Wednesday, May 8, 2024
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कौन है करीमा बलूच, जिसकी हत्या पर घिरे कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो: मानवाधिकार संगठन ने कहा – ISI की धमकियों के बावजूद नहीं उठाया कदम, खालिस्तानी आतंकी पर दे रहे भाषण

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की रहने वाली करीमा बलूच बलूचिस्तान आंदोलन का सबसे बड़े चेहरों में से एक थीं। बलूचिस्तान वही प्रांत है जहाँ आज़ादी के लिए आंदोलन हो रहा है।

कनाडा के बलूच मानवाधिकार परिषद ने पीएम जस्टिन ट्रूडो पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। बलूचों के अधिकार की बात करने वाले इस समूह का कहना है कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर तो ट्रुडो भारत से सवाल पूछ रहे हैं। लेकिन, उन्होंने बलूचिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच की मौत पर चुप्पी साध रखी है।

‘बलूच ह्यूमन राइट्स काउंसिल’ ऑफ कनाडा ने जस्टिन ट्रुडो को एक पत्र लिखा है। इसमें कनाडा सरकार पर करीमा बलूच की मौत पर अनदेखी करने का आरोप लगाया गया है। साथ ही कहा कि कनाडा सरकार व पुलिस को करीमा को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से मिल रही धमकियों के बारे में जानकारी थी, लेकिन सुरक्षा के कदम नहीं उठाए गए। खालिस्तानी आतंकी निज्जर की मौत पर तो ट्रुडो जोशीले भाषण दे रहे हैं। लेकिन करीमा बलूच की मौत के मामले में उन्होंने कुछ भी नहीं बोला था।

यही नहीं, इस पत्र में बलूच मानवाधिकार समूह ने यह भी कहा है कि कनाडा में बलूचों की जनसंख्या कम है और सांसदों के चुनाव में कोई बड़ा प्रभाव नहीं डाल सकते। इसलिए ऐसा लगता है कि चुनावों को देखते हुए कनाडा सरकार करीमा की मौत के मामले पर ध्यान नहीं दे रही है।

कौन हैं करीमा बलूच

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की रहने वाली करीमा बलूच बलूचिस्तान आंदोलन का सबसे बड़े चेहरों में से एक थीं। बलूचिस्तान वही प्रांत है जहाँ आज़ादी के लिए आंदोलन हो रहा है। मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच पाकिस्तानी हुकूमत को सीधे तौर पर टक्कर देकर बलूचों की आवाज बुलंद कर रही थीं।

वह बलूचों का इतना बड़ा चेहरा बन गई थीं कि पाकिस्तान सरकार और ISI ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया था। हालत यह थी कि बलूचिस्तान आंदोलन से जुड़े लोग धीरे-धीरे गायब होने लगे। इसका आरोप भी पाकिस्तान सरकार और ISI पर ही लगा। इस बीच करीमा बलूच को लगातार धमकियाँ मिलने लगीं। यही नहीं, पाकिस्तानी सेना और ISI ने उन पर आतंकवाद के आरोप मढ़ दिए। इससे तंग आकर वह कनाडा जाकर रहने लगीं।

हालाँकि, करीमा कनाडा जाकर भी खामोश नहीं रहीं। बलूचिस्तान में चल रहे आंदोलन को कनाडा से ही सहयोग कर रहीं थीं। इसके चलते कनाडा में भी उन्हें धमकियाँ मिल रही थीं। एक दिन वो अचानक गायब हो गईं। इसके बाद 21 दिसंबर, 2020 को उनका शव टोरंटो की ओंटारियो नदी किनारे मिला था। 

कनाडाई पीएम ट्रुडो खालिस्तानी आतंकी की मौत पर आज हो-हल्ला मचा रहे हैं, लेकिन बलूच आंदोलन के इतने बड़े चेहरे की मौत पर कनाडा ने एक बयान भी जारी नहीं किया था। वहीं कनाडाई पुलिस ने एक बयान में हत्या के संदेह से इनकार किया था। इसका मतलब यह था कि करीमा बलूच ने आत्महत्या की थी।

करीमा बलूच के पति हम्माल हैदर का कहना है, “मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि उनकी पत्नी ने आत्महत्या की है। वह एक मजबूत महिला थी और अच्छे मूड में घर से निकली थी। इस हत्या में साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्हें धमकियाँ मिल रहीं थीं।” इसके अलावा बलूचिस्तान आंदोलन से जुड़े लोग भी करीमा बलूच की मौत को आत्महत्या न मानकर हत्या ही मानते हैं। साथ ही इसके लिए पाकिस्तानी सेना और ISI को जिम्मेदार ठहराते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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