नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ देश भर में विरोध कर रहे लोगों की मंशा धीरे-धीरे अब साफ हो चुकी है। शरजील इमाम की वायरल स्पीच ने इन लोगों के मनसूबों का खुलासा कर दिया है। इस बीच जामिया की उस आयशा रेना और लदीदा की सच्चाई से भी पर्दा उठ गया है, जिसे पिछले महीने तक बरखा दत्त असली शीरो (Shero, हीरो की स्त्रीलिंग) के रूप में पेश कर रही थीं और उसके कट्टरपंथी रवैये का खुलकर समर्थन कर रहीं थीं।
दरअसल, भारत से असम को काटने की बात करने वाले शरजील इमाम पर दर्ज हुए केसों को आयशा ने वापस लेने की माँग उठाई है। आयशा का मानना है कि शरजील के ख़िलाफ़ असम और उत्तर प्रदेश की पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, वो निंदाजनक है।
बरखा दत्त की इस शीरो के अनुसार शरजील सिर्फ़ नागरिकता संशोधन कानून का मौख़िक आलोचक है और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जो उसने असम के बारे में बयान दिया, उसे संघ के लोग और भाजपा प्रवक्ता गलत तरह से पेश कर रहे हैं।
आयशा अपने फेसबुक पर शरजील इमाम के साथ एकजुटता में खड़े करीब 30 लोगों का नाम उल्लेख करके लिखती हैं, “हम, जागरूक कार्यकर्ता, छात्र और शिक्षाविद्, शरजील इमाम के साथ एकजुटता में खड़े हैं और उनके खिलाफ सभी मामलों को तुरंत रद्द करने की माँग करते हैं। हम सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मीडिया और पुलिस के इस्लामोफोबिक व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। हम देश भर में चल रहे एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शनों के दौरान राज्य दमन के सभी पीड़ितों के लिए बिना शर्त समर्थन और एकजुटता प्रदान करते हैं।”
सोशल मीडिया पर शरजील के ख़िलाफ़ दर्ज केसों को वापस लेने की माँग उठाते हुए आयशा ये भी कहती है कि ये सब राज्य सरकार और संघ परिवार की कोशिशें हैं ताकि इस प्रोटेस्ट को खत्म किया जा सके। आयशा जब अपने इस्लामी ‘भाईजान’ शरजील के लिए खुल कर लिखती है तो लदीदा पीछे कैसे रहती! लदीदा ने इसके लिए ट्विटर का सहारा लिया। बातें वही लिखी, अपनी मानसिकता के अनुसार।
This witch hunting of @_imaams and @SharjeelUsmani need to be stopped. If you share this witch hunting psyche are equally dangerous at this juncture. I unconditionally stand with both our brothers who are at lead against this fascist government.#InSolidarityWithSharjeelImam pic.twitter.com/2vFGETG0uQ
— Ladeeda Farzana (@ladeedafarzana) January 25, 2020
गौरतलब है कि बीते दिनों ऑपइंडिया ने शाहीन बाग के प्रोटेस्ट में कट्टरपंथी इस्लामी मानसिकता की भूमिका की पड़ताल की थी। जिसमें साफ हुआ था कि शाहीन बाग का प्रोटेस्ट कोई आम प्रोटेस्ट नहीं है। बल्कि ये सोची-समझी साजिश है, जिसे रचने वाले शरजील जैसे कट्टरपंथी लोग हैं। और अब इन जैसे ‘देशद्रोहियों’ को समर्थन किससे मिल रहा है? उनसे जो ला इलाहा इल्ललाह का नारा बुलंद करती है और जो ऐसा नहीं करता है, उसे काफिर मानती है।
बता दें कि इससे पहले आयशा रेना 25 जनवरी को भी शरजील इमाम और शरजील उस्मानी के समर्थन में आवाज उठा चुकी है। इस दौरान आयशा ने दोनों को अपना भाई बंधु बताते हुए कहा था कि वे केवल फासीवादी सरकार से लड़ रहे हैं। इसलिए उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना बंद हो जाना चाहिए।
पुराना Pak परस्त है संविधान और ‘भारत’ से घृणा करने वाला शरजील इमाम, हिन्दुओं को निकालना चाहता है