Wednesday, December 25, 2024
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वाजपेयी की 100वीं जयंती पर PM मोदी ने बुंदेलखंड को जल ऊर्जा देने की रखी नींव, जानिए क्या है केन-बेतवा रिवर लिंक प्रोजेक्ट: कब तक होगी पूरी, कैसे होगा फायदा

इस परियोजना के तहत दौधन बांध और 221 किमी लंबी नहर का निर्माण किया जाएगा, जो केन नदी को बेतवा से जोड़ेगी। 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की आधारशिला रखी। पीएम मोदी दोपहर करीब 12:30 बजे पीएम मोदी खजुराहो पहुँचे, जहाँ उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस दौरान उन्होंने केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना की आधारशिला भी रखी। ये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के अंतर्गत देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना है।

साल 2030 तक जुड़ जाएँगी केन और बेतवा नदी

केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत केन नदी के पानी को मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी में भेजा जाएगा। केन नदी, जो जबलपुर के पास कैमूर पहाड़ों से निकलती है और उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में यमुना नदी में मिलती है, से पानी बेतवा नदी तक ले जाया जाएगा। बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से निकलकर उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना से मिलती है। इस परियोजना के अंतर्गत केन नदी पर एक बांध बनाया जाएगा और 221 किलोमीटर लंबी नहर के माध्यम से पानी को बेतवा नदी तक पहुँचाया जाएगा।

यह परियोजना कुल 44,605 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की जा रही है। इससे मध्य प्रदेश के 10 जिलों के लगभग 44 लाख लोग और उत्तर प्रदेश के 4 जिलों के 21 लाख लोग, यानी कुल 65 लाख लोगों को लाभ पहुँचेगा। इन इलाकों में सिंचाई की समस्या का समाधान होगा, पीने का पानी उपलब्ध होगा और औद्योगिक विकास के नए अवसर उत्पन्न होंगे।

इस परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी और दतिया जिलों में करीब 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिलेगी। उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा जिलों को भी इससे काफी लाभ होगा। खासकर बुंदेलखंड क्षेत्र, जो लंबे समय से सूखे की समस्या से जूझ रहा है, इस परियोजना के जरिए जीवनदायिनी सुविधा प्राप्त करेगा।

कैसे पूरा होगा यह प्रोजेक्ट?

  • डैम का निर्माण: परियोजना के तहत दौधन बांध बनाया जाएगा, जो केन नदी के पानी को संग्रहीत करेगा। इस बांध से पानी को बेतवा नदी तक पहुँचाया जाएगा।
  • नहर का निर्माण: केन और बेतवा नदियों को जोड़ने के लिए 221 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया जाएगा। यह नहर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी पहुँचाएगी।
  • जल बंटवारे की व्यवस्था: नवंबर से अप्रैल के बीच पानी का वितरण होगा। इस दौरान उत्तर प्रदेश को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) और मध्य प्रदेश को 1834 MCM पानी मिलेगा।
  • ऊर्जा उत्पादन: परियोजना से 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा। इससे हरित ऊर्जा में योगदान बढ़ेगा और औद्योगिक विकास के लिए बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। औद्योगिक इकाइयों को भी पर्याप्त पानी की आपूर्ति मिलने से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

हालाँकि, इस परियोजना को पूरा करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। पर्यावरणीय और वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी चिंताओं ने इसकी प्रगति को लंबे समय तक बाधित किया। यह परियोजना पन्ना अभयारण्य से होकर गुजरती है, जिससे वन्यजीव संरक्षण के सवाल उठे। लेकिन मार्च 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर के बाद इस परियोजना को हरी झंडी दी गई।

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का विचार सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में 2002 में आया था। उन्होंने देश में 36 नदियों को जोड़ने की योजना बनाई थी ताकि सूखे और बाढ़ की समस्या का समाधान हो सके। हालाँकि, इस योजना को आगे बढ़ाने में कई प्रशासनिक और पर्यावरणीय अड़चनें आईं। 2014 में मोदी सरकार ने इस योजना को फिर से शुरू किया और अब केन-बेतवा लिंक परियोजना को इसकी पहली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।

1858 में पहली बार आया था ऐसा प्रस्ताव

भारत में नदियों को जोड़ने की अवधारणा नई नहीं है। ब्रिटिश काल में भी इस विचार पर चर्चा हुई थी। 1858 में ब्रिटिश सैन्य इंजीनियर आर्थर थॉमस कॉटन ने बड़ी नदियों को आपस में जोड़ने का प्रस्ताव रखा था ताकि सूखे और बाढ़ जैसी समस्याओं से निपटा जा सके। स्वतंत्रता के बाद भी नदियों को जोड़ने के कई प्रयास हुए, लेकिन यह योजना कभी पूरी तरह से अमल में नहीं लाई जा सकी।

केन-बेतवा परियोजना के तहत जल वितरण को लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच समझौता हुआ है। हर साल नवंबर से अप्रैल के बीच यूपी को 750 एमसीएम और एमपी को 1834 एमसीएम पानी मिलेगा। इस परियोजना की निगरानी राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण (एनडब्ल्यूडीए) और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा की जाएगी।

इस परियोजना के शुरू होने से न केवल जल संकट का समाधान होगा, बल्कि किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा मिलेगी और उनकी आय में वृद्धि होगी। साथ ही, बुंदेलखंड जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्र में जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। यह परियोजना अटल बिहारी वाजपेयी के उस सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें उन्होंने नदियों को जोड़कर जल संकट का समाधान करने की परिकल्पना की थी।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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