Saturday, July 27, 2024
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पवार से हुई अनबन तो उद्धव को याद आए ‘बड़े भाई’, दिल्ली आकर मोदी से करेंगे गुफ्तगू

इस महीने की शुरुआत में भी उद्धव ने भविष्य में दोबारा बीजेपी से गठबंधन के संकेत दिए थे। शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मैं ऐसा नहीं कह रहा हूँ कि हम भविष्य में उनके (भाजपा) साथ गठबंधन नहीं करेंगे।”

बीजेपी के साथ दशकों पुराना गठबंधन तोड़ उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए उन्होंने कहा था कि बड़े भाई से मिलने दिल्ली जाएँगे। लगता है मुलाकात की वह घड़ी आ गई है। शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।

राउत ने बताया है कि उद्धव शुक्रवार को दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात की वजह नहीं बताई गई है। लेकिन, सीएम बनने के बाद दिल्ली की अपनी पहली यात्रा पर उद्धव ऐसे वक्त में आ रहे हैं जब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के साथ अनबन की खबरें चर्चा में हैं। इससे महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मियॉं अचानक से तेज हो गई हैं।

शिवसेना ने महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई थी। 28 नवंबर को इसके मुखिया के तौर पर उद्धव ने शपथ ली थी। उन्हें सीएम बनाने में पवार की अहम भूमिका मानी जाती है। लेकिन, भीमा-कोरेगॉंव के मसले पर दोनों के बीच तल्खी बढ़ गई है। उद्धव ठाकरे ने एल्गार परिषद की जाँच NIA को सौंपने को मँजूरी दी थी, जिस पर पवार खुलकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।

पवार के दबाव के बावजूद उद्धव ने इस मसले पर पीछे नहीं हटने के उनको स्पष्ट संकेत दिए हैं। इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून CAA को लेकर भी पवार और उद्धव के मतभेद सामने आ चुके हैं। उद्धव ने राज्य में सीएए लागू करने का इशारा करते हुए कहा था, “CAA और NRC दोनों अलग है। NPR भी अलग है। अगर CAA लागू होता है तो इसके लिए किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। NRC अभी नहीं है और इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा।” इसे खारिज करते हुए शरद पवार ने कहा था, “ये महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे का अपना नजरिया है, लेकिन जहाँ तक एनसीपी की बात है, हमने इसके खिलाफ वोट किया है।”

उद्धव की दिल्ली यात्रा से पहले कैबिनेट मंत्री के दर्जे वाले दो शिवसेना नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा भी दिया था। इस्तीफा देने वाले नेता हैं, सांसद अरविंद सावंत और विधायक रविंद्र वायकर शामिल हैं। इनके इस्तीफे पर अंतिम फैसला होना अभी बाकी है। सावंत को उद्धव ने राज्य की संसदीय समन्वय समिति का प्रमुख नियुक्त किया था। तीन सदस्यीय इस कमेटी का गठन खुद मुख्यमंत्री ने किया था। इसका प्रमुख होने के नाते सावंत को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। वहीं, वायकर को मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रमुख समन्वयक बनाया गया था जिसे कैबिनेट मंत्री के बराबर का दर्जा हासिल था।

गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में भी उद्धव ने भविष्य में दोबारा बीजेपी से गठबंधन के संकेत दिए थे। शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि भविष्य में भाजपा के साथ साझेदारी हो सकती है। उन्होंने कहा था, “मैं ऐसा नहीं कह रहा हूँ कि हम भविष्य में उनके (भाजपा) साथ गठबंधन नहीं करेंगे।” उन्होंने विरोधी विचारधारा की पार्टी एनसीपी और कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन करने के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि पिता बाला साहेब से किए वादे को पूरा करने के लिए उन्होंने किसी भी हद तक जाने का फैसला किया था। उद्धव का कहना है उन्होंने पिता से किसी शिवसैनिक को राज्य का सीएम बनाने का वादा किया था। ठाकरे ने कहा, “जब मुझे महसूस हुआ कि भाजपा के साथ रहकर अपने पिता से किया गया वादा पूरा नहीं किया जा सकता, तो मेरे पास इसे स्वीकार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।”

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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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