Thursday, April 25, 2024
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‘एक्के केस में बाभन का रिहाई और यादव को सजा, मोदी उसको सड़ा दिया जेल में’ – ‘विकास’ के बाद भी जातीय गोलबंदी

लखीसराय और सूर्यगढ़ा सीट पर जातीय आधार पर गोलबंदी साफ दिखती है। यह भी पता चलता है कि कैसे मतदाताओं के एक वर्ग के लिए विकास से महत्वपूर्ण अपनी जाति का नेता हो जाता है।

लखीसराय जिले में विधानसभा की दो सीटें हैं। लखीसराय और सूर्यगढ़ा। दोनों सीटों पर 28 अक्टूबर को वोट डाले जाएँगे। दोनों सीटों पर बीजेपी नीत एनडीए और राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है।

दोनों क्षेत्रों में जातीय आधार पर मतदाताओं की गोलबंदी भी साफ दिखती है। इससे यह भी पता चलता है कि कैसे मतदाताओं के एक वर्ग के लिए विकास से महत्वपूर्ण अपनी जाति का नेता हो जाता है।

उम्मीदवार

लखीसराय से बीजेपी के उम्मीदवार लगातार दो बार से चुनाव जीत रहे राज्य के श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा हैं। कॉन्ग्रेस ने यहाँ जदयू से आए अमरेश कुमार को प्रत्याशी बनाया है। सूर्यगढ़ा से जदयू ने रामानंद मंडल को तो राजद ने निवर्तमान विधायक प्रह्लाद यादव को मैदान में उतारा है।

‘इधर 75 से 80 प्रतिशत यादव लालटेन के साथ है’

लखीसराय विधानसभा का ​बिलौरी पंचायत जिला मुख्यालय से सटा हुआ है। इस पंचायत में बिलौरी, ओफहापुर, करौता, पचैता जैसे गॉंव आते हैं। यादव बहुल इस पंचायत में मुस्लिम, कुर्मी और महादलित वोटर भी हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार पंचायत में करीब 10 हजार वोटर हैं और 50 प्रतिशत के करीब मतदान होता है। इस बार मतदान बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि काफी संख्या में लोग लॉकडाउन के दौरान घर लौटे हैं।

लखीसराय से बिलौरी को जोड़ने वाली सड़क अच्छी स्थिति में नहीं है। लेकिन गॉंव में प्रवेश करते ही छह बीघे में फैला तालाब है। इस तालाब की जमीन अतिक्रमण मुक्त है, जो अमूमन कम देखने को मिलता है। सरकारी योजना से तालाब के घाट बने हैं। स्थानीय विधायक विजय सिन्हा के कोष से तालाब के एक किनारे पर शेड का निर्माण भी करवाया गया है, जहाँ अमूमन दोपहर के वक्त ताश खेलने के लिए जमावड़ा लगा रहता है। तालाब के ही एक किनारे पर मंदिर तो दूसरे किनारे पर सरकारी अस्पताल तथा प्लस टू स्कूल है। गॉंव के बगल से नहर गुजरती है। बिजली भी है और ‘हर घर नल जल योजना’ का पानी भी पहुँच चुका है। बावजूद यहाँ के लोग बदलाव की बात कर रहे हैं।

राम ​चरित्र यादव ने बताया, “हमलोग खेती और पशुपालन पर आश्रित हैं। कुछ आदमी कमाने बाहर भी जाता है। पंजाब-​हरियाणा में मजूदरी करने। सरकार का कोई काम नहीं है हमारे गॉंव में। रोड जर्जर है, आप देख ही रहे हैं। बिजली दिया भी है तो लाइन कटता रहता है।” बिहारी यादव ने बताया, “हॉस्पिटल का खाली भवन बना है। सुविधा कोई नहीं है।” कंचन कुमार का कहना है, “नीतीश कुमार 24 घंटा बिजली देने का बात करते हैं। मेरे गॉंव में ठीक से 6 घंटा भी बिजली नहीं मिल पाता है। मंत्री महोदय (विजय कुमार सिन्हा) को कई बार आवेदन दिए हैं, पर ध्यान नहीं देते। मंत्री महोदय पिछड़ा सबके गॉंव पर ध्यान नहीं देते हैं।”

