Saturday, April 20, 2024
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भारत के कट्टरपंथी पाकिस्तानियों के साथ मिल कर अरब देशों में कार्यरत हिंदुओं को बना रहे निशाना

कुछ भारतीयों द्वारा शुरू किए गए लगातार भारत विरोधी अभियान के बाद, पश्चिम में इस्लामी कट्टरपंथी खाड़ी देशों (gulf countries) में भारतीयों के खिलाफ जहर उगलने का मौका पा गए हैं।

अरब (Arab) देशों में भारतीय हिन्दू लोगों के खिलाफ अब पाकिस्तानियों ने नया मोर्चा खोल लिया है, जो संभवतः आईएसआई (ISI) द्वारा समर्थित है। सोशल मीडिया पर अपने आपको अरब (Arab) का दिखा कर, भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से इस्लामोफोबिया फैलाने की ‘शिकायत’ कर रहे हैं। ऑर्गेनाइज़र के एक लेख में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित करने के जवाब में कुछ भारतीयों द्वारा शुरू किए गए लगातार भारत विरोधी अभियान के बाद, पश्चिम में इस्लामी कट्टरपंथी खाड़ी देशों (gulf countries) में भारतीय हिन्दू लोगों के खिलाफ जहर उगलने का मौका पा गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, केरल स्थित इस्लामी चरमपंथियों ने नफ़रत फैलाने वाले अभियान का नेतृत्व किया, जिसमें अरब देशों की पुलिस आदि से खाड़ी में काम करने वाले भारतीय हिन्दू लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया गया क्योंकि वे भारत में समुदाय विशेष वालों को मारते हैं। इसी काम को अंजाम देने के लिए, सोशल मीडिया पर कई फर्जी अकाउंट भारत के खिलाफ झूठ फैलाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।

यह एक सच्चाई है कि नई दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज़ के तब्लीगी जमात ने भारत में कुल कोरोनावायरस रोगियों का 30% योगदान दिया है। आम जनता का गुस्सा इसलिए भी है कि इनमें से कई ने अपने यात्रा इतिहास को छिपाया है और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार भी किया है। इसमें नर्सों से छेड़छाड़ और डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर पथराव भी शामिल है।

रिपोर्ट के अनुसार, केरल मे स्थित विभिन्न इस्लामी संगठनों ने अरबों को प्रभावित करने के लिए प्रमुख व्यापारियों और धार्मिक नेताओं का उपयोग किया और उन्हें भारत के खिलाफ नकली बयान के साथ बरगलाया। अरब देशों के बाहर गल्फन्यूज़, अल जज़ीरा, खलीज टाइम्स जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल भारत में वहाँ के हिन्दू लोगों द्वारा समुदाय विशेष के साथ किए गए बर्ताव की गलत जानकारी को फैलाने के लिए किया गया था।

पाकिस्तान ने भारतीय समुदाय विशेष से हाथ मिलाया

पाकिस्तान की 2016 की नीति ‘भारत और पाकिस्तान के बीच विकसित नवीनतम परिस्थितियों के मद्देनजर नीतिगत दिशा-निर्देश’ शीर्षक से ‘भारतीय प्रसार प्रचार’ के सदस्यों के रूप में चुनिंदा पत्रकारों के साथ ‘मीडिया समन्वय समिति’ रखने और विशेष रूप से एक मीडिया रणनीति को बढ़ावा देने की सिफारिश की थी। नीति ने अंतरराष्ट्रीय लॉबिस्टों और रणनीतिक संचार संगठनों को वैश्विक नैरेटिव बदलने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। नीति दस्तावेज में भारतीय समाज में ‘दोष-रेखाओं’ को उजागर करने का आह्वान किया गया है। वे विशेष रूप से मजहब विशेष, सिखों, ईसाइयों और दलितों को अलग-थलग वर्गों के रूप में उल्लेख करना चाहते थे। नीति ने मोदी और आरएसएस (RSS) की विचारधारा को लक्षित करने के लिए भी कहा, और भारत में उन लोगों तक पहुँचने का सुझाव दिया जो “मोदी के अतिवाद के विरोध में” हैं। नीति ने विशेष रूप से राजनीतिक दलों, मीडिया और नागरिक समाज में लोगों तक पहुँचने के बारे में बात की।

