Saturday, April 27, 2024
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‘PM मोदी की आलोचना पर 7 साल जेल – कर्मचारियों को धमकी’: ‘ट्विटर फाइल्स 5.0’ में NYT की रिपोर्ट के आधार पर झूठा दावा, फर्जी खबरें फैलाने पर मिली थी चेतावनी

हाँ तक ​​कि वामपंथी मीडिया हाउस, 'द वाशिंगटन पोस्ट' ने भी एक पत्र प्रकाशित करते हुए बताया था कि ट्विटर के 300 कर्मचारियों ने डोनाल्ड ट्रंप को ट्विटर से हटाए जाने को लेकर हस्ताक्षर किए हैं।

ट्विटर फाइल्स (Twitter Files) की अब तक रिलीज हुई सीरीज से अमेरिका की राजनीति में सनसनी मची हुई थी। वहीं, अब ‘ट्विटर फाइल्स 5.0’ (Twitter Files 5.0) में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर झूठा दावा भी किया गया है। इसके अलावा, इस नई सीरीज (ट्विटर फाइल्स 5.0) में खुलासा किया गया है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बैन करने के बाद ट्विटर कर्मचारी खुशियाँ मना रहे थे।

दरअसल, ‘द फ्री प्रेस’ की संपादक बारी वीस ने सोमवार (12 दिसंबर, 2022) को 46 ट्वीट्स के थ्रेड में बताया है कि नियमों के उल्लंघन के बिना ही ट्विटर ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ट्विटर हैंडल बैन कर दिया था। इसके साथ ही, उन्होंने दुनिया भर के उन नेताओं का उदाहरण भी दिया है जिनके विवादित ट्वीट या लोगों को उकसाने वाले ट्वीट के बाद भी बैन नहीं किया गया। बारी वीस ने इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जिक्र किया है।

एक ट्वीट में बारी वीस ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है, “फरवरी 2021 की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले सैकड़ों ट्विटर अकाउंट को बहाल करने के लिए सरकार ने ट्विटर के कर्मचारियों को गिरफ्तार करने और उन्हें सात साल तक के लिए जेल भेजने की धमकी दी थी। लेकिन ट्विटर ने मोदी को बैन नहीं किया।”

बारी वीस का यह ट्वीट न केवल भ्रामक है, बल्कि यह जानने के बाद भी कि न्यूयॉर्क टाइम्स फेक खबरें फैलाने के लिए जाना जाता है, उन्होंने इसे कोट किया था। हालाँकि, इस पूरे मामले की सच्चाई दावे से पूरी तरह उलट है।

दरअसल, 10 फरवरी 2021 को, न्यूयॉर्क टाइम्स ने ‘सोशल मीडिया में मोदी के दबाव के बाद ट्विटर ने भारत में अकाउंट्स ब्लॉक किए’ (Twitter Blocks Accounts in India as Modi Pressures Social Media) शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार के दबाव के कारण देश में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अभिव्यक्ति की आजादी नहीं मिल पा रही है। हालाँकि, यह रिपोर्ट कहाँ से आई और इसकी पृष्ठभूमि क्या थी -इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया था। साथ ही, इसमें ट्विटर कर्मचारियों की गिरफ्तारी की बात कहाँ से आई, यह भी स्पष्ट नहीं किया गया।

वास्तव में, ट्विटर कर्मचारियों या ट्विटर पर कार्रवाई की बात की शुरुआत कृषि कानूनों (जो अब निरस्त हो चुके हैं) के विरोध में 26 जनवरी, 2021 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुए ट्रैक्टर मार्च के बाद शुरू हुई थी। इस ट्रैक्टर मार्च के दौरान, आंदोलनजीवियों व उपद्रवियों ने सुरक्षा बलों के खिलाफ हिंसक रुख अपना लिया था। साथ ही, लाल किले पर आपत्तिजनक झंडे फहरा दिए थे और राष्ट्रध्वज तिरंगे का अपमान हुआ था।

