Saturday, November 9, 2024
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LAC पर चीन ने जुटाए सैनिक और गोला बारूद, हमारी सेना भी तैयार: संसद में बोले राजनाथ सिंह

“भारत और चीन की सीमा को ड्रैगन नहीं मानता है। हम मानते हैं कि यह निर्धारण सही तरीके का है। चीन यह भी मानता है कि सीमा अभी भी औपचारिक रूप से निर्धारित नहीं है। 1950-60 के दशक से बात कर रहा है।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन से तनाव पर मंगलवार (सितंबर 15, 2020) को लोकसभा में बयान देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख का दौरा कर हमारे जवानों से मुलाकात की। उन्होंने यह संदेश भी दिया था वह हमारे वीर जवानों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा, “मैंने भी लद्दाख जाकर अपने यूनिट के साथ समय बिताया था। मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि उनके साहस शौर्य और पराक्रम को महसूस भी किया था। आप जानते हैं कर्नल संतोष बाबू ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था।”

उन्होंने आगे कहा कि LAC को लेकर भारत और चीन की धारणा अलग-अलग है। LAC पर शांति बहाल की जाएगी यह बात दोनों पक्षों ने माना है। भारत का मानना है कि द्विपक्षीय संबंधों को विकसित किया जा सकता है। साथ ही साथ ही सीमा मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है।

LAC पर किसी भी हरकत का द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा। समझौते में जिक्र है कि LAC पर दोनों देश कम से कम सेना रखेंगे। हम सीमा पर सेना के अदम्य साहस और शौर्य को पहचानते हैंं। उन्होंने कहा, “भारत और चीन की सीमा को ड्रैगन नहीं मानता है। हम मानते हैं कि यह निर्धारण सही तरीके का है। चीन यह भी मानता है कि सीमा अभी भी औपचारिक रूप से निर्धारित नहीं है। 1950-60 के दशक से बात कर रहा है।”

रक्षा मंत्री आगे इस साल होने वाली घटनाओं के बारे में बताता हुए कहा कि अप्रैल माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन से सैनिकों की संख्या में वृद्धि। मई में गलवान घाटी में चीन ने व्यवधान उत्पन्न किया जिसके कारण संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हुई। इसी बीच मई महीने के बीच ओंकाला, गोदरा और पैंगोंग लेक में कुछ हरकत करने की कोशिश की। सेना ने चीन को पूरा जवाब दिया।

चीनी सेना को भारी क्षति: राजनाथ सिंह

हमने चीन को राजनयनिक तरीके से बता दिया कि सीमा पर यथास्थिति बदलने की स्थिति का जवाब दिया जाएगा। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि LAC को माना जाएगा। 15 जून को चीन से गलवान में खूनी संघर्ष में हमारे जवानों ने बलिदान दिया और चीनी पक्ष को भी भारी नुकसान पहुँचाया। जहाँ संयम की जरूरत थी, हमने रखा और जहाँ शौर्य की जरूरत थी वहाँ शौर्य प्रदर्शित किया है। सेना की बहादुरी की प्रशंसा की जानी चाहिए।

चीन ने पैंगोंग में घुसने को कोशिश की: राजनाथ सिंह

29-30 अगस्त की रात में फिर से चीन ने पैंगोंग में घुसने की कोशिश की, लेकिन हमारे सैनिकों ने प्रयास विफल कर दिए। चीन ने द्विपक्षीय संबंधों का अनादर पूरी तरह दिखता है। LAC का सम्मान करना और इसे 1993-1996 के समझौते में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। चीन की तरफ से ऐसा नहीं हुआ है, उनकी कार्रवाई के कारण सीमा पर झड़प हुए हैं।

अभी की स्थिति पर चीन ने LAC के अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक और गोला बारूद जमा कर रखे हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी सेना ने पूरा काउंटर तैनाती कर रखी है। सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेना इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करेगी।

कोविड-19 की चुनौतीपूर्ण दौर में सैन्य बल और ITBP की तुरंत तैनाती की गई है। सरकार ने सीमा के विकास को प्राथमिकता दी है। हमारी सरकार ने सीमा के विकास के लिए काफी बजट बढ़ाया है। सीमाई इलाके में काफी रोड और ब्रिज बने हैं। और सैन्य बलों को बेहतर सपोर्ट भी मिला है।

मौजूदा स्थिति पहले से अलग है। हम सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं। जब भी देश के समक्ष कोई चुनौती आई है इस सदन ने सेना के प्रति पूरी प्रतिबद्धता दिखाई है।

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, “हम सीमाई इलाकों में मुद्दो का हल शांतिपूर्ण तरीके से किए जाने के प्रति प्रतिबद्ध है। हमने चीनी रक्षा मंत्री से रूस में मुलाकात की। हमने कहा कि इस मुद्दे का शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहते हैं, लेकिन भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। 10 सितंबर को एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि अगर चीन पूरी तरह से समझौते को माने तो विवादित इलाके से सेना को हटाया जा सकता है।”

