राजस्थान में कॉन्ग्रेस (Rajasthan Congress) के दो गुटों के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने मुख्यमंत्री पद का सपना सजाने वाले पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) को गद्दार बताया है। उन्होंने कहा कि एक गद्दार कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता।
सीएम गहलोत ने कहा, “एक गद्दार मुख्यमंत्री नहीं हो सकता। हाईकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बना सकता। वे ऐसे आदमी हैं, जिनके पास 10 विधायक नहीं हैं। उन्होंने बगावत की। उन्होंने पार्टी को धोखा दिया। वह गद्दार हैं। गद्दार को कोई विधायक स्वीकार नहीं करेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “देश के इतिहास में पहली बार हुआ होगा कि एक पार्टी अध्यक्ष ने अपनी ही सरकार को गिराने की कोशिश की। इसके लिए बीजेपी की तरफ से पैसा दिया गया था। बीजेपी के दिल्ली दफ्तर से 10 करोड़ रुपए आए थे। इसका मेरे पास सबूत है। इन पैसों में से किसे कितना दिया गया, ये मुझे नहीं पता।”
दोनों के बीच तल्खी बुधवार (23 नवंबर 2022) को पार्टी की बैठक में भी दिखी। दरअसल, राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ राजस्थान में आने वाली है। इसकी तैयारियों को लेकर एक बुलाई गई थी। इस बैठक में सीएम गहलोत और पायलट दूर-दूर बैठे। इस दौरान दोनों नेताओं ने बात भी नहीं की। वहीं, बैठक खत्म होने से पहले ही सचिन पायलट वहाँ से चले गए।
बता दें कि मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने के लिए सीएम गहलोत ने पार्टी अध्यक्ष पद की कुर्सी ठुकरा दी। सीएम गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर सीएम की कुर्सी सचिन पायलट को सौंपने के लिए कहा गया था। हालाँकि, उन्होंने ऐसी बिसात बैठाई कि पायलट की यह कोशिश नाकाम हो गई।
उसके बाद से दोनों गुटों के बीच आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई है। पार्टी के हालात को देखते हुए पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पार्टी नेताओं को सलाह दी थी कि अन्य नेताओं के खिलाफ या पार्टी के आंतरिक मामलों के बारे में वे सार्वजनिक बयानबाजी करने से बचें। हालाँकि, राजस्थान कॉन्ग्रेस में इस सलाह का असर नहीं दिख रहा है।
सचिन पायलट द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह करने के बाद साल 2020 में उन्होंने पायलट को ‘निकम्मा’ और ‘नकारा’ कहा था। उस दौरान पायलट के साथ 18 अन्य विधायकों का भी साथ मिला था। इसके बाद सीएम गहलोत ने पायलट को उप-मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया था।
दोनों नेताओं के बीच आंतरिक कलह साल 2018 में पहली बार सामने आई थी। उस दौरान राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले थे और दोनों गुट प्रत्याशियों के चयन में हस्तक्षेप करते हुए अपने लोगों को टिकट दिलवाना चाहते थे। इसके बाद पार्टी की जीत हुई तो मुख्यमंत्री पद को लेकर भी दोनों का मनमुटाव सामने आया।
जब पार्टी ने अशोक गहलोत को प्रदेश का मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को उप-मुख्यमंत्री बनाया तो यह कलह थमने के बजाय और उग्र हो गया। दोनों नेता अपने-अपने मंत्रियों के पोर्टफोलियो बँटवारे को लेकर आमने-सामने आ गए। इसके बाद पायलट 18 विधायकों के साथ सीएम गहलोत के खिलाफ खुला विद्रोह कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि उन्हें उप-मुख्यमंत्री का अपना पद गँवाना पड़ा।
दोनों गुट के नेता एक-दूसरे पर गद्दार, रजिस्टर्ड दलाल, चरित्रहीन जैसे आरोप लगा रहे हैं। उधर सचिन पायलट कुर्सी के लिए राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी से लगातार सिफारिश लगा रहे हैं। सचिन पायलट राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भी शामिल हुए। राहुल गाँधी के साथ प्रियंका गाँधी भी इस यात्रा में शामिल रहीं।
भारत जोड़ो यात्रा का आज एक नया दिन परंतु देश जोड़ने का संकल्प व जोश वही।
— Sachin Pilot (@SachinPilot) November 24, 2022
मध्य प्रदेश के बोरगांव से आज आरंभ हुई भारत जोड़ो यात्रा में सम्मिलित हुआ। @RahulGandhi जी एवं @priyankagandhi जी के साथ उठता हर कदम एक सकारात्मक परिवर्तन की ओर इशारा करता है।#BharatJodoYatra pic.twitter.com/M0DsUJyLVl
भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के साथ अपनी तस्वीर साझा करते हुए सचिन पायलट ने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा, “भारत जोड़ो यात्रा का आज एक नया दिन परंतु देश जोड़ने का संकल्प व जोश वही। मध्य प्रदेश के बोरगांव से आज आरंभ हुई भारत जोड़ो यात्रा में सम्मिलित हुआ। राहुल गाँधी जी और प्रियंका गाँधी जीके साथ उठता हर कदम एक सकारात्मक परिवर्तन की ओर इशारा करता है।”