इस दौरान ट्विटर पर कुछ खास हैशटैग, फोटोज और कंटेंट और फर्जी खबरों के साथ देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही थी। ऐसा ही एक ट्वीट दुर्घटना के कारण एक प्रदर्शनकारी की मौत से संबंधित था। हालाँकि, मीडिया हाउस और भारत विरोधी लोगों ने झूठ फैलाते हुए दावा किया कि प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली से हुई है।

इसके कुछ दिन बाद, केंद्र सरकार ने आईटी एक्ट की धारा-69A के तहत ट्विटर को नोटिस जारी करते हुए खालिस्तान अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान के 1178 अकाउंट्स ब्लॉक करने के लिए कहा। इसमें 257 ट्विटर अकाउंट ऐसे भी थे, जिन्होंने भारत विरोधी टिप्पणी की थी। हालाँकि, ट्विटर ने कुछ ही अकाउंट्स ब्लॉक किए और इसके बाद उसमें से कुछ अकाउंट्स को अनब्लॉक करते हुए कहा था कि वह किसी भी मीडिया, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं या राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा।

भारत सरकार हरकत में आई और कंपनी को सूचित किया कि उसे देश के कानून का पालन करना होगा। उस समय मुख्य चिंता बड़े पैमाने पर फैलाई जा रही फर्जी खबरें और गलत सूचनाएँ थीं। सरकार द्वारा किसी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का कोई प्रयास नहीं किया गया, लेकिन यह समझना होगा कि कोई भी स्वतंत्रता पूर्ण नहीं होती। भारत सरकार किसी भी तरह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को फर्जी खबरें फैलाने का आधार नहीं बनने दे सकती थी।

इसके बाद 11 फरवरी को, भारत सरकार ने कहा कि भारत के कानूनों को नहीं मानने पर भारत में ट्विटर के कर्मचारियों को गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है। सरकार ने ट्विटर को चेतावनी दी थी कि कंपनी द्वारा आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत नियमों का पालन करने से इनकार करने पर अब कार्रवाई करनी पड़ेगी।

इसका सीधा मतलब यह है कि नियमों के उल्लंघन के बाद सरकार ने चेतावनी दी थी न कि ट्विटर के कर्मचारियों को धमकी। लेकिन, बारी वीस ने सच्चाई जाने बिना ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर झूठा दावा कर दिया।

डोनाल्ड ट्रंप को बैन करने के बाद ट्विटर ऑफिस में खुशी का माहौल

बारी वीस ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ट्विटर से हटाए जाने को लेकर बड़े दावे किए हैं। इन दावों के अनुसार, ट्रंप को ट्विटर से बैन करने के लिए ट्विटर के कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रख दिया था। हालाँकि, ट्विटर की कंटेंट मॉडरेशन टीम को ट्रंप के ट्वीट्स में नियमों का उल्लंघन नहीं मिला था। लेकिन, इसके बाद भी कंपनी के बड़े अधिकारियों ने बैन करने का फैसला कर लिया।

इसके अलावा, ‘ट्विटर फाइल्स 5.0’ में ‘ट्विटर फाइल्स 3.0’ के उस दावे की भी पुष्टि की गई है, जिसमें कहा गया था विजया गड्डे और योएल रोथ ने अपनी सनक और पसंद के हिसाब से फैसले लिए थे।

इसके बाद, ट्विटर के कर्मचारियों ने नए नियम बनाए। इन नियमों के अंतर्गत ट्रम्प को ट्रंप को ट्विटर से पूरी तरह हटाने का फैसला किया गया। 8 जनवरी, 2021 की सुबह, डोनाल्ड ट्रम्प ने दो ट्वीट पोस्ट किए। इसमें उन्होंने अपने समर्थकों को ‘अमेरिकी देशभक्त’ बताया था।

उन्होंने कहा था कि उनके वोटर्स द्वारा उन्हें दिए गए जनादेश का अनादर नहीं किया जा सकता है और वह जो बिडेन के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं जाएँगे।

