चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने रक्षा मंत्री ली शांगफू को उनके पद से हटा दिया है। इसका ऐलान चीनी सरकार के प्रोपेगंडा टीवी चैनल के माध्यम से किया गया। वह बीते दो महीने से गायब थे और किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं दिखे थे।
ली शांगफू को पद से हटाने का फैसला विदेश मंत्री किन गांग को हटाने के फैसले के बाद आया है। किन गांग को भी कई महीने गायब रहने के बाद जुलाई में विदेश मंत्री के पद से हटा दिया गया था। यह दो महीने के भीतर चीनी सरकार में दूसरा बड़ा बदलाव है। 65 वर्षीय ली शांगफू पेशे से एयरक्राफ्ट इंजीनियर हैं और लम्बे समय से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य रहे हैं। उनकी लम्बी सैन्य सेवा रही है। ली शांगफू मई में भारत भी आए थे। इस दौरान भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ उनकी वार्ता हुई थी। यह गलवान घटना के बाद किसी चीनी विदेश मंत्री का पहला दौरा था।
ली शांगफू लगभग दो माह से सार्वजनिक कार्यक्रमों से गायब थे। ली शांगफू और किन गांग को इसी के साथ ‘स्टेट काउंसिलर’ और कैबिनेट से भी हटा दिया गया है। यह पद चीनी सरकार में काफी ऊँचे ओहदे वाले मंत्रियों को दिया जाता है।
ली शांगफू को हटाने का निर्णय चीन की पीपुल्स कॉन्ग्रेस ने लिया है। उनकी रक्षा मंत्री के तौर पर नियुक्ति मार्च 2023 में हुई थी। उनको वेई फेंग्हे की जगह पर रक्षा मंत्री बनाया गया था। वह भी सेना से ही आते थे। शांगफू के गायब होने और हटाए जाने के कारण अभी स्पष्ट नहीं है और हमेशा ही जानकारी छुपाने वाली चीनी सरकार ने भी कारण आधिकारिक तौर पर नहीं बताए हैं। हालाँकि, बीते माह कुछ रिपोर्ट में बताया गया था कि शांगफू के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप थे और उनकी जाँच की जा रही थी।
यह भी कहा गया था कि ली शांगफू को पूछताछ के लिए भी ले जाया गया था। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि शांगफू कोा मंत्री पद से हटाए जाने के बाद यह स्पष्ट नहीं है कि उन पर अब मुकदमा चलाया जाएगा या नहीं।
आश्चर्य की बात यह है कि किन गांग और ली शांगफू दोनों चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी माने जाते थे। उनकी नियुक्ति के समय दोनों को चीन की सरकार के नए चेहरों के रूप में देखा गया था लेकिन कुछ ही महीनों के भीतर दोनों का जनता से गायब होना और पद से हटाया जाना आश्चर्यजनक है।
एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि ली को आखिरी बार 29 अगस्त को बीजिंग में एक कार्यक्रम में देखा गया था लेकिन उसके कुछ हो दिनों बाद उनकी वियतनाम यात्रा को रद्द कर दिया गया था। वियतनाम यात्रा रद्द होने के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया था। इसके बाद से वह कहीं नहीं देखे गए। चीन का राजनीतिक तंत्र तानाशाह और अस्पष्ट है। चीन में सारी शक्तियां कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और देश के राष्ट्रपति के पास होती हैं। यहाँ मंत्रियों की नियुक्तियाँ भी उसी के प्रसाद पर होती हैं। चीन में भ्रष्टाचार के आरोप में कई नेताओं को बड़ी सज़ाएँ देने के मामले सामने आए हैं।