राजनीतिक दल के कार्यकर्ता मौखिक या लिखित रूप से प्रचार नहीं कर सकते। इसका अर्थ यह हुआ कि वे अपनी पार्टी के पैम्पलेट किसी दूसरी पार्टी के कार्यक्रम में नहीं बाँट सकते। अगर किसी स्थल पर किसी एक राजनीतिक पार्टी की बैठक चल रही हो तो दूसरे दल समान समय पर वहाँ किसी कार्यक्रम का आयोजन नहीं कर सकते।

सत्ताधारी पार्टी के लिए विशेष नियम

निर्वाचन आयोग ने सत्ताधारी पार्टियों के लिए कुछ विशेष नियम तय किए हैं क्योंकि सरकारी मशीनरी उनके नियंत्रण में होती है। निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करना होता है कि सरकारी मशीनरी का उपयोग पार्टी प्रचार के लिए न किया जाए। अभी भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली सरकार को इन बातों का ध्यान रखना होगा।

  • मंत्रीगण अपने आधिकारिक व सरकारी दौरों का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर पाएँगे। सरकारी वाहनों और कर्मियों का उपयोग चुनाव के दौरान सत्ताधारी पार्टी के हितों में नहीं हो सकता।
  • चुनावी सभाओं के आयोजन के लिए सार्वजनिक स्थानों जैसे कि मैदान और हवाई-उड़ानों के लिए हेलीपैड के उपयोग पर सत्ताधारी पार्टी का एकाधिकार नहीं होगा। अन्य दलों और उम्मीदवारों को ऐसे स्थानों और सुविधाओं के उपयोग की अनुमति उन्हीं नियमों और शर्तों पर दी जाएगी, जो सत्ताधारी पार्टी पर भी लागू होंगी।
  • चुनाव की तारीख का ऐलान होने के बाद से सरकारी विभाग और मंत्रीगण किसी भी प्रकार के वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं कर सकते हैं अथवा ऐसा करने का निर्णय नहीं ले सकते। उन्हें किसी भी प्रकार की योजनाओं या परियोजनाओं की आधारशिला रखने की अनुमति नहीं होगी। सरकारी अधिकारियों पर ये नियम लागू नहीं होंगे।
  • मतदाताओं को लुभाने के लिए सरकार किसी सार्वजनिक उपक्रम या सरकारी विभाग में नियुक्तियाँ नहीं कर सकती।
  • मतगणना के दौआर्ण केंद्र या राज्य सरकार के मंत्री, उम्मीदवार या मतदाता किसी भी मतदान केंद्र या मतगणना स्थल में प्रवेश नहीं करेंगे। इसके लिए राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों की तरफ से अधिकृत एजेंट होंगे, जो यह कार्य करेंगे।

आचार संहिता: संक्षिप्त इतिहास

1968 में निर्वाचन आयोग ने राज्य स्तर पर सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठकें की तथा स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए व्यवहार के न्यूनतम मानक के पालन संबंधी आचार संहिता का वितरण किया। 1971-72 में लोकसभा/विधानसभाओं के आम चुनावों में आयोग ने फिर आचार संहिता का वितरण किया।

1974 में कुछ राज्यों की विधानसभाओं के आम चुनावों के समय उन राज्यों में आयोग ने राजनीतिक दलों को  आचार संहिता जारी किया। आयोग ने यह सुझाव भी दिया कि ज़िला स्तर पर जिला कलेक्टर के नेतृत्व में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को सदस्य के रूप में शामिल कर समितियाँ गठित की जाएँ ताकि आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों पर विचार किया जा सके तथा सभी दलों तथा उम्मीदवारों द्वारा संहिता के परिपालन को सुनिश्चित किया जा सके। 1977 में लोकसभा के आम चुनाव के लिए राजनीतिक दलों के बीच संहिता का वितरण किया गया।

1979 में निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श कर आचार संहिता का दायरा बढाते हुए एक नया भाग जोड़ा जिसमें “सत्तारूढ़ दल” पर अलग नियम लगाने का प्रावधान हुआ ताकि सत्ताधारी दल अन्य पार्टियों तथा उम्मीदवारों की अपेक्षा अधिक लाभ न उठा पाए व अपनी शक्तियों का दुरूपयोग न कर पाएँ। 1991 में आचार संहिता को मजबूती प्रदान की गई और वर्तमान स्वरूप में इसे फिर से जारी किया गया।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने AAP नेता सत्येंद्र जैन के खिलाफ CBI जाँच की अनुमति दी, जेल में बंद कैदी से ₹10 करोड़ की वसूली...

मामला 10 करोड़ रुपए की रंगदारी से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि सत्येंद्र जैन ने जेल में बंद महाठग सुकेश चंद्रशेखर से 10 करोड़ रुपए की वसूली की।

लालकृष्ण आडवाणी के घर जाकर उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, स्वास्थ्य कारणों से फैसला: 83 वर्षों से सार्वजनिक जीवन में...

1951 में उन्हें जनसंघ ने राजस्थान में संगठन की जिम्मेदारी सौंपी और 6 वर्षों तक घूम-घूम कर उन्होंने जनता से संवाद बनाया। 1967 में दिल्ली महानगरपालिका परिषद का अध्यक्ष बने।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe