Saturday, October 12, 2024
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‘राजस्थान में तुरंत बदलें CM, नहीं तो होगा पंजाब जैसा हाल’: सचिन पायलट ने कॉन्ग्रेस आलाकमान को दी चेतावनी, संकट गहराया

सचिन पायलट ने सोनिया गाँधी से साफ शब्दों में कह दिया कि यदि राजस्थान में कॉन्ग्रेस सरकार रिपीट करनी है तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाना ही होगा।

राजस्थान कॉन्ग्रेस में एक बार फिर से सियासी उथल-पुथल शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कॉन्ग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच की अनबन की खबरें एक बार फिर मीडिया की गलियारे में है। सूत्राें का दावा है कि कॉन्ग्रेस नेता सचिन पायलट ने सोनिया गाँधी से मुलाकात कर अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने की माँग की है। वहीं इधर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कॉन्ग्रेस में एंट्री न होने की पीछे की वजह अशोक गहलोत बताए जा रहे हैं।

NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सचिन पायलट ने पिछले दिनों गाँधी परिवार के साथ तीन बैठकें की है। बताया जाता है कि इस दौरान पायलट ने कॉन्ग्रेस आलाकमान से कहा कि गहलोत को हटाने में देर करने पर राजस्थान में पंजाब जैसी स्थिति हो जाएगी। सूत्रों का यह भी कहना है कि सचिन पायलट ने सोनिया से खुद को सीएम बनाने की माँग भी की है।

सचिन पायलट ने सोनिया गाँधी से साफ शब्दों में कह दिया कि यदि राजस्थान में कॉन्ग्रेस सरकार रिपीट करनी है तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाना ही होगा। पायलट से पहले सोनिया गाँधी ने सीएम अशोक गहलोत को नई दिल्ली में मुलाकात के लिए बुलाया था। वहीं पाँच दिन पहले ही 23 अप्रैल को राजधानी जयपुर में राजस्व सेवा परिषद के जयपुर में एक कार्यक्रम में गहलोत ने कहा था कि उनका इस्तीफा तो 1998 से परमानेंट सोनिया गाँधी के पास रखा हुआ है। जब मुख्यमंत्री बदलना होगा तो किसी को कानो-कान खबर तक नहीं लगेगी। यह काम रातो-रात हो जाएगा। इस पर कोई चर्चा और चिंतन नहीं होगा। सोनिया गाँधी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। इसलिए अफवाहों पर ध्यान न दें।

इधर बताया जा रहा है कि किशोर के कॉन्ग्रेस में न आने की वजह गहलोत ही हैं। पीके का पार्टी में न आना गहलोत के लिए फायदेमंद और सचिन पायलट के लिए नुकसानदेह है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रशांत किशोर ने कहा था कि पार्टी में युवा चेहरों को आगे लाना चाहिए। ऐसे में सचिन पायलट को मौका मिल सकता था। वहीं यह फैसला गहलोत के लिए राहत भरा रहा। उन्होंने पिछले दिनों पीके के कॉन्ग्रेस में शामिल होने का विरोध किया था। गहलोत के खास वफादार माने जाने वाले तकनीती शिक्षा मंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग ने भी इस तरफ इशारा किया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- “किसी संगठन को मजबूत व ताकतवर केवल नेतृत्व व कार्यकर्ता ही बना सकते हैं। कोई सलाहकार व सेवा प्रदाता नहीं। नेतृत्व के चाणक्य की जरुरत है न कि व्यापारी की।”

हालाँकि, राजस्थान राज्य में सचिन पायलट के खेमे ने कहा है कि पायलट लड़ना बंद नहीं करेंगे, वह किसी भी ‘लॉलीपॉप’ के लिए अपना राजनीतिक स्थान नहीं छोड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में दिसंबर 2023 में चुनाव होने हैं। ऐसे में सचिन पायलट ने अपनी बात पार्टी के प्रमुख के सामने रख दी है। दो साल पहले, पायलट ने जब सीएम के पद के लिए अपनी दावेदारी की थी तो उन्‍हें 18 विधायकों का साथ मिला था। वहीं प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत को अपने विधायकों को लेकर रिसॉर्ट में रहना पड़ा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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