Sunday, May 18, 2025
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बांग्लादेश में हिंदू मंदिर तोड़ा, 200 साल पुराने श्मशान को ‘पशु बाजार’ में बदलने की साजिश: भेद खुला तो अधिकारी बोले- भूल से गिर गया पिलर

स्थानीय हिंदू नेता परेश साहा ने बताया कि एक इस्लामी ग्रुप हिंदुओं को इलाके से भगाने के लिए धमका रहा है, लेकिन उसके खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही।

बांग्लादेश में हिंदुओं के निर्माणाधीन मंदिर और 200 साल पुराने श्मशान को नष्ट किया जा रहा है, ताकि उसे ‘पशु बाजार’ बनाया जा सके। ये मामला मैमनसिंह जिले के उचाखिला यूनियन का है, जहाँ रविवार (27 अप्रैल 2025) को हिंदुओं ने मंदिर में तोड़फोड़ और 200 साल पुराने श्मशान को ‘पशु बाजार’ में बदलने के प्रयासों के खिलाफ कड़ा विरोध प्रदर्शन किया।

जानकारी के अनुसार, हिंदुओं का आरोप है कि ईश्वरगंज उपजिला के निर्बाही अधिकारी (UNO) मोहम्मद एरशादुल अहमद हिंदू मंदिर और श्मशान को जबरन ध्वस्त करवा रहा है, ताकि वो वहाँ पर पशु बाजार बना रहे।

स्थानीय हिंदू नेता पिंटू चौधरी ने बताया कि उचाखिला यूनियन का श्मशान करीब 200 साल पुराना है और इसके समीप ही एक मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर था। पिंटू चौधरी ने बताया कि UNO ने शनिवार (26 अप्रैल 2025) को मंदिर को गिराने का आदेश जारी कर दिया और श्मशान को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की घोषणा भी कर दी है।

हिंदू नेता पिंटू चौधरी ने कहा, “यह श्मशान और मंदिर हमारी आस्था का प्रतीक हैं और इन्हें किसी भी कीमत पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। सनातन धर्म के अनुयायी इस घटना से अत्यंत क्रोधित हैं और इसीलिए सड़कों पर उतरकर अपना विरोध जता रहे हैं।”

एक अन्य स्थानीय हिंदू नेता परेश साहा ने बताया कि एक इस्लामी ग्रुप हिंदुओं को इलाके से भगाने के लिए धमका रहा है, लेकिन उसके खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही। परेश साहा ने यह भी आरोप लगाया कि श्मशान भूमि को पशु बाजार बनाने के उद्देश्य से रेत से भरा जा रहा है। इसके अलावा शनिवार (26 अप्रैल 2025) को मंदिर के खंभों को भी तोड़ डाला।

बांग्लादेश पूजा उदजापन फ्रंट के सचिव बिजोय मित्रा शुवो ने बताया कि विध्वंस को रोकने के लिए हिंदुओं द्वारा पहले ही जानकारी दे दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की ओर से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। हालाँकि, यूएनओ मोहम्मद एरशादुल अहमद ने इस पूरी घटना को मामूली बताने की कोशिश की और कहा कि मंदिर के खंभों का गिरना ‘अनजाने में’ हुआ है।

एक तरफ प्रशासन इसे गिरा रहा है, तो दूसरी तरफ मुस्लिम संगठन मामले से जुड़ी खबरों को दबाने में जुट गए हैं। इस्लामी आंदोलन की ईश्वरगंज उपजिला शाखा, इस घटना को तूल न देने का प्रयास कर रही है। सोमवार (28 अप्रैल 2025) को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने मंदिर और श्मशान के विध्वंस की खबरों को झूठा कहा।

बांग्लादेश में निशाने पर हिंदू

बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के 5 अगस्त 2024 को सत्ता से हटने के बाद से ही हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। ऑपइंडिया इन मामलों की विस्तृत पड़ताल और रिपोर्टिंग करता रहा है।

ढाका के पतन के 3 दिनों के भीतर हिंदू मंदिरों, दुकानों और व्यवसायों पर कम से कम 205 हमले हुए हैं। ऑपइंडिया ने सबसे पहले खुलासा किया था कि कैसे मुस्लिम छात्रों ने 60 हिंदू शिक्षकों, प्रोफेसरों और सरकारी अधिकारियों को उनके पदों से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया।

मानवाधिकार कार्यकर्ता और निर्वासित बांग्लादेशी ब्लॉगर, असद नूर ने हाल ही में खुलासा किया है कि अल्पसंख्यक समुदाय को अब ‘जमात-ए-इस्लामी‘ में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

इसके बाद 28 सितंबर 2024 और 1 अक्टूबर 2024 के दौरान को ऋषिपारा बारवारी पूजा मंडप में कुल 4 मूर्तियों को और मणिकादी पालपारा बारवारी पूजा मंडप में 5 हिंदू मूर्तियों को तोड़ा था। फिर 3 अक्टूबर 2024 को, बांग्लादेश के ढाका डिवीजन के किशोरगंज में गोपीनाथ जिउर अखरा दुर्गा पूजा मंडप में 7 हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को नष्ट किया गया।

5 नवंबर 2024 को, चटगांव शहर के हजारी गली में हिंदू समुदाय पर पुलिस और कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने हमला किया। 29 नवंबर 2024 को, एक हिंसक मुस्लिम भीड़ द्वारा हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमला किया और 3 मंदिरों में तोड़फोड़ की। हमला जुम्मे की नमाज खत्म होने के तुरंत बाद हुआ। 30 नवंबर 2024 को, कारवान बाजार से पुलिस ने मुन्नी साहा नामक एक प्रमुख हिंदू पत्रकार को गिरफ्तार किया।

13 दिसंबर 2024 को चरमपंथियों के एक समूह ने महाश्मशान काली माता मंदिर पर हमला किया, 7 देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ी और सोने के आभूषण चुरा लिए। इसके बाद 19 दिसंबर 2024 को, अलाउद्दीन नामक एक मुस्लिम व्यक्ति ने पोलाशकंडा काली मंदिर में एक मूर्ति को तोड़ी। एक अन्य 37 वर्षीय अजहरुल नामक मुस्लिम व्यक्ति ने मैमनसिंह जिले के हलुआघाट उपजिला में कई देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ी।

चिनमोय कृष्ण दास प्रभु और उनके सहयोगियों की हालिया गिरफ्तारी, हिंदू संगठन इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास और ‘राजद्रोह’ के मामलों के साथ हिंदू विरोध प्रदर्शनों को दबाना मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार द्वारा हिंदुओं के संगठित उत्पीड़न को दिखाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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