Friday, October 4, 2024
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अफगान महिला ने रोटी के लिए नवजात बच्ची को ₹37000 में बेचा, तालिबान राज में 2.28 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार

अफगानिस्तान के हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। भ्रष्टाचार और अराजकता से तबाह देश 40 फीसदी विदेशी सहायता पर निर्भर है, लेकिन तालिबान के कब्जे के साथ ही विदेशी फंडिंग भी रूक गई है। इससे वहाँ के हालात और खराब हो गए हैं।

लाचारी क्या होती है, इसे मौजूदा वक्त में अफगानिस्तान के लोगों से बेहतर शायद ही कोई समझ सकता है, जहाँ अपना पेट भरने के लिए माँओं को अपनी संतानों तक का सौदा करना पड़ रहा है। अफगानिस्तान में जब से तालिबान का शासन स्थापित हुआ है, वहाँ के हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। वहाँ के हालात कितने बुरे हैं, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि काबुल की एक महिला को अपनी दुधमुँही बेटी को केवल 500 डॉलर (करीब 37,517 रुपए) में बेचना पड़ा।

रिपोर्ट के मुताबिक, बेबस माँ को अपने दूसरे बच्चों और अपना पेट पालने के लिए नवजात को बेचना पड़ा है। नवजात के खरीददार ने परिवार को पहली किश्त के तौर पर 250 डॉलर दिए। बाकी की रकम जब वह बच्ची को ले जाएगा तब देगा। खरीददार का कहना है कि वह अपने बेटे से शादी करने के लिए लड़की की परवरिश करना चाहता है। हालाँकि, इस बात की कोई गारंटी नहीं है। महिला का कहना है कि जो 250 डॉलर मिले हैं, इससे कुछ महीनों तक उसके परिवार का खर्चा चल जाएगा।

लाचार माँ ने बताया, “मेरे दूसरे बच्चे मर रहे थे, इसलिए हमें अपनी बेटी को बेचना पड़ा। मैं काफी दुखी हूँ। काश मुझे अपनी बेटी को बेचना नहीं पड़ता। बच्ची के पिता कूड़ा उठाने का काम करते हैं, लेकिन इससे वो कुछ भी नहीं कमा पाते हैं। हमारे पास न आटा है, न तेल। मेरी बेटी को यह नहीं पता कि उसका क्या भविष्य होगा। मुझे बिल्कुल भी नहीं पता कि वो बड़ी होने पर इसके बारे में क्या सोचेगी, लेकिन मुझे ये करना पड़ेगा।”

1 मिलियन लोगों के मरने का खतरा

अफगानिस्तान के हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। भ्रष्टाचार और अराजकता से तबाह देश 40 फीसदी विदेशी सहायता पर निर्भर है, लेकिन तालिबान के कब्जे के साथ ही विदेशी फंडिंग भी रूक गई है। इससे वहाँ के हालात और खराब हो गए हैं। विश्व खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान की आधी से अधिक आबादी यानी लगभग 2.28 करोड़ लोग, आने वाले महीनों में तीव्र कुपोषण के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में 10 लाख बच्चों को अगर तत्काल इलाज नहीं मिला तो उनके मरने का खतरा होगा।

डब्ल्यूएफपी के मुताबिक, अफगानिस्तान में बदतर होते हालात को सँभालने के लिए लाखों डॉलर की आवश्यकता है, लेकिन तालिबान की वजह से विदेशी सरकारें दान नहीं दे रही हैं। विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कहा है कि हर किसी को खिलाने के लिए 220 मिलियन डॉलर की जरूरत पड़ सकती है। वैश्विक नेताओं ने अफगानिस्तान के लिए लगभग 1 अरब डॉलर की सहायता देने का वादा किया है, लेकिन ये लोग इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कैसे इस फंड को तालिबान के हाथ लगने से बचाया जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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