Saturday, April 27, 2024
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‘जय श्रीराम’ के बैनर पर FIR, सोशल मीडिया पर CM की आलोचना से गई नौकरी: 2020 में राज्य सरकारों की तानाशाही

बैनर पर ‘जय श्रीराम’ लिखा हुआ था। केरल की पुलिस ने सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश के तहत FIR दर्ज कर दिया। जबकि बंगाल में भाजपा कार्यकर्ता की मौत के बाद BJP के ही नेताओं पर मुकदमा!

2020 में कई ऐसे मौके सामने आए जब यह देखने को मिला कि अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने का प्रयास किया गया। नागरिकों के अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को ताक पर रख कर राज्य सरकारों ने तानाशाही के तमाम उदाहरण पेश किए। राज्य सरकारों के कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया कि वह आलोचना झेलने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी और जिसने भी ऐसा करने का प्रयास किया, उसके खिलाफ मानहानि या फिर FIR दर्ज किए गए। कुछ लोगों को तो अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा। आज हम आपको 2020 की ऐसी ही टॉप 10 खबरों से रुबरु करवाते हैं।

1. फेसबुक पर CM पिनराई विजयन की आलोचना पड़ी भारी: एयरपोर्ट कर्मचारी को धोना पड़ा नौकरी से हाथ

केरल के कन्नूर इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (KIAL) के एक स्टाफ मेंबर केएल रमेश को फेसबुक पोस्ट के कमेंट सेक्शन में केरल के सीएम पिनराई विजयन के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी करने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया। दरअसल रमेश ने 20 नवंबर को पद्मनाभस्वामी मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संबंध में अपने फेसबुक पोस्ट पर केरल के सीएम और राज्य सरकार की आलोचना की थी। 

उनके फेसबुक पोस्ट के खिलाफ कई ‘शिकायतें’ सामने आई। जिसके बाद KIAL ने मामले का संज्ञान लिया और अधिकारियों ने जाँच का आदेश दिया था। रमेश को पोस्ट के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया, जिसे कथित तौर पर अनुशासनात्मक मानदंडों का उल्लंघन माना गया था। बता दें कि सीएम पिनाराई विजयन भी KIAL के अध्यक्ष हैं।

2. केरल में ‘जय श्री राम’ और छत्रपति शिवाजी का बैनर लगाने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज

केरल की पुलिस ने 17 दिसंबर 2020 को तमाम भाजपा कार्यकर्ताओं पर एक विशालकाय बैनर फहराने के लिए मामला दर्ज कर लिया। यह बैनर पलक्कड़ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की इमारत पर फहराया गया था और इस बैनर पर ‘जय श्रीराम’ लिखा हुआ था। यह घटना केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में हुई भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद हुई थी।  

पलक्कड़ म्युनिसिपल सचिव बालाराम द्वारा की गई शिकायत के बाद पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज किया था। शिकायत के दौरान सचिव ने यह भी कहा कि इस घटना के ज़रिए सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश हुई थी। बुधवार (16 दिसंबर 2020) को तमाम भाजपा कार्यकर्ता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की इमारत के सामने केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में मिली जीत का जश्न मना रहे थे। इस दौरान मौके पर भाजपा समर्थित नारे भी लगाए गए।

3. उद्धव ठाकरे को धृतराष्ट्र और उनके बेटे को पेंगुइन कहने पर फेसबुक यूजर के खिलाफ कार्रवाई

एक फेसबुक यूजर द्वारा महाराष्ट्र के सीएम की तुलना धृतराष्ट्र से और अदित्य ठाकरे को पेंगुइन कहने पर 10 लाख रुपए के मानहानि का मुकदमा ठोका गया। महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करने वाले अपने फेसबुक पोस्ट की वजह से मुंबई के कमाठीपुरा के रहने वाले बालकृष्ण दीकोंडा (Balakrishna Deekonda) मुसीबत में पड़ गए। मुख्यमंत्री और राज्य सरकार ने उन्हें सीएम और उनकी सरकार की प्रतिष्ठा को खराब करने का आरोप लगाते हुए एक वैधानिक नोटिस भेजा। मुंबई स्थित अधिवक्ता प्रकाश यू सुतार के माध्यम से भेजे गए नोटिस में दीकोंडा के कई पोस्ट को कोट करते हुए कहा गया था कि इनमें सीएम और सरकार के लिए बदनाम करने वाले और अपमानजनक बयान हैं।