ट्विटर के कर्मचारियों की माँग

6 जनवरी, 2021 को हुए यूएस कैपिटल दंगों के बाद से ट्विटर के कर्मचारियों के बीच पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही थी। कई कर्मचारियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से उनको हटाए जाने की खुलकर वकालत की थी।

यहाँ तक ​​कि वामपंथी मीडिया हाउस, ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने भी एक पत्र प्रकाशित करते हुए बताया था कि ट्विटर के 300 कर्मचारियों ने डोनाल्ड ट्रंप को ट्विटर से हटाए जाने को लेकर हस्ताक्षर किए हैं। पत्रकार बारी वीस ने बताया है कि ट्विटर के कुछ कर्मचारी ही ट्रंप को ट्विटर से हटाए जाने का विरोध कर रहे थे। लेकिन, ये कर्मचारी अल्पसंख्यक की तरह बन कर रह गए थे।

चूँकि, ट्विटर के अधिकांश कर्मचारी डोनाल्ड ट्रम्प पर प्रतिबंध लगाना चाहते थे। लेकिन, उनके पास इस बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं थे। ट्विटर के आंतरिक दस्तावेजों से पता चला है कि ट्विटर के कर्मचारियों को डोनाल्ड ट्रम्प के सामान्य ट्वीट्स को ‘हिंसा भड़काने’ वाले ट्वीट के रूप में लेबल करना मुश्किल हो रहा था।

8 जनवरी, 2021 की सुबह ट्विटर की सेफ्टी टीम इस नतीजे पर पहुँची थी कि डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया। एक कर्मचारी ने कहा था “बस यह कहने के लिए है कि वह (ट्रम्प) फिर से ट्वीट कर रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट रूप से हिंसक नहीं है। उन्होंने सिर्फ इतना कह है कि वह वहाँ (जो बाइडेन के शपथ ग्रहण में) नहीं जा रहे हैं।”

हालाँकि, अगले डेढ़ घण्टे में चीजें बदलने लगीं और विजया गड्डे (ट्विटर पर कानूनी, नीति और ट्रस्ट की पूर्व प्रमुख) और योएल रोथ (ट्रस्ट एंड सेफ्टी के पूर्व वैश्विक प्रमुख) जैसे अन्य शीर्ष अधिकारियों ने मौजूदा नियमों को दरकिनार करने के तरीके ढूँढे, इसमें वह काफी हद तक कामयाब भी रहे।

इसके बाद, ट्विटर के कर्मचारियों ने ट्रंप की तुलना एडॉल्फ हिटलर से करना शुरू कर दिया। फिर, ट्विटर के संस्थापक जैक डार्सी और विजया गड्डे ने ट्विटर के कर्मचारियों के साथ एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में ट्रम्प पर प्रतिबंध नहीं लगाने के बारे में उनके सवालों का जवाब दिया। इस मीटिंग में योएल रोथ ने आग में घी डालने का काम किया और दावा किया कि ट्विटर के कर्मचारी अब बड़े अधिकारियों की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं।

रोथ ने दावा किया कि डोनाल्ड ट्रंप को ट्विटर से नहीं हटाने के लिए उनकी तुलना नाज़ियों (हिटलर के समर्थकों) से की जा रही है। साथ ही, यह भी दावा किया कि हिटलर के कारण जर्मनी में उसके परिवार वालों को नुकसान उठाना पड़ा था।

इसके बाद शुरू हुआ था असली खेल और अगले एक घंटे के भीतर, डोनाल्ड ट्रम्प को ट्विटर से बैन कर दिया गया। वास्तव में, यह एक ऐसा समय था जहाँ एक प्राइवेट कंपनी ने किसी देश के ‘मुखिया’ को बैन किया हो। ट्रंप का बैन होना ट्विटर कर्मचारियों के लिए बड़ी सफलता की तरह था। इसलिए, ट्विटर ऑफिस में खुशी की लहर दौड़ गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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