Friday, October 4, 2024
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गलवान-पांगोंग का दौरा करेंगे सांसद, सरकार को भेज दिया प्रस्ताव… लेकिन चीन-चीन रटने वाले राहुल गाँधी गायब

रक्षा मामलों पर संसदीय स्टैंडिंग समिति ने कहा है कि 30 सदस्यीय दल को गलवान घाटी और पांगोंग झील भेजा जाए... लेकिन इस समिति के सदस्य राहुल गाँधी मीटिंग से ही गायब रहे।

रक्षा मामलों पर संसदीय स्टैंडिंग समिति के अध्यक्ष जुएल ओराँव ने शनिवार (फरवरी 13, 2021) को कहा कि उन्होंने सरकार को सलाह दी है कि 30 सदस्यीय दल को गलवान घाटी और पांगोंग झील भेजा जाए, जहाँ कई महीनों से भारत-चीन के बीच तनाव चल रहा है। ये संसदीय समिति मई 15 के बाद पूर्वी लद्दाख के इन इलाकों का दौरा कर सकती है। कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी इस बैठक से नदारद रहे।

भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जुएल ओराँव की अध्यक्ष वाली इस समिति में बतौर सदस्य राहुल गाँधी भी शामिल हैं, लेकिन उनकी संसदीय समिति की बैठकों और क्रियाकलापों में हिस्सेदारी न के बराबर ही रहती है। संसदीय पैनल के ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC)’ दौरे के लिए अभी केंद्र सरकार की अनुमति मिलनी बाकी है। जिस बैठक में इस पर विचार-विमर्श हुआ, उसमें राहुल गाँधी शामिल नहीं हुए।

ओराँव ने कहा कि सरकार सीमावर्ती इलाकों में स्थिति की समीक्षा करते हुए संसदीय समिति के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श करेगी और फिर अपना निर्णय बताएगी। ये बैठक करीब 10 दिनों पहले हुई थी और प्रस्ताव को लोकसभाध्यक्ष के पास भी भेज दिया गया है। ये वही संसदीय समिति है, जो इससे पहले नाथुला पास, तमांग और भारत-बांग्लादेश सीमाओं का दौरा कर चुकी है। समिति ने दक्षिणी सीमाओं का भी दौरा किया है।

ओडिशा के सुंदरगढ़ से पाँचवी बार सांसद चुने गए जुएल ओराँव ने कहा, “एक तो राहुल गाँधी रक्षा मामलों पर गठित संसदीय समिति की बैठकों में नहीं आते, ऊपर से अगर वो कभी आते भी हैं तो बैठक के एजेंडे की जगह बाहरी मुद्दों पर बात करने लगते हैं। हालाँकि, इन सबसे हमारी कमिटी की कार्यवाही पर कोई असर नहीं पड़ता।” बता दें कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया था कि चीन अपनी सेना को पीछे हटाने के लिए राजी हो गया है।

ये सब तब हो रहा है, जब राहुल गाँधी के अधिकतर भाषणों में चीन ही मुद्दा बना रहता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘डरपोक’ बताते हुए कई बार आरोप लगाया है कि उन्होंने भारत की जमीन चीन को दे दी है। उन्होंने कहा था कि ताज़ा समझौता ‘गिव एंड टेक’ का नहीं, बल्कि सिर्फ ‘गिव’ का है। साथ ही कहा था कि पीएम मोदी की चीन के सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं है। उन्होंने पूछा कि पीएम मोदी ने भारत की जमीन ‘चीन को क्यों दे दी?’

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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