4. आदित्य ठाकरे को ‘बेबी पेंग्विन’ और उद्धव को कहा औरंगजेब: नागपुर के युवक पर FIR दर्ज

इसी तरह मुंबई पुलिस ने ट्विटर पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी, उनके बेटे और पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे को ‘बेबी पेंग्विन’ और ऊर्जा मंत्री नितिन राउत के खिलाफ भद्दे पोस्ट करने के लिए समित ठक्कर नाम के एक युवक के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

शिकायत के अनुसार, तीस वर्षीय आरोपित नागपुर निवासी समित ठक्कर ने जून 01, जून 30 और जुलाई 01 को ठाकरे और राउत के बारे में कथित तौर पर आपत्तिजनक पोस्ट किए थे। ऐसे ही एक ट्वीट में समित ठक्कर ने उद्धव ठाकरे को औरंगज़ेब और आदित्य ठाकरे को ‘बेबी पेंग्विन’ कहा था।

वीपी रोड पुलिस ने गत सोमवार को समित ठक्कर पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मानहानिकर लेख लिखने और अश्लील लेख प्रसारित करने, ड्रॉइंग या फिर किसी अन्य तरह से अपमानित करने पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।

5. उद्धव ठाकरे की आलोचना करने पर महाराष्ट्र पुलिस ने किया ट्विटर यूजर को गिरफ्तार

एक और मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की आलोचना करने पर सुनैना होले नाम की एक ट्विटर यूजर को गिरफ्तार कर लिया। सुनैना के खिलाफ़ शिवसेना की यूथ विंग के नेता रोहन चव्हाण ने नालासोपारा के तुलिंज थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

अपनी शिकायत में चव्हाण ने कहा था कि सुनैना ने ट्विटर पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक पोस्ट किया। शिकायत में सुनैना के रियल अकॉउंट के अलावा @NidarNaari अकाउंट का उल्लेख किया गया। उन्होंने बताया कि सुनैना बैकअप अकॉउंट के रूप में इसे चलाती हैं। चव्हाण ने शिकायत में कहा कि सुनैना ने अपने बेहद आक्रामक पोस्ट के जरिए शिवसेना प्रमुख और उनके बेटे की छवि को सोशल मीडिया पर बिगाड़ने का प्रयास किया।

6. मुंबई पुलिस ने दर्ज की Republic TV के 1000 मीडियाकर्मियों के खिलाफ FIR

मुंबई पुलिस को कथित रूप से बदनाम करने के आरोप में अक्टूबर 23, 2020 को समाचार चैनल Republic TV के 4 पत्रकारों समेत चैनल के लगभग सभी मीडियाकर्मियों के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। Republic TV मीडिया नेटवर्क ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इतिहास में पहली बार किसी न्यूज़ चैनल के खिलाफ ऐसी कार्रवाई हुई है।

एक अधिकारी ने कहा था कि शहर के एनएम जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में शहर पुलिस आयुक्त के खिलाफ ‘विद्रोह’ के बारे में चैनल द्वारा चलाई गई एक रिपोर्ट से संबंधित था।

अधिकारी ने कहा था कि FIR पुलिस की धारा 3 (1) के तहत दायर की गई है। इसमें एंकर और डिप्टी न्यूज एडिटर शिवानी गुप्ता, एंकर और सीनियर एसोसिएट एडिटर सागरिका मित्रा, डिप्टी एडिटर शवन सेन और कार्यकारी संपादक निरंजन नारायणस्वामी का नाम था।

रिपब्लिक चैनल का कहना था कि चैनल की पूरी एडिटोरियल टीम के खिलाफ FIR दर्ज की गई, जिसका मतलब था कि करीब 1000 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। रिपब्लिक टीवी ने इसे ‘मीडिया अधिकारों पर हमला’ करार देते हुए कहा था कि चैनल बदले की भावना से की जा रही कार्रवाई के खिलाफ हर ‘मजबूत रणनीति’ से लड़ेगा, मुंबई पुलिस आयुक्त संविधान और कानून से ऊपर नहीं है।

7. मुंबई पुलिस ने अर्णब, उनकी पत्नी व बेटे पर भी दर्ज की FIR, पुलिस को पीटने का लगाया आरोप