जेपी यादव का कहना है, “कुछ-कुछ लोग को इंदिरा आवास और शौचालय मिला है। नल जल का काम आधा हुआ है। बाकी पैसा सब खा गया।” उनके अनुसार, “लालू यादव महारथी है। लालटेन को वोट पड़ता है। मोदिया (नरेंद्र मोदी) उसको सड़ा दिया जेल में। एक्के केस है लालू और जगन्नाथ मिश्रा पर। बाभन का रिहाई और यादव को सजा। हम लोग सॉलिड हैं, लालू के साथ।” ब्रह्मदेव यादव भी सरकार से नाराज हैं। उनका कहना है, “आठ महीना से रेल बंद है। कोरोना जानकर फँसाया है। मोदी सरकार जनता को धुर (मूर्ख) समझता है। इधर जहाँ जाइएगा, खाली तेजस्वी यादव का वोट है।”

राजद के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष राजकुमार यादव का दावा है, “हमारे गॉंव में जो भी सरकारी काम हुआ है, सब मुखिया के जरिए हुआ है। विधायक-सांसद कोई काम नहीं कर रहा है। इधर महागठबंधन का वोट है। एकमुश्त वोट देंगे लोग। छिटपुट लोग इधर-उधर वोट करेंगे।” हरिहर यादव का दावा है, “इधर 75 से 80 प्रतिशत यादव लालटेन के साथ है।”

‘लालू का आदमी है इसलिए प्रह्लाद यादव जीत जाता है’

इसी तरह सूर्यगढ़ा के महिसोना पंचायत का खैरी गॉंव भी यादव बहुल और जिला मुख्यालय से सटा है। ग्रामीणों के अनुसार करीब 1500 वोटर हैं, जिनमें हजार के करीब यादव हैं। इनकी भी गोलबंदी राजद उम्मीदवार के पक्ष में स्पष्ट दिखती है। इसको लेकर सबके अपने-अपने कारण हैं। विकास कुमार कहते हैं, “इधर नेता लोग हुलकी मारने नहीं आता है। लेकिन प्रह्लाद यादव लालू का आदमी है, इसलिए जीत जाता है।” रामजी यादव का कहना है, “हम लोगों का लालू के शासन में बात सुनता था। कोई कार्यकर्ता ऑफिस में जाकर कुछ कह देता था तो अधिकारी काम करता था। नीतीश कुमार के सरकार में अफसरशाही है। अब कोई नेता ऑफिस जाकर दिखाए, उसको फँसा देगा।”

रामजी विकास के दावों को भी खारिज करते हुए कहते हैं, “पहले भी सड़क था। कच्चा था, अब पक्का हो गया है। लालू यादव ने सड़क का ढाँचा तैयार कर दिया था, नीतीश कुमार ने उसको पक्का कर दिया। आज जो सड़क दो लेन का है उसको कल कोई चार लेन कर देगा तो उसको विकास थोड़े कहेंगे। मेन ढाँचा होता है जो लालू यादव ने बनाया।”

रामाश्रय यादव ने बताया, “शौचालय का लाभ मिला है। लेकिन घूस खुलेआम होता है। इंदिरा आवास 30 हजार लेकर दिया जाता है। नल जल का काम हुआ है, पर पानी कभी आता है, कभी नहीं। बेचन यादव ने बताया, “नल जल का काम आधा गॉंव में ही हुआ है। दू-चार महीना से पानी का सप्लाई हो रहा है। सबको पता है इधर लालटेन को वोट पड़ेगा इसलिए काम आधा पर ही रुकवा दिया है।” गॉंव में ही चाय की दुकान चलाने वाले मन्नू यादव का कहना है, “सरकारी स्कूल तो है, लेकिन वहाँ कोई अपना बच्चा को नहीं पढ़ाता है। हमारा चार बच्चा है। सब प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है। सरकारी स्कूल में कोई देखने वाला नहीं है। बच्चा-बुतरु माथ-कपार फोड़ लेता है।” उन्होंने बताया, “सदर अस्पताल बगल में है। लेकिन वहाँ न डॉक्टर रहता है, न कोई सुविधा है। कुल लोग प्राइवेट में जाता है। सरकारी अस्पताल को बस नाम का अस्पताल मानकर चलिए।

