गुजरात के भरूच जिले के कांकरिया गाँव में 15 नवंबर 2021 को 37 आदिवासी परिवारों को प्रलोभन देकर उनका धर्म परिवर्तन कराने की खबर सामने आई थी। इस मामले में धर्म परिवर्तन के लिए पैसा, रोजगार, शादी समेत अन्य प्रलोभन देकर हिंदुओं को इस्लाम कबूल करवाने के आरोप में नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ऑपइंडिया ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पाया इनमें से एक आरोपित यूके में रह रहा है। उसकी पहचान फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला के रूप में हुई है। इससे पहले इसका नाम उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा उजागर किए गए सामूहिक धर्म परिवर्तन रैकेट में भी सामने आया था।
कौन है फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला/अब्दुल
कई मीडिया रिपोर्ट्स में इसे फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला, फेफड़ावाला अब्दुल और अब्दुल फेफड़ावाला बताया गया है। यह भरूच के नबीपुर का मूल निवासी है और पिछले कुछ वर्षों से यूके में रह रहा है। बताया जा रहा है कि वह ब्रिटेन के एक ट्रस्ट मजलिस-ए-अल्फला से जुड़ा है।
इस साल अक्टूबर में सामने आई रिपोर्ट्स में खुलासा किया गया कि वर्ष 2019 में उसने वडोदरा में एक भड़काऊ भाषण दिया था और 2002 के गुजरात दंगों का जिक्र किया था, जो गोधरा में एक ट्रेन को जलाने के बाद हुए थे। इस ट्रेन में अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों को जिंदा जला दिया गया था। एसीपी (क्राइम) डीएस चौहान के अनुसार, फेफड़ावाला ने 2002 के दंगों के बारे में बात की थी और दावा किया था कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाया गया और उन्हें मार दिया गया। उसने यह भी कहा था कि गुजरात दंगों के दौरान महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और बच्चों की हत्या की गई। जब मैंने ये सब सुना तो इसके बारे में कुछ करने का फैसला किया।
फेफड़ावाला ने कहा कि साल 2003 में उसने यूके में एक ट्रस्ट की स्थापना की थी। इसके लिए उसने लगभग 125 दानदाताओं से संपर्क किया और विदेश से धन एकत्र करके भारत को भेजना शुरू किया। फेफड़ावाला ने कहा था कि यह पैसा समुदाय को मजबूत करने के लिए एकत्र किया गया था, ताकि वह ‘अन्य धर्मों के हमलों के खिलाफ खुद का बचाव’ कर सके। फेफड़ावाला एक घंटे तक गुजरात में अल्पसंख्यक समुदाय को मजबूत करने की बात करता रहा।
इस कार्यक्रम में सलाहुद्दीन शेख और उमर गौतम भी मौजूद थे, जिन्हें हाल ही में हवाला और धर्म परिवर्तन मामले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। ऐसा माना जाता है कि फेफड़ावाला ने पिछले 18 वर्षों में भारत में 150 करोड़ रुपए से अधिक का धन भेजा है।
अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम्स ऑफ इंडियन ओरिजिन (AFMI) चैरिटेबल ट्रस्ट
इस साल अक्टूबर में वडोदरा पुलिस की विशेष जाँच दल (एसआईटी) ने पाया कि शहर स्थित अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम्स ऑफ इंडियन ओरिजिन (AFMI) ने गाजियाबाद के पास अवैध रूप से बसे बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों के लिए 400 फ्लैटों के निर्माण सहित अन्य गतिविधियों के लिए हवाला फंड भेजा था। उस पर भारत-नेपाल सीमा के पास मौलवियों को फंडिंग करने का भी आरोप है। सलाहुद्दीन शेख इस ट्रस्ट के ट्रस्टियों में से एक है और फेफड़ावाला सबसे बड़े लाभार्थियों में से है। कुछ साल पहले मुंबई में इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक से प्रभावित होकर शेख ने इस ट्रस्ट की शुरुआत की थी।
फेफड़ावाला ने 2017 में शेख को उमर गौतम से मिलवाया था। इसके बाद वे वडोदरा में कई बार फिर से मिले और सीएए के विरोध पर चर्चा की। यूपी एटीएस मामले के एक अन्य आरोपित कलीम सिद्दीकी ने भी फेफड़ावाला और उमर गौतम से मुलाकात की। सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) क्राइम, डीएस चौहान के अनुसार, जब सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे, उस दौरान फेफड़ावाला ने मुंबई और दुबई में कारोबारियों की मदद से हवाला के जरिए रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों के लिए घर बनाने के लिए पैसा दिया था।
शेख ने फेफड़ावाला और एक अन्य मौलवी जकारिया को भी धन देने की बात स्वीकार की थी। वह कश्मीर में शब्बीर नाम के एक व्यक्ति से भी मिला था, जो फेफड़ावाला का परिचित था। गौतम और शेख ने शब्बीर को ‘गरीब लोगों की मदद’ करने के लिए 5 लाख रुपए भेजने की बात स्वीकार की थी, लेकिन पुलिस को संदेह है कि यह टेरर फंडिंग का हिस्सा था। इसके अलावा, हवाला के माध्यम से प्राप्त धन भारत में मालेगाँव, मालदा, असम, बिहार, केरल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और यहाँ तक कि नेपाल जैसे स्थानों पर भी भेजा गया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 14 विदेशी ट्रस्टों ने 2017 से AFMI चैरिटेबल ट्रस्ट में लगभग 19 करोड़ रुपए जमा किए थे। गुजराती मुस्लिम एसोसिएशन ने 7.44 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए थे, जबकि फेफड़ावाला के मजलिस-ए-अल्फला ट्रस्ट ने 2.06 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए थे। पुलिस ने दुबई के एक कारोबारी मुस्तफा थानावाला को भी समन जारी किया है, जिस पर हवाला के जरिए शेख की मदद करने का आरोप है।