Friday, May 3, 2024
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मोदी का ‘अनुभव’ ही उनकी ताकत… मैंने ये किसी दूसरे राजनेता में नहीं देखा : प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने अपने हालिया इंटरव्यू में कहा कि जो कोई भी भारत जैसे देश का प्रधानमंत्री बनता है उस पर वैसे भी बहुत सी ताकत होती हैं, लेकिन अगर केवल पीएम मोदी की एक दो खासियत के बारे में बात करें तो वो उनका अनूठा अनुभव है।

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपने हालिया इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। इंटरव्यू में जब उनसे प्रधानमंत्री मोदी की यूएसपी (अलग खासियत) के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो कोई भी भारत जैसे देश का प्रधानमंत्री बनता है उस पर वैसे भी बहुत सी ताकत होती हैं लेकिन अगर पीएम मोदी की केवल एक दो यूएसपी की बात की जाए, तो वो उनका अनूठा अनुभव है

किशोर ने बताया, “अगर आप उनके पिछले 50 साल के करियर को देखें तो उन्होंने 15 साल बतौर आरएसएस प्रचारक गुजारे हैं। ये सामाजिक परिवेश में जनता को समझने, बातचीत करने, उनके साथ जुड़ने का सबसे अच्छा अवसर था। फिर, जब वे भाजपा में थे, तब उन्होंने 15 साल राजनीतिक आयोजक के रूप में बिताए। उन्होंने राजनीतिक व्यवस्था के प्रबंधन, तैयारी, संगठनात्मक मुद्दों को इस तरह से संभाला जैसे संभालना चाहिए।”

प्रशांत किशोर ने कहा, “और फिर वह 15 साल मुख्यमंत्री रहे और अब प्रधानमंत्री। ये 45 साल का अनुभव वाकई भारत में अलग है… मैं किसी अन्य राजनेता के बारे में नहीं सोच सकता जिसके पास जमीनी स्तर पर समाज की समझ, राजनीतिक संगठन चलाने और सरकार चलाने के मामले में इस तरह का मिश्रित अनुभव है।”

चुनावी रणनीतिकार किशोर ने इस बात को कहा कि पीएम मोदी का विशाल राजनीतिक अनुभव उन्हें मतदाताओं की इच्छाओं और महत्वकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करता है। किशोर ने कहा कि वह अपने 40-45 साल के अनुभवों के कारण ‘दूसरे अनुमान (सेकंड गेस)’ लगाने में सक्षम होते हैं।

वह बोले, “प्रधानमंत्री एक अच्छे श्रोता हैं। यह चीज उन्हें सभी दृष्टिकोणों से लाभ उठाने में लाभ देता है। वह अभी भी गलती कर सकते हैं और उन्होंने कई गलती की भी हैं। लेकिन इसे मैं उनके लिए फायदे की तरह आँकूंगा।”

कॉन्ग्रेस से लगभग जुड़ गए थे प्रशांत किशोर

बता दें कि इस इंटरव्यू में किशोर ने इस बात का खुलासा भी किया कि वो पिछले दो साल से कॉन्ग्रेस नेतृत्व के संपर्क में थे, लेकिन बंगाल चुनाव के बाद ये बेहद गहरा होता गया। उन्होंने कहा कि वो कॉन्ग्रेस को लगभग ज्वाइन कर ही चुके थे कि उन्हें एहसास हुआ कि साथ रहना दोनों पक्षों के लिए उलटा हो सकता है।

अपनी बात कहते हुए उन्होंने इस बात को स्पष्ट नहीं किया कि आखिर किन कारणों से वह कॉन्ग्रेस पार्टी में शामिल नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि कोई भी अपने दम पर गाँधी परिवार या कॉन्ग्रेस नेतृत्व को सलाह नहीं दे सकता। किशोर ने कहा कि पार्टी ने उनसे पूछा और उन्होंने उन्हें वही बताया जो उन्हें सही लगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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