बालू का कितना असर

इन लोगों की नाराजगी किउल नदी से बालू उत्खनन बंद होने को लेकर भी है। रामजी यादव का कहना है, “मेन समस्या यही है। बालू का साइट बंद कर दिया। हम लोग जेतना आदमी हैं, उसको इस सरकार ने पीस (परेशान) दिया है। पहले का सरकार ठीक था।” उत्खनन बंद होने से ट्रक, ट्रैक्टर, पिक अप वैन आदि वाहन कारोबार से जुड़े भी प्रभावित हैं। मजदूरों को भी स्थानीय स्तर पर काम मिलना बंद हो गया है। इसकी वजह से हाल के समय में इस इलाके से पलायन भी बढ़ा है। जैसा कि तेतरहाट के प्रवेश महतो कहते हैं, “काम तो काफी हुआ है, लेकिन बालू उत्खनन पर रोक से लोग बहुत प्रभावित हुए हैं।”

…और भी हैं समीकरण

हालाँकि माई (मुस्लिम+यादव) समीकरण के मजबूत होने का मतलब यह नहीं है कि विपक्ष के सारे समीकरण इन दोनों सीटों पर दुरुस्त हैं। कॉन्ग्रेस के खाते में लखीसराय की सीट जाने से राजद के कोर वोटरों में निराशा है। 2005 में इस सीट से विजय कुमार सिन्हा को राजद के टिकट पर हराने वाले फुलैना सिंह का मैदान में होना भी एनडीए के पक्ष में बताया जा रहा है। मैदान में बीजेपी और जदयू के भी बागी हैं।

इसी तरह सूर्यगढ़ा में लोजपा के टिकट पर लड़ रहे रविशंकर सिंह उर्फ अशोक सिंह जदयू के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। टिकट नहीं मिलने पर दलबदल करने वाले रविशंकर सिंह स्थानीय सांसद और नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले ललन सिंह के खास रहे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि 1995 में निर्दलीय जीतकर राजद में शामिल हुए प्रह्लाद यादव 2000 और फरवरी 2005 के चुनाव में भी जीते थे। लेकिन, उसके बाद दो बार उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी। पिछली बार उन्हें दोबारा जीत तब मिली, जब राजद को जदयू का समर्थन भी हासिल था।

यही कारण है कि जब 15 अक्टूबर को नीतीश कुमार ने सूर्यगढ़ा में सभा की तो जंगलराज की याद दिलाने के साथ इस इलाके से अपने संबंधों को याद किया। उन्होंने कहा, “बाढ़ का सांसद रहते और समता पार्टी के गठन के समय से ही मेरा सूर्यगढ़ा और लखीसराय से नाता रहा है। मैं काम में विश्वास रखता हूँ। 2005 से सिर्फ काम किया। जंगलराज को खत्म किया। बिहार आगे बढ़ा है। 15 साल तक पति-पत्नी की सरकार थी, लेकिन किसी के कल्याण का काम नहीं किया। पहले शाम होते लोग घर से नहीं निकलते थे, लेकिन अब बेफ्रिक हैं।”

वैसे इन दो सीटों का भविष्य पिछले साल ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने वाले बिलौरी के प्रवीण कुमार यादव के कहे में छिपा है। उन्होंने बताया, “सबको लगता है कि इस बार परिवर्तन होना चाहिए। लेकिन, इससे बीजेपी को घाटा नहीं है। यदि बीजेपी इस बार नीतीश कुमार से अलग लड़ती तो उसको ज्यादा फायदा होता।”

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अजीत झा
अजीत झा
देसिल बयना सब जन मिट्ठा

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