इसलिए, पाकिस्तान का इस प्रचार पर समर्थन मिलना कि “भारत मजहब विशेष के खिलाफ है,” उतने आश्चर्य की बात नहीं है।

अलर्ट नेटिज़ेंस ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में, विभिन्न ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने अपने ट्विटर हैंडल को बदल कर भारत में समुदाय विशेष के खिलाफ ‘घृणा’ की निंदा करने के लिए ट्वीट किया।

जैसा कि ऊपर देखा जा सकता है कि किस तरह “H. H. Mona bint Fahad al” के ट्विटर हैंडल से किस प्रकार भारत को धमकियाँ दी जा रही है।

पिछले कुछ दिनों में इस तरह के कई ट्विटर हैंडल लगातार ट्रेंड कर रहे हैं।

ट्विटर पर अरब होने का दिखावा करने वाले Kahlown Yasin संभवतः पाकिस्तान से है। जैसा कि ट्विटर यूजर @PokerShash ने पता लगाया कि यासीन कोई शेख नहीं, बल्कि खाड़ी में काम करने वाला पाकिस्तानी है।

कई लोगों ने तो अपने प्रोफाइल हैंडल और चित्रों को भी महिला के नाम और चेहरे से बदल दिया और यह दिखाने का प्रयास किया कि महिलाएँ भी भारत में हो रहे ‘समुदाय विशेष के खिलाफ अत्याचारों’ की निंदा कर रही है।

अरब मामला: भारतीय हिन्दू कर्मचारियों पर निशाना

ऑर्गेनाइज़र की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ प्रवासी भारतीयों ने कहा था कि पश्चिम एशिया और अरब देशों में भारतीयों, विशेष रूप से हिंदू लोगों के खिलाफ़, सीएए के विरोध प्रदर्शनों को लेकर जल्द ही हमला होने वाला है। केरल के एक प्रवासी कार्यकर्ता का हवाला देते हुए, ऑर्गनाइज़र का कहना है कि पीएफ़आई और जमात-ए-इस्लामी जैसे इस्लामिक संगठनों के कैडर नियमित रूप से यूएई, सऊदी, कुवैत, कतर आदि में भारतीयों को निशाना बनाते हैं। दिसंबर 2019 में, इस्लामी कट्टरपंथियों के एक झुंड ने कतर अस्पताल से एक भारतीय डॉक्टर को यह कह कर निष्कासित करवा दिया था कि सीएए के प्रति डॉक्टर का समर्थन समुदाय विरोधी और सांप्रदायिक था।

तब्लीगी जमात के सदस्यों की लापरवाही और दुर्व्यवहार के खिलाफ गुस्सा व्यक्त करने के कारण अब कई लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

कुछ इस्लामी कट्टरपंथियों ने तो भारतीयों पर किए गए हमले को भी सराहा है:

कई भारतीयों, विशेष रूप से पत्रकारों को, ऐसा लगता है कि उनके अनुसार की गई अनर्गल बाते लोगो के हित के लिए होती है। मगर वो ये भूल जाते हैं कि उनकी वजह से लोगो में एक दूसरे के प्रति डर का माहौल पैदा कर दिया गया है।

तब्लीगी, इस्लाम में एक विचारधारा है। जो इस्लाम के अंदर आता है। उनके गलत बर्ताव पर उनका बचाव करना या उनके अनुसार कार्य करना पूरे समुदाय को बदनाम करता है। इसमें अधिकांश लोग वो भी आ जाते है जिनका इससे कोई लेना देना ही नहीं होता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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