Friday, April 19, 2024
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…तो दफन हो जाएँगे नेहरू-एडविना के ‘राज’: माउंटबेटन दंपती के दस्तावेजों को ‘छिपाने’ पर 600000 पाउंड से अधिक खर्च

एंड्रू लोनी नाम के एक लेखक ने उन दस्तावेजों को देखने की माँग की है, मगर ब्रिटिश सरकार लेखक को उन तक पहुँचने से रोकना चाहती है। यूके सरकार को डर है कि यदि वे दस्तावेज सार्वजनिक किए गए तो वे भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन के बीच के संबंधों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

एडविना माउंटबेटन और उनके पति लॉर्ड माउंटबेटन से जुड़े दस्तावेजों और पत्रों को गुप्त रखने के लिए ब्रिटेन सरकार काफी पैसा खर्च कर रही है। WION की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना के इन पत्रों और डायरियों को (खास कर भारत के विभाजन के आसपास) को यूके सरकार गुप्त रखना चाहती है। उसे डर है कि इसे सार्वजनिक करने से भारत विभाजन और एडविना के रिश्तों के राज सामने आ सकते हैं।

WION की रिपोर्ट में कहा गया है कि एंड्रू लोनी नाम के एक लेखक ने उन दस्तावेजों को देखने की माँग की है, मगर ब्रिटिश सरकार लेखक को उन तक पहुँचने से रोकना चाहती है। यूके सरकार को डर है कि यदि वे दस्तावेज सार्वजनिक किए गए तो वे भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन के बीच के संबंधों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ एडविना माउंटबेटन का ‘विशेष’ संबंध कोई रहस्य नहीं है और कई विशेषज्ञों का यह भी तर्क है कि नेहरू ने एडविना के साथ अपने संबंधों के कारण भारत के राष्ट्रीय हितों को खतरे में डाल दिया था। WION की रिपोर्ट के मुताबिक एक पत्र में एडविना ने नेहरू को लिखा था, “मुझे आपको सुबह जाते हुए देखने से नफरत है। आपने मुझे एक अजीब सी शांति के साथ छोड़ दिया। शायद, मैं आपके लिए वही लाई हूँ?” इस पर नेहरू का उत्तर था, “जीवन एक नीरस प्रकरण है।”

लेखक ने ब्रिटेन सरकार को कोर्ट में खड़ा किया

लेखक एंड्रू लोनी ने ब्रिटिश सरकार से माउंटबेटन दस्तावेजों को जारी करने के लिए याचिका दायर की थी और उनमें से अधिकांश को ब्रिटिश फ्रीडम ऑफ इनफॉर्मेशन लॉ के तहत सफलतापूर्वक प्राप्त भी कर लिया था। हालाँकि, वर्ष 1947-48 से संबंधित दस्तावेज जारी नहीं किए गए। दस्तावेजों में माउंटबेटन दंपति द्वारा लिखी गई कई डायरियाँ और पत्र शामिल हैं। लोनी ने कहा कि इन दस्‍तावेजों में जरूर कुछ खास है जिसकी वजह से यूनिवर्सिटी और सरकार उन्‍हें सार्वजनिक करने से बचाने के लिए लाखों पाउंड खर्च कर रही है।

WION की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश सरकार उन दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए कड़ी संघर्ष कर रही है और अब तक इन दस्तावेजों को छिपाने के लिए 600,000 पाउंड (करीब 6 करोड़ रुपए) से अधिक खर्च कर चुकी है। TOI ने बताया था कि हाल ही में एक ट्रिब्यूनल सुनवाई के दौरान, लोनियर के वकील क्लारा हैमर ने कहा कि 12 जुलाई 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन की डायरी एंट्री से पता चला कि उन्होंने ब्रिटिश न्यायाधीश सिरिल रेडक्लिफ, सीमा आयोग के अध्यक्ष और उनके सचिव क्रिस्टोफर ब्यूमोंट के साथ रात का भोजन किया था। लेकिन अगले दिन से डायरी एंट्री को ब्रिटिश सरकार ने यह कहते हुए संशोधित किया है कि यह डिटेल भारत और पाकिस्तान के साथ ब्रिटेन के संबंधों को खतरे में डाल सकता है।

हैमर ने कहा कि 12 जुलाई 1947 वह समय था जब माउंटबेटन का रैडक्लिफ के साथ संपर्क नहीं होना चाहिए था। 6 अगस्त 1947 की डायरी एंट्री को भी संशोधित किया गया है। दस्तावेजों में संशोधन भारत के विभाजन में माउंटबेटन की भूमिका और उसके बाद हुई हिंसा में हजारों लोगों की जान लेने के बारे में भी कई सवाल उठाता है। यह उस समय के भारत के पीएम नेहरू के आचरण पर भी सवाल उठाता है और बताता है कि एडविना के साथ उनके व्यक्तिगत लगाव ने उस समय भारत के राष्ट्रीय हितों को कितना प्रभावित किया।

क्यूरेटर ने बताया अत्यधिक संवेदनशील

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोफेसर क्रिस वूल्गर, रिटायर्ड आर्काइविस्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्प्टन लाइब्रेरी में क्यूरेटर, जिनके पास ये दस्तावेज हैं, ने ट्रिब्यूनल के सामने इसे संवेदनशील बताया। उन्होंने आगे कहा कि इसमें यूके के शाही परिवार और विभाजन के बारे में डिटेल्स है जो भारत और पाकिस्तान के साथ तनाव पैदा कर सकता है।

वूल्गर ने ट्रिब्यूनल में कहा कि कैबिनेट कार्यालय ने 3 घंटे के भीतर जवाब दिया था, यह मानते हुए कि दस्तावेज संवेदनशील हैं और उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए। दस्तावेज़ ब्रॉडलैंड्स आर्काइव का हिस्सा हैं जो 4500 से अधिक बॉक्स में संग्रहित किया गया था। इसमें लॉर्ड माउंटबेटन की डायरी के 47 वॉल्यूम्स और एडविना माउंटबेटन के 36 वॉल्यूम्स शामिल हैं। वे ब्रॉडलैंड्स हाउस, माउंटबेटन की पारिवारिक संपत्ति में आयोजित किए गए और साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय को बेच दिए गए। रिपोर्टों के अनुसार, साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय ने उन दस्तावेजों को खरीदने के लिए कई मिलियन पाउंड के सार्वजनिक धन का उपयोग किया था।

साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय भी एडविना और नेहरू के बीच पत्र साझा करने से इनकार कर रहा है। इसके पीछे उसका तर्क है वह सिर्फ इसे संग्रहित करता है, उनका स्वामित्व नहीं करता है। लॉर्ड लुइस माउंटबेटन प्रिंस फिलिप के मामा और महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के रिश्ते में भाई थे। वह भारत के पूर्व गवर्नर जनरल थे। वह ब्रिटेन के शाही परिवार के बहुत करीब थे और प्रिंस चार्ल्स के पिता तुल्य थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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