Saturday, July 27, 2024
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मनोज तिवारी-रवि किशन के गाने शेयर करने वाले राज बब्बर के बलात्कार वाले दृश्यों पर चुप: कॉन्ग्रेस ने गुरुग्राम से बनाया है उम्मीदवार, PM मोदी की माँ का कर चुके हैं अपमान

चर्चा चली कि नेहा सिंह राठौड़ कॉन्ग्रेस के टिकट के लिए ये सब कर रही हैं, हालाँकि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इससे उनकी भद्द पिटी सो अलग। राज बब्बर ने कुछ फिल्मों में बेहद ही वीभत्स तरीके से बलात्कार तक के दृश्य फिल्माए हैं। इससे समाज पर क्या असर पड़ेगा?

कॉन्ग्रेस ने राज बब्बर को हरियाणा के गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव 2024 में अपना प्रत्याशी घोषित किया है। यहाँ से उनका मुकाबला केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह से होगा। राव इंद्रजीत सिंह 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज कर चुके हैं और लगातार चौथी बार मैदान में हैं। इससे पहले वो महेंद्रगढ़ से भी 2 बार सांसद रहे हैं। राव इंद्रजीत सिंह ने पिछले 2 चुनाव भाजपा से जीते हैं, वहीं उससे पहले वो कॉन्ग्रेस में हुआ करते थे।

राज बब्बर के पास भी 5 बार सांसदी का अनुभव है। वो 2 बार राज्यसभा सांसद रहे हैं। वहीं 3 बार उन्होंने लोकसभा में जीत दर्ज की है। 1999 और 2004 में जहाँ उन्हें आगरा लोकसभा सीट से जीत मिली, 2009 में वो फिरोजाबाद से सांसद बने। 1994-99 और 2015-20 में वो राज्यसभा सांसद रहे। राज बब्बर का फ़िल्मी करियर लगभग 50 वर्षों का रहा है। बीच-बीच में वो पंजाबी फिल्मों में भी काम करते थे। करियर के एक दौर में उन्होंने कई B ग्रेड फिल्मों में काम किया।

राज बब्बर को हिंदी फिल्मों के शौक़ीन लोग ‘इंसाफ का तराजू’ (1980), ‘निकाह’ (1982) और ‘आज की आवाज़’ (1984) जैसी फिल्मों के लिए जानते हैं। राज बब्बर ने 1989 में VP सिंह के नेतृत्व वाले ‘जनता दल’ के माध्यम से राजनीति में कदम रखा था, जहाँ से समाजवादी पार्टी होते हुए वो कॉन्ग्रेस में पहुँचे। जुलाई 2016 में पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष बनाया, अक्टूबर 2019 तक वो इस पद पर रहे। 80 के दशक में 80 से भी अधिक फिल्मों में काम कर चुके राज बब्बर को उनके अभिनय और आवाज़ की वजह से भी जाना गया।

अब आते हैं मौजूदा माहौल पर। भाजपा ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से भोजपुरी गायक मनोज तिवारी को टिकट दिया। वो लगातार तीसरी बार सांसद बनने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं गोरखपुर से रवि किशन को लगातार दूसरी बार मौका दिया गया। मनोज तिवारी का मुकाबला कॉन्ग्रेस के कन्हैया कुमार से होगा, वहीं रवि किशन के सामने समाजवादी पार्टी की काजल निषाद मैदान में हैं। जैसे ही इन दोनों की उम्मीदवारी का ऐलान हुआ, एक खास गिरोह सक्रिय हो गया।

इस गिरोह ने मनोज तिवारी और रवि किशन के पुराने गाने शेयर करने शुरू कर दिए। साथ ही उन पर अश्लील होने के आरोप मढ़ दिए गए। भोजपुरी में अधिकतर गाने द्विअर्थी होते रहे हैं और इसे स्वच्छ करने के लिए काफी पहले से अभियान चलाया जाता रहा है, लेकिन जानबूझकर मनोज तिवारी और रवि किशन के पुराने गानों को सोशल मीडिया पर वायरल किया जाने लगा। जबकि दोनों ने कई भजन भी गाए हैं। खासकर मनोज तिवारी ने सामान्यतः अच्छे-अच्छे गाने ही गए हैं।

