Monday, July 14, 2025
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‘3 साल का था जब माँ की उँगली पकड़ पीलीभीत आया था’: बदला 35 सालों का इतिहास तो क्षेत्र की जनता को वरुण गाँधी ने लिखा पत्र, कहा – बेटे के रूप में सेवा करता रहूँगा

उन्होंने वर्षों तक पीलीभीत की जनता की सेवा के अवसर के लिए खुद को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि एक सांसद ही नहीं बल्कि एक व्यक्ति के रूप में भी उनके परवरिश व विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता व सहृदयता का बहुत योगदान है।

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने अब तक 7 सूची जारी कर दी है। इन सीटों में एक पीलीभीत भी है, जहाँ से पार्टी के वरुण गाँधी सांसद हैं। हालाँकि, इस बार उनका टिकट काट कर जितिन प्रसाद को चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है। वरुण गाँधी पिछले कुछ वर्षों से कई मुद्दों पर पार्टी से अलग रुख अपनाए हुए थे। हालाँकि, उनकी माँ मेनका गाँधी को सुल्तानपुर में बरकरार रखा गया है। अटकलें थीं कि सपा और कॉन्ग्रेस ने वरुण गाँधी को चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है, लेकिन अब खुद सांसद ने अपने क्षेत्र की जनता के नाम एक पत्र लिख कर सब कुछ साफ़ कर दिया है।

वरुण गाँधी ने पीलीभीत के नागरिकों को प्रणाम करते हुए इस पत्र में लिखा है कि अनगिनत यादों के कारण आज वो भावुक हैं, उन्हें वो 3 साल का बच्चा याद आ रहा है जो माँ की उँगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था। बकौल वरुण गाँधी, तब उस बच्चे को कहाँ पता था कि एक दिन ये धरती उसकी कर्मभूमि होगी और यहाँ के लोग उसका परिवार। उन्होंने वर्षों तक पीलीभीत की जनता की सेवा के अवसर के लिए खुद को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि एक सांसद ही नहीं बल्कि एक व्यक्ति के रूप में भी उनके परवरिश व विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता व सहृदयता का बहुत योगदान है।

1980 में मात्र 34 वर्ष की आयु में प्लेन क्रैश में चल बसे अमेठी के तत्कालीन सांसद संजय दिवंगत संजय गाँधी के बेटे वरुण गाँधी ने पत्र में लिखा, “पीलीभीत की जनता का प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आवाज़ उठाई है। एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम साँस तक खत्म नहीं हो सकता। सांसद के तौर पर नहीं तो आपके बेटे के तौर पर ही सही, मैं हमेशा आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहूँगा और मेरे दरवाजे हमेशा के लिए आपके लिए खुले रहेंगे।”

वरुण गाँधी ने कहा कि वो राजनीति में आम आदमी की तरफ आवाज़ उठाने आए थे और आज वो जनता से यही आशीर्वाद माँगते हैं कि वो सदैव यही कार्य करते रहें, भले ही इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े। वरुण गाँधी ने कहा कि उनका और पीलीभीत की जनता का रिश्ता विश्वास का है और ये किसी भी राजनीतिक गुना-भाग से ऊपर है। वरुण गाँधी ने पीलीभीत के लोगों को आश्वस्त किया कि वो उनके थे और उनके ही रहेंगे। बता दें कि वरुण गाँधी भारत की दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के पोते हैं।

जहाँ तक पीलीभीत लोकसभा का सवाल है, वरुण गाँधी यहाँ से 2009 और 2019 में सांसद चुने जा चुके हैं। वहीं 2014 में वो सुल्तानपुर से सांसद चुने गए थे। पीलीभीत से उनकी माँ मेनका गाँधी 1989, 1996, 98, 99, 2004 और 2014 में सांसद रही हैं। वहीं मेनका गाँधी उत्तर प्रदेश के आँवला से भी 2009 में सांसद रही हैं। पीलीभीत में पिछले 35 वर्षों में दूसरा और 28 वर्षों बाद पहला मौका है जब मेनका-वरुण यहाँ से सांसद नहीं हैं। मेनका गाँधी यहाँ से 1991 में चुनाव हार गई थीं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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