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव अपने चरम पर है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में रूस की राजधानी मॉस्को में चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंग से मुलाकात की थी। उनके कुछ दिन बाद ही मॉस्को में ही विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच बातचीत हुई थी।

भारत के लद्दाख इलाके में चीन की सेना की हालिया घुसपैठ के कर्ताधर्ता खुद राष्ट्रपति शी चिनफिंग हैं। लेकिन भारतीय सेना ने जिस आक्रामक ढंग से जवाब दिया, उससे चीनी नेतृत्व अचंभित है। 15 जून को गलवान घाटी में हुए हिंसक टकराव में जहाँ 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, वहीं जवाबी कार्रवाई में चीन के कम से कम 43 सैनिक मारे गए, यह संख्या 60 भी हो सकती है। लेकिन चीन ने कभी आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान नहीं किया।

हाल ही में अमेरिकी समाचार पत्र ‘न्यूज़वीक’ ने खुलासा किया कि 15 जून को सीमा पर हुई भारत और चीनी सैनिकों की हिंसक झड़प में चीन के 60 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। साथ ही, यह बात भी सामने आई कि भारतीय क्षेत्र में इन आक्रामक गतिविधियों के पीछे खुद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आदेश थे, लेकिन उनकी सेना को मात खानी पड़ी।

इसके बाद फिर से 29-30 अगस्त की रात चीनी सेना ने घुसपैठ की कोशिश की थी, जिसे भारतीय जवानों ने नाकाम कर दिया। LAC पर जारी तनाव को सुलझाने के कई प्रयास किए जा चुके हैं। दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की कई बातचीत भी हुई लेकिन तनाव अब भी बरकार है।

LAC पर तनाव के बीच भारतीय सेना ने पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे फिंगर- 4 पर ऊँचाई वाली जगह को अपने कब्जे में लेकर चीन के सामने अपनी स्थिति को और मजबूत कर दिया है। भारतीय सेना पूरी मजबूती से चीन की दादागिरी को करारा जवाब दे रही है।

पूर्वी लद्दाख में LAC पर सोमवार (सितम्बर 7, 2020) की रात हुए संघर्ष को लेकर भारत की सेना ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए बताया था कि भारत सीमा पर तनाव को कम करने और स्थिति को सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन चीन स्थिति को बिगाड़ने के लिए लगातार भड़काऊ गतिविधियों में लगा हुआ है। भारतीय सेना ने कहा कि उन्होंने न तो फायरिंग की है, न LAC को पार किया है और न ही किसी अन्य आक्रामक माध्यम का इस्तेमाल किया है।

उधर भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के सीमा पर लंबे समय से चल रहे गतिरोध के समाधान के लिये पाँच सूत्रीय योजना पर सहमत होने के बावजूद पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले बिंदुओं पर स्थिति में कुल मिलाकर कोई बदलाव नहीं है। बताया जा रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीनी सैनिक अपनी-अपनी जगह पर मजबूती से कायम हैं। क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और चीनी सैनिकों की तरफ से कोई नई हलचल नहीं दिखी है।

राफेल आने से और मजबूत हुई वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निगरानी के स्तर को और बढ़ा दिया है। वायुसेना ने चीन की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए कांबेट एयर पेट्रोलिंग में बढ़ोतरी की है। लद्दाख के आसमान पर इस समय फाइटर, हेलीकॉप्टरों व ट्रांसपोर्ट विमानों का दबदबा है। फाइटर विमानों की गर्जना भारतीय जवानों व लद्दाख के लोगों का हौसला बढ़ा रही है। वहीं, चीन के दिल में डर पैदा कर रही है। इस समय भारतीय वायुसेना तिब्बत में चीन की हवाई गतिविधियों पर नजर रखने के साथ अपनी मारक क्षमता को भी लगातार बढ़ा रही है।

बता दें कि कोरोना संकट काल में संसद का सत्र सोमवार (सितंबर 14, 2020) से शुरु हुआ है। जिसके पहले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने अभिभाषण में सभी सांसदों से अपील की थी कि वह देश के बहादुर जवानों के साथ खड़े हों और उनके साहसपूर्ण कार्यों की सराहना करें। प्रधानमंत्री ने सोमवार को कहा था कि सेना के पीछे पूरे देश की एकजुटता का मजबूत संदेश इस सदन की और विशेष तौर पर इस सत्र की जिम्मेदारी है।

पीएम ने कहा, “हमारी सेना के जवान बड़ी हिम्मत, जज्बे और बुलंद हौसलों के साथ दुर्गम पहाडि़यों पर डटे हुए हैं। कुछ ही समय बाद बर्फ और बारिश का मौसम शुरु हो जाएगा। इसके बावजूद हमारे जवान पूरे भरोसे के साथ सीमा पर खड़े होकर मातृभूमि की रक्षा के लिए डटे हुए हैं। इन परिस्थितयों इन परिस्थितियों में यह संदेश जाना जरूरी हो जाता है कि सेना के जवानों के पीछे पूरा देश खड़ा है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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