हिंसक तख्तापलट के जरिए बांग्लादेश में सत्ता पर काबिज हुए मोहम्मद यूनुस के लिए खतरे की घंटी बज गई है। अमेरिका में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद से मोहम्मद यूनुस के भविष्य को लेकर प्रश्न उठे हैं। बिना किसी चुनाव के ही महीनों से सरकार चला रहे मोहम्मद यूनुस पर अमेरिका का हाथ माना जा रहा था। लेकिन अब उनकी वह उम्मीद भी टूटती दिख रही है। जो मोहम्मद यूनुस भारत को साइडलाइन करना चाह रहे थे, उनका फैसला अब भारत के ही हाथ में आ गया है। नए अमेरिकी राष्ट्रपति ने बांग्लादेश का फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को करने को कहा है।
यूनुस के सर से हटा अमेरिका का हाथ
शेख हसीना को सत्ता से हटा कर मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश सौंपने के पीछे अमेरिकी एजेंसियों का हाथ माना जाता रहा है। पश्चिमी मीडिया ने तख्तापलट से पहले लगातार शेख हसीना की सरकार को नकारात्मक तरीके से प्रस्तुत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अमेरिकी एजेंसियों ने शेख हसीना के शासन के दौरान ही उनके कई करीबियों पर प्रतिबन्ध लगा दिए थे। शेख हसीना ने स्वयं यह स्पष्ट किया था कि उन पर अमेरिका लगातार दबाव डाल रहा है।
अमेरिकी एजेंसी USAID और NED ने इसके लिए बांग्लादेश में विशेष प्रोग्राम भी चलाए थे। एलन मस्क के विभाग DOGE ने खुलासा किया है कि अमेरिका ने 29 मिलियन डॉलर (₹26 करोड़) की धनराशि बांग्लादेश में ‘राजनीतिक माहौल’ को भेजी थी। लेकिन अब इन सब पर ब्रेक लग गया है। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पीएम मोदी के साथ बैठक में कहा है कि उनके डीप स्टेट का अब बांग्लादेश में कोई हाथ नहीं है। यह मोहम्मद यूनुस के लिए एक बड़ा झटका है।
US taxpayer dollars were going to be spent on the following items, all which have been cancelled:
— Department of Government Efficiency (@DOGE) February 15, 2025
– $10M for "Mozambique voluntary medical male circumcision"
– $9.7M for UC Berkeley to develop "a cohort of Cambodian youth with enterprise driven skills"
– $2.3M for "strengthening…
मोहम्मद यूनुस के लिए दूसरा बड़ा झटका अमेरिका से आने वाली मदद का बंद होना है। USAID को ट्रम्प प्रशासन ने बंद कर दिया है। USAID के बंद होने के चलते मोहम्मद यूनुस परेशान हैं। उन्होंने मदद जारी करने को अमेरिका के आगे हाथ पैर जोड़े हैं। मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि यह मदद बंद करने का ठीक समय नहीं है। वर्तमान में केवल रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए ही बांग्लादेश के भीतर मदद आ रही है। बाकी पैसों का स्रोत बंद है। बायडेन के सत्ता से जाने के साथ अब यूनुस की वकालत करने वाले भी कमजोर हो गए हैं।
बांग्लादेश का फैसला अब पीएम मोदी के हाथ में
पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा में डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाक़ात के बाद बांग्लादेश का फैसला किसके हाथ में होगा, यह साफ़ हो चुका है। डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बांग्लादेश का फैसला पीएम मोदी करेंगे। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश का मुद्दा लम्बे समय से भारत के हाथों में है। अमेरिकी राष्ट्रपति का बांग्लादेश मामले को पीएम मोदी के हाथों में छोड़ना उसकी कूटनीतिक मजबूती को दर्शाता है। इसके साथ ही यह पीएम मोदी के ट्रम्प के साथ सम्बन्धों की गहराई को भी प्रदर्शित करता है।
भारत हमेशा से ही बांग्लादेश में शांति का पक्षधर रहा है। उसने जहाँ एक ओर शेख हसीना को शरण दी है, तो वहीं बांग्लादेश की यूनुस सरकार को भी मान्यता दी है। भारत की तरफ से विदेश सचिव भी बातचीत के लिए बांग्लादेश जा चुके हैं। भारत, बांग्लादेश में विकास के लिए भी लगातार प्रोजेक्ट चलाता रहा है। अमेरिका से मदद बंद होने के बाद अब बांग्लादेश के पास भारत के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। वह पहले ही कई मामलों में भारत पर निर्भर है।
क्या लाइन पर आएगा बांग्लादेश?
भारत अब चाहेगा कि बांग्लादेश अपने यहाँ हिन्दुओं समेत बाकी अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार को रोके और लगातार बढ़ते कट्टरपंथ पर लगाम लगाए। इसका एक नमूना हाल ही में देखने को भी मिला था। ढाका धानमंडी में जब शेख हसीना का पैतृक आवास तोड़ा गया था तो भारत ने इसकी कड़ी आलोचना की थी। उसने इस दौरान मोहम्मद यूनुस सरकार की भारत पर टिप्पणियों के बाद बांग्लादेशी हाई कमिश्नर को बुला कर कड़ी फटकार लगाई थी।
बांग्लादेश के रुख में भी थोड़ी नरमी बीते कुछ दिनों में देखने को मिली है। अगस्त में तख्तापलट के बाद भारत से जाने वाली अडानी की बिजली पर ऐतराज जताने वाले बांग्लादेश ने खुद ही अब वापस बिजली सप्लाई चालू करने को कहा है। उसके मंत्रियों के भारत विरोधी बयानों में भी कुछ कमी आई है। भारत के लगातार दबाव के चलते बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी हिंसा पर भी नियंत्रण दिख रहा है। आगे इसमें और कमी आए, इसके लिए लगातार भारत बांग्लादेश से बातचीत करता आया है।
वर्तमान में यूनुस सरकार दबाव में भी है। उस पर उसकी ही सहयोगी BNP लगातार चुनाव करवाने का दबाव बना रही है। बांग्लादेश की पाकिस्तान से लगातार बढ़ती नजदीकी भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं। भारत, बांग्लादेश के भीतर पाकिस्तान के दखल को रोकने के लिए आने वाले दिनों में कुछ कदम उठा सकता है। अब बांग्लादेश को ऐसी स्थिति में अमेरिका से भी कोई मदद हासिल नहीं होगी। अब अगर मोहम्मद यूनुस भारत से संबंध बेहतर करने के रास्ते पर नहीं चलते, तो उनके लिए आगे का समय काफी कठिन हो सकता है।