Sunday, September 1, 2024
Homeदेश-समाजमहाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में 27% OBC आरक्षण से सुप्रीम कोर्ट का इनकार,...

महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में 27% OBC आरक्षण से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, EC को लगाई फटकार, कहा- अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर न उठाएँ कोई

कोर्ट ने राज्य के इन चुनावों में 27% ओबीसी आरक्षण तय करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार और राज्य चुनाव आयोग से कहा कि वह महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर कोई कदम न उठाए।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र पंचायत व स्थानीय निकाय के चुनाव को बगैर ओबीसी आरक्षण के कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य के इन चुनावों में 27% ओबीसी आरक्षण तय करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार और राज्य चुनाव आयोग से कहा कि वह महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर कोई कदम न उठाए।

इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि कम से कम 800 ग्राम पंचायतों, 5 नगर निगमों और 100 नगर परिषदों में चुनाव होने हैं। इसके बाद कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को ओबीसी कोटा लागू करने के खिलाफ प्रतिबंध का पालन करते हुए इन स्थानीय निकायों में चुनाव प्रक्रिया को बिना देरी के सूचना जारी करने का निर्देश दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र सरकार की तरफ से बैठक बुलाई गई।

कोर्ट ने कहा कि पिछड़ेपन पर यह रिपोर्ट बिना उचित अध्ययन के तैयार की गई है। पीठ ने रिपोर्ट पर असंतोष जताते हुए इसे तर्क संगत बनाने के लिए कहा। जस्टिस एएम खानविलकर की अगुआई वाली पीठ ने आयोग की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आयोग को मुहैया कराए गए आँकड़ों की सत्यता जाँचने को पड़ताल करनी चाहिए थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सीधा लिख दिया कि अन्य पिछड़ी जातियों को स्थानीय निकायों में उचित प्रतिनिधित्व मिल रहा है। कोर्ट ने सख्ती से पूछा कि आयोग को कैसे पता चला कि आँकड़े ताजा, सही और सटीक हैं? 

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने अंतरिम रिपोर्ट की आलोचना करने के बाद आज महाराष्ट्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। आदेश में अदालत ने कहा, “रिपोर्ट में ही उल्लेख है कि आयोग द्वारा स्टडी और रिसर्च के अभाव में इसे तैयार किया गया है। ऐसा करने में विफल होने पर आयोग को अंतरिम रिपोर्ट दाखिल नहीं करनी चाहिए थी। परिणामस्वरुप राज्य चुनाव आयोग से निचले स्तर के किसी भी अधिकारी को रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर कार्रवाई करने की अनुमति देना संभव नहीं है। फिलहाल, हम अंतरिम रिपोर्ट में आयोग द्वारा की गई प्रत्येक टिप्पणियों की शुद्धता पर विस्तार करने का इरादा नहीं रखते हैं। हालाँकि, हम सभी संबंधितों को अंतरिम रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश देते हैं।”

इससे पहले शीर्ष कोर्ट ने 15 दिसंबर 2021 के अपने आदेश में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना आरक्षण की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। बता दें कि महाराष्ट्र में 2021 में स्थानीय निकाय के चुनाव होने थे। लेकिन कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 फीसदी आरक्षण बहाली होने तक राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित करने का फैसला दिया।

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने एक रिपोर्ट तैयार की। इसमें कहा गया कि स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जा सकता है। लेकिन 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देने से 50 फीसदी आरक्षण की शर्त का उल्लंघन होता है। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक आवेदन में कहा कि अंतरिम रिपोर्ट को देखते हुए चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ आयोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जनता की समस्याएँ सुन रहे थे गिरिराज सिंह, AAP पार्षद शहज़ादुम्मा सैफी ने कर दिया हमला: दाढ़ी-टोपी का नाम ले बोले केंद्रीय मंत्री –...

शहजादुम्मा मूल रूप से बेगूसराय के लखमिनिया का रहने वाला है। वह आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है जो वर्तमान में लखमिनिया से वार्ड पार्षद भी है।

चुनाव आयोग ने मानी बिश्नोई समाज की माँग, आगे बढ़ाई मतदान और काउंटिंग की तारीखें: जानिए क्यों राजस्थान में हर वर्ष जमा होते हैं...

बिश्नोई समाज के लोग हर वर्ष गुरु जम्भेश्वर को याद करते हुए आसोज अमावस्या मनाते है। राजस्थान के बीकानेर में वार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -