Saturday, June 3, 2023
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयबम धमाकों के 2 दिन के बाद काबुल एयरपोर्ट पर फायरिंग से दहशत, बैंक...

बम धमाकों के 2 दिन के बाद काबुल एयरपोर्ट पर फायरिंग से दहशत, बैंक हुए खाली; भूख-प्यास से तड़प रहे अफगान नागरिक

काबुल सहित अफगानिस्तान के कई प्रमुख शहरों के बैंकों में नकदी लगभग खत्म हो चुकी है। लोगों को भूखा रहना पड़ रहा है। एयरपोर्ट के बाहर पानी की एक बोतल लेने के लिए 40 अमेरिकी डॉलर खर्च करने होंगे यानी करीब 3000 रुपए। वहीं, एक प्लेट चावल के लिए 100 डॉलर यानी करीब 7500 रुपए खर्च करने होंगे।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहाँ हालात लगातार बद से बदतर होते जा रहे हैं। काबुल एयरपोर्ट के एंट्री गेट के पास शनिवार (28 अगस्त) को फायरिंग के बाद एक बार फिर लोगों में अफरा-तफरी मच गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, काबुल एयरपोर्ट के पास डबल ब्लास्ट के 2 दिन बाद आज एयरपोर्ट के एंट्री गेट के पास फायरिंग की गई। कई राउंड की फायरिंग के बाद लोगों में व्यापक दहशत देखी जा सकती है। इस दौरान, यहाँ आँसू गैल के गोले भी छोड़े गए हैं।

अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने के बाद से स्थानीय लोग पैसे-पैसे को मोहताज हैं। काबुल सहित अफगानिस्तान के कई प्रमुख शहरों के बैंकों में नकदी लगभग खत्म हो चुकी है। लोगों को भूखा रहना पड़ रहा है। उन्हें गुजर-बसर करने के लिए लोगों से उधार पैसा माँगना पड़ रहा है। तालिबानी अफगानिस्तान के लोगों को देश छोड़कर बाहर भी नहीं जाने दे रहे हैं। बताया जा रहा है ​कि काबुल के कुछ एटीएम से अब भी एक निश्चित सीमा में पैसा निकल रहा है, लेकिन उसके लिए भी लोगों को लंबी-लंबी कतारें लगानी पड़ रही हैं।

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान अब भुखमरी की चपेट में आ रहा है। अगर जल्द कुछ नहीं किया गया तो स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है। रॉयटर्स की रिपोर्ट की मुताबिक, एयरपोर्ट के बाहर पानी की एक बोतल लेने के लिए 40 अमेरिकी डॉलर खर्च करने होंगे यानी करीब 3000 रुपए। वहीं, एक प्लेट चावल के लिए 100 डॉलर यानी करीब 7500 रुपए खर्च करने होंगे।

यह सभी जानते हैं कि अफगानिस्तान दुनिया के गरीब देशों में से एक है, जो विदेशों से मिलने वाले फंड पर चलता है। काबुल के अर्थशास्त्री मोहम्मद दाउद नियाजी ने हाल ही में कहा कि भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि तालिबान देश को कैसे चलाएगा? वर्ल्ड बैंक ने तालिबान की वापसी के बाद अफगानिस्तान में करीब 30 फीसद प्रोजेक्ट की फंडिंग पर रोक लगा दी है।

अफगान अर्थव्यवस्था की स्थिति के जानकार एक शख्स ने सीएनएन को बताया, “तालिबान के पास ताश के पत्तों का ढेर है, जो गिरने वाला है। जैसे ही आप बैंक खोलेंगे आपको पता चल जाएगा कि सिस्टम कितना नाजुक है।” 

वहीं, अफगान-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स की तरफ से 23 अगस्त को एक मेमो भेजा गया था। यह मेमो एक बैंकिंग और फाइनेंस वर्किंग ग्रुप ने तैयार किया था, जिसमें प्रमुख अफगान वाणिज्यिक बैंक, ग्राहक और निवेशक शामिल हैं। इसमें लिखा है, “अफगानिस्तान और उसका बैंकिंग सिस्टम लुढ़कने की कगार पर है। बैंकिंग क्षेत्र धराशायी होने के करीब है।”

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

रक्तदान करने पहुँचे RSS कार्यकर्ताओं की भीड़ देख डॉक्टर भी हैरान, सब कुछ छोड़ राहत कार्य में में जुटे रहे संघ कार्यकर्ता: सबसे पहले...

RSS कार्यकर्ताओं के राहत और बचाव कार्य शुरू होने के बाद NDRF की टीम भी हादसे वाली जगह पहुँच गई। इसके बाद संघ कार्यकर्ता उनके साथ मिलकर लोगों को बचाने में जुट गए।

मजदूरी से परिवार चलाने वाले 3 भाइयों की मौत, माँ के निधन पर लौटे बेटे की भी गई जान… मानवता की भी परीक्षा ले...

एक चश्मदीद ने कहा कि घटना के समय अपने घर पर थे। तभी धमाके जैसी आवाज आई। घर से बाहर आकर देखा तो ट्रेन माल गाड़ी के ऊपर चढ़ी हुई थी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
259,664FollowersFollow
415,000SubscribersSubscribe