Saturday, April 27, 2024
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कमलनाथ राज में विकास ठप था, सिंधिया ने टोका तो कहा सड़क पर आ जाओ निपट लेंगे: CM शिवराज ने बताई कॉन्ग्रेस में टूट की स्टोरी

"कमलनाथ राज में वल्लभ भवन (सचिवालय) दलालों का अड्डा बन गया। हालत यह हो गई थी कि बिना लिए-दिए कुछ होता ही नहीं था। विकास के सारे काम ठप कर दिए और जब ऐसी चीजों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने टोका तो ये उनसे अकड़ गए। सड़क पर आ जाओ। निपट लेंगे। देख लेंगे।"

मध्य प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। अभी राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार चल रही है। 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद राज्य की सत्ता कॉन्ग्रेस को मिली थी। लेकिन कुछ ही महीनों में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस टूट गई और कमलनाथ की सरकार गिर गई। न्यूज एजेंसी एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश के पॉडकास्ट में सीएम शिवराज ने कॉन्ग्रेस में टूट की वजह बताई है।

शिवराज सिंह ने बताया है कि कॉन्ग्रेस में टूट के पीछे बीजेपी की कोई भूमिका नहीं थी। कमलनाथ के शासनकाल में प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया था। सचिवालय दलालों का अड्डा बन गया था। इसको लेकर जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सवाल उठाए तो कमलनाथ ने उनको सीधी चुनौती दी। इसके बाद कॉन्ग्रेस टूट गई। उन्होंने कहा कि जब सिंधिया जी ने अपने लोगों के साथ कॉन्ग्रेस छोड़ दी और हमारे पास आ गए तो प्रदेश के हित में हमने सरकार बनाने का फैसला किया।

कमलनाथ राज में दलालों का अड्डा बना गया था सचिवालय: शिवराज

स्मिता प्रकाश के सवाल के जवाब में शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “हमने कुछ नहीं किया। कमलनाथ के राज में हाहाकार मच गया था। वल्लभ भवन (सचिवालय) दलालों का अड्डा बन गया। चारों तरफ लूट का आलम था। हालत यह हो गई थी कि बिना लिए-दिए कुछ होता ही नहीं था। विकास के सारे काम ठप कर दिए और जब ऐसी चीजों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने टोका तो ये उनसे अकड़ गए। सड़क पर आ जाओ। निपट लेंगे। देख लेंगे।”

उन्होंने आगे कहा, “हम तो ये देखकर व्यथित हो रहे थे कि बड़ी मुश्किल से हम (BJP) प्रदेश की गाड़ी को विकास की पटरी पर लेकर आए और ये (कॉन्ग्रेस) पूरा सत्यानाश कर रहे हैं। उन्होंने अपने लोगों को भी हर्ट किया। सिंधिया अपने साथियों को लेकर आ गए। फिर हम क्या करते? एक तरफ इतनी निकम्मी और नकारा भ्रष्ट सरकार। दूसरी तरफ कॉन्ग्रेस पार्टी टूट गई। खुद फैसला कर रही है कि हमें सरकार में नहीं रहना है। तब प्रदेश के हित में हमने सरकार बनाई।”

बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस को 114 सीटें मिली थी। भाजपा को 109 और बसपा को 2 सीटों पर जीत मिली थी। चुनाव के बाद कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन सिंधिया कैंप की बगावत के बाद मध्य प्रदेश में 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। सिंधिया कैंप के 22 कॉन्ग्रेसी विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा बहुमत में आ गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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