मुंबई पुलिस ने बुधवार (नवंबर 4, 2020) शाम को रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी और उनकी पत्‍नी, बेटे और दो अन्‍य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। उन्‍होंने गिरफ्तार करने गए पुलिस अधिकारियों के सामने विरोध दर्ज कराया था। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 353, 504, 506 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

इस एफआईआर में कहा गया था कि जब पुलिस की टीम अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार करने उनके घर पहुँची तो उस दौरान उन्होंने महिला पुलिस अधिकारी सुजाता तानवडे से मारपीट की। जबकि सामने आए वीडियो में स्पष्ट दिख रहा था कि अर्णब के साथ मुंबई पुलिस द्वारा धक्का-मुक्की और मारपीट की गई।

8. सुशांत सिंह मामले में ‘बड़ा खुलासा’ करने पर मुंबई पुलिस ने वकील विभोर आनंद को किया गिरफ्तार

सुशांत सिंह राजपूत मामले में न्याय माँग रहे वकील विभोर आनंद को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सोशल मीडिया रिपोर्ट्स और वकील विभोर आनंद के समर्थकों के अनुसार, 15 अक्टूबर 2020 की दोपहर मुंबई पुलिस साइबर सेल ने उन्हें दिल्ली से गिरफ्तार किया। इसके बाद रात के लगभग 8 बजे मुंबई पुलिस साइबर सेल के अधिकारी उन्हें फ्लाइट से मुंबई लेकर गए थे।

इससे पहले मुंबई की सिविल कोर्ट ने विभोर आनंद समेत कई लोगों को सुशांत सिंह मामले में अरबाज़ खान का नाम शामिल करने से मना किया था। अदालत की तरफ से यह प्रतिक्रिया ठीक उस वक्त आई थी, जब अरबाज़ खान ने सुशांत सिंह राजपूत मामले में अपना नाम घसीटे जाने पर मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके अलावा अभिनेता ने यह भी कहा था कि इस मामले में सोशल मीडिया पर उन्हें लेकर कोई टिप्पणी या विचार नहीं साझा किए। 

9. किसान चौपाल से कॉन्ग्रेस भड़की, राजस्थान में 800 पर FIR

किसानों के हित में तीनों कृषि कानूनों का विरोध करने का दावा करने वाली कॉन्ग्रेस की राज्य सरकारें किसानों के खिलाफ ही मामले दर्ज करवाए। राजस्थान में भाजपा की चौपाल में जुटे सैकड़ों किसानों पर FIR दर्ज की गई। राजस्थान में भाजपा ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार को रोकने के लिए कई चौपाल के आयोजन का कार्यक्रम बनाया था, जिसमें किसानों को इन कानूनों के फायदे गिनाए जाने थे।

राजस्थान की पुलिस ने भाजपा नेता भूपेंद्र यादव समेत उन 800 किसानों के खिलाफ FIR दर्ज की थी, जो चौपाल में शामिल हुए थे। पुलिस ने इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए महामारी एक्ट का सहारा लिया। डेढ़ दर्जन भाजपा नेताओं के साथ-साथ चौपाल में उपस्थित किसानों के खिलाफ FIR दर्ज किया गया। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने इस घटना की निंदा करते हुए पूछा था कि क्या राजस्थान में कॉन्ग्रेस के राज में कोई लोकतंत्र बचा भी है?

10. सिलीगुड़ी में BJP कार्यकर्ता की हत्या के बाद बंगाल पुलिस ने भाजपा नेताओं पर ही कर दी कार्रवाई

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में दिसंबर 7, 2020 को हुई हिंसा में भाजपा कार्यकर्ता की मौत के बाद राज्य पुलिस ने भाजपा के ही कई दिग्गज नेताओं के ख़िलाफ़ मुकदमा दायर कर दिया। पुलिस ने बंगाल में भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय और राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष समेत कई नेताओं का नाम एफआईआर में शामिल किया था। 

ये पूरा मुकदमा IPC की गैर जमानती धाराओं के तहत दर्ज हुआ था। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि आरोपितों ने सरकारी मुलाजिमों पर हमला बोला। पुलिस द्वारा लगाई बैरिकेडिंग को तोड़ा और प्रदर्शन के दौरान आगजनी और पत्थरबाजी की। पुलिस द्वारा एफआईआर में नाम लिखे जाने के बाद राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष ने इसे राज्य सरकार का अंत कहा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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