सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र पंचायत व स्थानीय निकाय के चुनाव को बगैर ओबीसी आरक्षण के कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य के इन चुनावों में 27% ओबीसी आरक्षण तय करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार और राज्य चुनाव आयोग से कहा कि वह महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर कोई कदम न उठाए।
After SC’s directions on the OBC quota, the Maharashtra govt called a cabinet meeting at 1 pm to discuss the further steps.
— ANI (@ANI) March 3, 2022
इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि कम से कम 800 ग्राम पंचायतों, 5 नगर निगमों और 100 नगर परिषदों में चुनाव होने हैं। इसके बाद कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को ओबीसी कोटा लागू करने के खिलाफ प्रतिबंध का पालन करते हुए इन स्थानीय निकायों में चुनाव प्रक्रिया को बिना देरी के सूचना जारी करने का निर्देश दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र सरकार की तरफ से बैठक बुलाई गई।
कोर्ट ने कहा कि पिछड़ेपन पर यह रिपोर्ट बिना उचित अध्ययन के तैयार की गई है। पीठ ने रिपोर्ट पर असंतोष जताते हुए इसे तर्क संगत बनाने के लिए कहा। जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली पीठ ने आयोग की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आयोग को मुहैया कराए गए आँकड़ों की सत्यता जाँचने को पड़ताल करनी चाहिए थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सीधा लिख दिया कि अन्य पिछड़ी जातियों को स्थानीय निकायों में उचित प्रतिनिधित्व मिल रहा है। कोर्ट ने सख्ती से पूछा कि आयोग को कैसे पता चला कि आँकड़े ताजा, सही और सटीक हैं?
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने अंतरिम रिपोर्ट की आलोचना करने के बाद आज महाराष्ट्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। आदेश में अदालत ने कहा, “रिपोर्ट में ही उल्लेख है कि आयोग द्वारा स्टडी और रिसर्च के अभाव में इसे तैयार किया गया है। ऐसा करने में विफल होने पर आयोग को अंतरिम रिपोर्ट दाखिल नहीं करनी चाहिए थी। परिणामस्वरुप राज्य चुनाव आयोग से निचले स्तर के किसी भी अधिकारी को रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर कार्रवाई करने की अनुमति देना संभव नहीं है। फिलहाल, हम अंतरिम रिपोर्ट में आयोग द्वारा की गई प्रत्येक टिप्पणियों की शुद्धता पर विस्तार करने का इरादा नहीं रखते हैं। हालाँकि, हम सभी संबंधितों को अंतरिम रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश देते हैं।”
इससे पहले शीर्ष कोर्ट ने 15 दिसंबर 2021 के अपने आदेश में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना आरक्षण की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। बता दें कि महाराष्ट्र में 2021 में स्थानीय निकाय के चुनाव होने थे। लेकिन कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 फीसदी आरक्षण बहाली होने तक राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित करने का फैसला दिया।
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने एक रिपोर्ट तैयार की। इसमें कहा गया कि स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जा सकता है। लेकिन 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देने से 50 फीसदी आरक्षण की शर्त का उल्लंघन होता है। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक आवेदन में कहा कि अंतरिम रिपोर्ट को देखते हुए चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ आयोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।