Saturday, April 20, 2024
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अंग्रेजों के ‘वफादार नौकर’ थे महात्मा गाँधी, खुद लिखा है… राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेसियों को पढ़ना चाहिए, फिर सावरकर पर बोलें

ड्यूक ऑफ कनॉट को लिखे पत्र के अंत में महात्मा गाँधी ने लिखा था, 'I beg to remain, your royal Highness faithful servant, M.K Gandhi' यानी 'आपका सदैव नौकर बने का प्रार्थी....'। राहुल गाँधी पत्र लिखने के इसी तरीके पर सवाल उठा रहे हैं और इसे अंग्रेजों के मददगार के रूप में मान रहे हैं।

‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले कॉन्ग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) ने हिंदू बनाम हिंदुत्व के अपने मुद्दे को धार देने के लिए एक बार फिर स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) का सहारा लिया है। राहुल गाँधी ने एक चिट्ठी दिखाते हुए कहा कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी माँगी थी और उनके मददगार थे।

अपनी यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के वाशिम में पहुँचे कॉन्ग्रेस सांसद राहुल गाँधी ने गुरुवार (17 नवंबर 2022) को एक सभा में कहा कि सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की थी और जेल में रहने के दौरान माफीनामा लिखकर महात्मा गाँधी और भारतीय नेताओं को धोखा दिया था।

राहुल गाँधी ने कहा, “सावरकर ने अंग्रेजों को खत लिखकर कहा था कि सर, मैं आपका नौकर रहना चाहता हूँ। जब सावरकर जी ने माफीनामे पर हस्ताक्षर किए तो उसका कारण डर था। अगर वह डरते नहीं तो वह कभी हस्ताक्षर नहीं करते। इससे उन्होंने महात्मा गाँधी और उस वक्त के नेताओं के साथ धोखा किया था।”

हालाँकि, राहुल गाधी के इस बयान पर भाजपा और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आपत्ति जताई है। इसको लेकर महाराष्ट्र की कैबिनेट में निंदा प्रस्ताव पास किया गया। वहीं, सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने राहुल गाँधी के खिलाफ सावरकर का अपमान करने का मामला दर्ज कराया है।

इस राजनीति से अलग एक तथ्य यह भी है कि ब्रिटिश हुकूमत के दौरान भारत ब्रिटेन की महारानी और सम्राट के अधीन शासित था। इसलिए जो भी अंग्रजों को पत्र लिखता था, उसमें ‘I beg to remain your faithful servant’ लिखता था। सावरकर की चिट्ठी के इसी वाक्य को राहुल गाँधी मुद्दा बना रहे हैं और कह रहे हैं कि वे अंग्रेजों के नौकर रहना चाहते थे।

सावरकर ही नहीं, उस समय महात्मा गाँधी ने भी अंग्रेजों को लिखे अपने पत्रों के अंत में इसी वाक्य का प्रयोग किया है। इससे पता चलता है कि जिस तरह आज ‘भवदीय’ आदि लिखकर पत्र के अंत में अपना नाम लिखने का चलन है, उसी तरह यह उन दिनों पत्रों को समाप्त करने का मानक और सामान्य तरीका था।

ड्यूक ऑफ कनॉट को लिखे पत्र के अंत में महात्मा गाँधी ने लिखा था, ‘I beg to remain, your royal Highness faithful servant, M.K Gandhi’ यानी ‘आपका सदैव नौकर बने का प्रार्थी….’। राहुल गाँधी पत्र लिखने के इसी तरीके पर सवाल उठा रहे हैं और इसे अंग्रेजों के मददगार के रूप में मान रहे हैं। पत्र के अंत में महात्मा गाँधी जो लिखते थे, वही सावरकर ने भी लिखा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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