शेक्सपीयर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है। पर राजनीति में एक नाम कई संदेश दे जाती है। खासकर यदि आपका नाम दीया कुमारी हो। बीजेपी ने बस एक इसी नाम से आधी आबादी के साथ-साथ राजपूत वोटरों को भी साधने का काम कर लिया है।
15 दिसंबर 2023 को शपथ लेने जा रहीं दीया राजस्थान की पहली महिला उप मुख्यमंत्री होंगी। जयपुर की विद्याधर नगर सीट से विधायक चुनी गईं दीया कुमारी का नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में भी था। वे राजस्थान की राजसमंद सीट से सांसद भी रह चुकी हैं।
दीया कुमारी का परिवार स्वतंत्र भारत के सबसे चर्चित राजपरिवारों में से एक हैं। वे उन्हीं गायत्री देवी की पोती हैं, जिन्होंने इंदिरा गाँधी से लोहा लिया था। इमरजेंसी में उन्हें जेल में रहना पड़ा था। उनके किले में भी इंदिरा ने सेना भेज दी थी।
दीया कुमारी के पुरखे भगवान राम के वंशज थे। जब रामजन्मभूमि केस पर सुनवाई के दौरान 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भगवान राम के वंशजों के बारे में पूछा था तो दीया कुमारी ने बताया था कि उनका परिवार भगवान राम के पुत्र कुश से संबद्ध है। उन्होंने बताया था कि जयपुर के पूर्व राजा और उनके पिता महाराजा भवानी सिंह कुश की 307वीं पीढ़ी के थे।
इसका सबूत पेश करते हुए उन्होंने एक पत्रावली भी दिखाई थी। इसमें भगवान राम के वंश के सभी पूर्वजों का नाम क्रम से लिखा हुआ है। इसी पत्रावली में 209वें वंशज के रूप में सवाई जयसिंह और 307वें वंशज के रूप में दीया के पिता महाराजा भवानी सिंह का नाम लिखा हुआ था।
महावीर चक्र विजेता की बेटी, राजघराने के बाहर शादी
52 वर्ष की दीया कुमारी का संबंध जयपुर राजघराने से है। उनका राजघराना कच्छवाहा राजपूतों का है। दीया कुमारी जयपुर के महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की संतान हैं। उनके पिता ब्रिगेडियर भवानी सिंह महावीर चक्र से वर्ष 1971 में सम्मानित किए गए थे। वे ब्रूनेई में भारत के राजदूत भी रहे थे।
दीया कुमारी की पढ़ाई जयपुर, दिल्ली और लंदन में हुई है। उन्होंने अपनी मर्जी से राजपरिवार से बाहर के नरेन्द्र सिंह से प्रेम विवाह किया था। यह प्रेम विवाह उन्हें पहले आर्य समाज और फिर कोर्ट में करना पड़ा था, क्योंकि इसके लिए नरेन्द्र और दीया, दोनों के ही माता-पिता राजी नहीं थे।
उनके और नरेन्द्र सिंह के परिवार का गोत्र एक होने के कारण काफी बवाल हुआ था और ब्रिगेडियर भवानी सिंह को राजपूत महासभा के अध्यक्ष पद को छोड़ना पड़ा था। हालाँकि, उनका और नरेन्द्र सिंह का अब तलाक हो चुका है।
दो महाराजा की माँ
दीया कुमारी के तीन संतान हैं। पद्मनाभ सिंह और लक्ष्यराज सिंह उनके बेटे हैं, जबकि राजकुमारी गौरवी कुमारी उनकी बेटी हैं। उनके बड़े बेटे पद्मनाभ सिंह जयपुर के वर्तमान महाराजा हैं, जबकि दूसरे छोटे बेटे लक्ष्यराज सिंह सिरमौर के महाराजा हैं।
पद्मनाभ सिंह 2011 सवाई भवानी सिंह की मृत्यु के बाद जयपुर के महाराजा बनाए गए थे। उनके छोटे बेटे लक्ष्यराज सिंह को सिरमौर का महाराजा 2013 में बनाया गया था। दरअसल, लक्ष्यराज की नानी पद्मिनी देवी सिरमौर से सम्बन्ध रखती हैं।
बड़े अंतर से चुनाव जीतती रहीं हैं दीया कुमारी
दीया कुमारी का परिवार पहले से ही राजनीति से जुड़ा रहा रहा है। उनकी दादी गायत्री देवी जयपुर से कई बार सांसद रहीं। दीया कुमारी की राजनीति में एंट्री वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों के समय हुई थी। तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और वसुंधरा राजे की उपस्थिति में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की थी।
उन्हें पहली बार 2013 के विधानसभा चुनावों में सवाई माधोपुर सीट से टिकट दिया गया था। यहाँ उन्होंने कॉन्ग्रेस के दानिश अबरार को हराया था। इसके बाद 2018 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने राजनीति से दूरी बनाई। पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें राजसमन्द सीट से टिकट दिया था।
यहाँ उन्होंने कॉन्ग्रेस के देवकीनंदन काका को 5.51 लाख वोटों के अंतर से हराया था। उन्हें डाले गए कुल वोटों का 70% वोट मिले थे। 2023 के विधानसभा चुनावों में केन्द्रीय नेतृत्व ने उन्हें जयपुर की विद्याधरनगर सीट से चुनावों में उतारा था। यहाँ उन्होंने 1.58 लाख वोटों के अंतर से कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार सीताराम अग्रवाल को हराया है।
दीया कुमारी को सड़क पर उतर कर राजनीति करने वाले नेताओं में गिना जाता है। जयपुर की जनता उन्हें काफी पसंद करती है।