Monday, October 7, 2024
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DG ने थरूर से पूछा- आप फेक न्यूज पर इतनी जल्दी भरोसा कैसे कर लेते हैं? कॉन्ग्रेस नेता ने कहा था- IDSA फैकल्टी को नहीं मिल रही सैलरी

सूजन चिनॉय ने अपने ट्वीट में खुद की तुलना 'बुक ऑफ सैमुअल' के पात्र डेविड से की और शशि थरूर की तुलना गोलिएथ से करते हुए कहा कि आखिर वो फेक न्यूज़ पर इतनी जल्दी भरोसा कैसे कर लेते हैं? जिसका थरूर ने कोई जवाब नहीं दिया।

एक न्यूज रिपोर्ट के आधार पर कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्विटर पर कल (सितंबर 14, 2020) दावा किया कि ‘मनोहर पर्रिकर इंस्टिट्यूट ऑफ डिफेन्स एंड एनालिसिस’ के फैकल्टीज को अगस्त और सितम्बर महीने की न तो सैलरी मिली है और न ही उन्हें पेंशन दिया जा रहा है।

उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रीमियर थिंक टैंक ने इस तरह का निर्णय लिया है, जिससे वो स्तब्ध हैं। उन्होंने दावा किया कि ‘मनोहर पर्रिकर IDSA’ में फैकल्टीज को सैलरी और पेंशन नहीं दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने इसे मोदी सरकार की वित्तीय क्षमता से भी जोड़ा।

इसके बाद शशि थरूर की इस बात का जवाब खुद ‘मनोहर पर्रिकर IDSA’ के डायरेक्टर जनरल सूजन चिनॉय ने दिया और शशि थरूर के दावों को खारिज करते हुए पूछा कि आखिर वह झूठे दावों पर यकीन कैसे कर लेते हैं।

सूजन चिनॉय ने अपने ट्वीट में खुद की तुलना ‘बुक ऑफ सैमुअल’ के पात्र डेविड से की और शशि थरूर की तुलना गोलिएथ से करते हुए कहा कि आखिर वो फेक न्यूज़ पर इतनी जल्दी भरोसा कैसे कर लेते हैं? जिसका थरूर ने कोई जवाब नहीं दिया।

चिनॉय ने अपने ट्वीट में लिखा, “रक्षा मंत्रालय ने पहले ही फंड सैंक्शन कर दिए हैं और सितंबर की सैलरी भी अब देनी बाकी नहीं है। उम्मीद है राष्ट्र के लोग एक साथ आ सकते हैं और राष्ट्रीय महत्व-रक्षा और विकास के मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं!”

उल्लेखनीय है कि शशि थरूर ने जिस खबर के आधार पर मोदी सरकार को घेरने का प्रयास किया था। वह खबर रविवार (सितम्बर 13, 2020) को द हिंदू में प्रकाशित हुई थी। उस खबर में दावा किया गया था कि MP-IDSA ने अपनी फैकल्टी को यह बात कही है कि वह उन्हें सैलरी और पेंशन नहीं दे सकते।

द हिंदू की रिपोर्ट का दावा था कि यह सूचना अगस्त के अंत में एक ईमेल में महानिदेशक द्वारा फैकल्टी को दी गई थी। साथ ही इसके पीछे यह वजह बताई गई थी कि ऐसा फंड में कमी के कारण है।

मनोहर पर्रिकर इंस्टिट्यूट ऑफ डिफेन्स एंड एनालिसिस

गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने पूर्व रक्षा मंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर की ‘प्रतिबद्धता और विरासत’ के सम्मान में सरकारी थिंक टैंक रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (IDSA) का नाम बदलकर मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (Manohar Parrikar Institute for Defence Studies and Analyses) कर दिया था।

इस संबंध में बयान जारी करते हुए सरकार की ओर से कहा गया था कि मनोहर पार्रिकर ने पठानकोट और उरी जैसे हमलों की कठिन चुनौती के दौर में रक्षा मंत्रालय का नेतृत्व किया और अनुकरणीय साहस के साथ उनका जवाब दिया। आगे इस बयान में लिखा गया था, “अपने पूरे करियर के दौरान सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और समर्पण के प्रतीक दिवंगत मनोहर पर्रिकर ने जुझारूपन दिखाया और बड़ी निर्भीकता से विषम स्थितियों से टक्कर ली।”

बता दें कि मनोहर पर्रिकर 9 मार्च, 2014 से लेकर 14 मार्च, 2017 तक देश के रक्षा मंत्री रहे थे। पिछले साल 17 मार्च को कैंसर (Cancer) से उनका निधन हो गया था। उनके जाने के बाद सरकार ने इंस्टीट्यूट का नाम उनके नाम पर करते हुए कहा था कि जब पर्रिकर रक्षा मंत्री थे तब भारत में कई निर्णय लिए गए जिनसे ‘देश की सुरक्षा क्षमता बढ़ी, स्वदेशी रक्षा उत्पादन में तेजी आई और पूर्व सैनिकों की जिंदगी बेहतर बनी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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