Monday, November 4, 2024
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उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के स्कूलों के बाद अब सरकारी दफ्तरों में भी मराठी किया अनिवार्य, नहीं तो रुकेगा इन्क्रीमेंट

अधिसूचना में कहा गया है कि किसी भी सरकारी काम में यदि मराठी का उपयोग करने में विफलता पाई जाती है तो इसका परिणाम यह होगा कि अधिकारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि में कटौती की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसा ना करने पर उनकी गोपनीय सेवा पुस्तिका (कांफिडेंसियल सर्विस बुक) में भी नकारात्मक टिप्पणी दर्ज की जाएगी।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गत सोमवार (जून 29, 2020) को सभी विभागों को सरकारी कार्यालय के काम में मराठी को आधिकारिक भाषा के रूप में उपयोग करने का निर्देश दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसने विभागों के बीच लिखित संचार के लिए मराठी का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। ऐसा नहीं करने वाले अधिकारी और कर्मचारी का इस साल का इन्क्रीमेंट (वेतन वृद्धि) रोक दिया जाएगा। ज्ञात हो कि यह विभाग फिलहाल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास है।

अधिसूचना में कहा गया है कि किसी भी सरकारी काम में यदि मराठी का उपयोग करने में विफलता पाई जाती है तो इसका परिणाम यह होगा कि अधिकारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि में कटौती की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसा ना करने पर उनकी गोपनीय सेवा पुस्तिका (कांफिडेंसियल सर्विस बुक) में भी नकारात्मक टिप्पणी दर्ज की जाएगी।

इस नोटिस में लिखा गया है कि अंग्रेजी में आधिकारिक दस्तावेजों और आदेशों के खिलाफ लोगों द्वारा कई शिकायतें उठाई गई हैं। इसने सरकार और आम लोगों के बीच संवाद में दूरी पैदा कर दी है। सर्कुलर के अनुसार, सभी सरकारी दफ्तरों, मंत्रालयों, डिविनजल दफ्तर और निकाय कार्यालयों में आधिकारिक इस्तेमाल के लिए लिखे जाने वाले पत्रों और अन्य संचार माध्यमों में सिर्फ मराठी भाषा का इस्तेमाल करना होगा

सर्क्युलर में कहा गया है कि सरकारी अधिकारी मराठी को अनिवार्य भाषा बनाने के आदेश के बावजूद आंतरिक संचार के लिए अंग्रेजी को प्राथमिकता दे रहे हैं। मामले में दोषी पाए जाने पर कर्मचारी को ठोस वजह के साथ स्पष्टीकरण देना होगा।  

मराठी भाषा विभाग में डेस्क अधिकारी राजश्री बापट द्वारा हस्ताक्षरित इस आदेश में कहा गया है – “यह देखा गया है कि कई वेबसाइट्स केवल अंग्रेजी में हैं। उन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी जो सरकारी काम में मराठी का उपयोग करने में विफल रहते हैं। वह मराठी भाषा विभाग में डेस्क अधिकारी हैं।”

आदेश में कहा गया है कि मराठी भाषा के उपयोग से आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलेगी और वे आपदा प्रबंधन सहित विभिन्न विभागों द्वारा जारी सरकारी अधिसूचनाओं को समझने में सक्षम होंगे। आमजन भी सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।

विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे आधिकारिक पत्राचार और संचार में मराठी का उपयोग करने का आदेश देते हुए वेबसाइट को अंग्रेजी से मराठी में बदलें। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) जैसे स्थानीय प्रशासन को भी मराठी में सूचनाएँ जारी करने के लिए कहा गया है।

गौरतलब है कि इससे पहले, महाराष्ट्र सरकार ने सीबीएसई और आईसीएसई से संबद्ध 10वीं कक्षा तक के सभी स्कूलों में मराठी को अनिवार्य विषय बनाया था। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले स्कूल से एक लाख रुपए जुर्माना वसूलने का प्रावधान किया गया है। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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