भोजपुरी की पूरी की पूरी फिल्म इंडस्ट्री ही अश्लील और द्विअर्थी गानों के लिए बदनाम है, ऐसे में इसका असर इन दोनों पर न पड़ा हो ऐसा हो ही नहीं सकता। दोनों ही इस इंडस्ट्री के सबसे बड़े सुपरस्टार रहे हैं, गायक रहे हैं। हालाँकि, करियर में परिपक्वता आने के बाद इन दोनों ने कई बेहतरीन गाने गाए और कई अच्छी फ़िल्में बनाई। कला को प्रमोट करने के लिए काम किया। रवि किशन ने तो बॉलीवुड में भी एक से बढ़ कर एक किरदार किए, आप ‘तेरे नाम’ (2003) या ‘मुक्केबाज’ (2017) ही देख लीजिए।

‘यूपी में का बा’ गाने के जरिए उत्तर प्रदेश जैसे राज्य को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाने वाली नेहा सिंह राठौड़ इस प्रोपेगंडा अभियान में सबसे आगे रहीं। खुद को लोकगायिका बताने वाली नेहा सिंह राठौड़ ने एक के बाद एक गाने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर के दोनों अभिनेता-नेताओं को बदनाम किया। चर्चा चली कि नेहा सिंह राठौड़ कॉन्ग्रेस के टिकट के लिए ये सब कर रही हैं, हालाँकि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इससे उनकी भद्द पिटी सो अलग।

खास बात ये है कि इसी गिरोह ने राज बब्बर को कॉन्ग्रेस द्वारा टिकट दिए जाने के बाद उनके इतिहास को नहीं खँगाला। सोशल मीडिया में एक से एक तस्वीरें हैं, जिनमें राज बब्बर अश्लील दृश्य में दिखाई दे रहे हैं। लड़का-लड़की अर्धनग्न हैं, रोमांस कर रहे हैं, लेकिन इन दृश्यों से समाज में स्वच्छता लाने का ड्रामा करने वाली नेहा सिंह राठौड़ को कोई फर्क नहीं पड़ता। आखिर वो भाजपा में थोड़े हैं, कॉन्ग्रेसी जो ठहरे। यही कारण है कि राज बब्बर पर नेहा सिंह राठौड़ एन्ड गैंग का मुँह बंद है।

राज बब्बर ने इन फिल्मों में बेहद ही वीभत्स तरीके से बलात्कार तक के दृश्य फिल्माए हैं। इससे समाज पर क्या असर पड़ेगा? एक तो ऐसा दृश्य है जिसमें राज बब्बर सूट-बूट में कुर्सी पर बैठे हुए हैं और एक लड़की को एक-एक कर अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर कर रहे हैं। वो लड़की लगातार उसे छोड़ देने की गुहार लगाती रहती है और वो उसे अपने पास बुलाते रहते हैं। वो उसे दोनों हाथ उठा कर चलने को कहते हैं। अर्धनग्न लड़की रोती रहती है, वो ये सब करवाते रहते हैं।

लेकिन मजाल कि नेहा सिंह राठौड़ या उनके गिरोह के किसी भी शख्स ने राज बब्बर के इस दृश्य को लेकर चूँ तक भी की हो। याद रखिए, कॉन्ग्रेस वही पार्टी है जिसकी राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत तक ने अभिनेत्री कंगना रनौत के लिए आपत्तिजनक शब्दावली का इस्तेमाल किया था, जब उन्हें हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा द्वारा लोकसभा प्रत्याशी घोषित किया गया। बिकनी में कंगना रनौत की तस्वीरें शेयर की गईं। उनके व्यक्तिगत जीवन को भी निशाना बनाया गया।

जहाँ तक राज बब्बर की बात है, उन्होंने राजनीति में भी शुचिता का पालन नहीं किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी वो आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं। दिसंबर 2018 में भाजपा ने उनके खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत भी की थी। उन्होंने राजस्थान के उदयपुर में एक रैली के दौरान कह दिया था कि गुजरात के 2 लोग दिल्ली में दूसरों की हत्या के लिए एक गैंग चला रहे हैं। आज राज बब्बर का ये बयान भी लोग भूल चुके हैं।

और तो और, राज बब्बर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माँ को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने महिला विरोधी टिप्पणी तक की थी। नवंबर 2018 में उन्होंने मध्य प्रदेश के इंदौर में रुपए के गिरते भाव की तुलना पीएम मोदी की माँ की उम्र से की थी। आज हीराबेन मोदी जीवित नहीं हैं, लेकिन उस समय वो जीवित थीं। ऐसे में एक वयोवृद्ध महिला का अपमान करने वाले के लिए क्या कहा जाए? उनके अश्लील दृश्यों न सही, महिलाओं को लेकर उनकी सोच पर तो भाजपा विरोधी कुछ बोलेंगे?

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अनुपम कुमार सिंह
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भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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