पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इजरायल के राजदूत रुवेन अजार ने भारत के प्रति अपना पूरा समर्थन जताया। यह भारत में पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला था। अजार ने साफ तौर पर कहा कि इजरायल भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है और भारत की संप्रभुता का सम्मान करता है।
न्यूज चैनल WION के साथ बातचीत में रुवेन अजार ने पहलगाम हमले की तुलना 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हमास के हमले से की। उन्होंने कहा, “इस हमले का तरीका, लोगों को सिर में गोली मारना, धर्म के आधार पर निशाना बनाना, और छुट्टियाँ मना रहे आम लोगों को मारना, बिल्कुल वैसा ही है जैसा हमने इजरायल में देखा। वहाँ लोग म्यूजिक फेस्टिवल में थे, अपने घरों में सो रहे थे, तभी आतंकियों ने उन्हें मार डाला, लूटा और जलाया।”
उन्होंने इस हमले को आतंकवाद की वैश्विक समस्या का हिस्सा बताया और कहा कि भारत और इजरायल दोनों एक ही तरह के दर्द से गुजर रहे हैं। उन्होंने भारत के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा, “हम भारत के आत्मरक्षा के हक को पूरी तरह समर्थन देते हैं। यह हक संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में भी दर्ज है। भारत को कोई सलाह देने की जरूरत नहीं, वह खुद जानता है कि उसे क्या करना है।” हमले के तुरंत बाद इजरायल ने भारत के प्रति संवेदना जताई और हर तरह की मदद की पेशकश की।
रुवेन अजार ने बताया कि उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और कहा, “हमने संवेदना के साथ-साथ हर तरह की मदद का भरोसा दिया। भारत के पास पहले से ही बहुत कुछ है, लेकिन हम खुफिया जानकारी, तकनीक, और आतंकवाद से निपटने के तरीकों में सहयोग को और बढ़ाने को तैयार हैं।” बता दें कि भारत और इजरायल के बीच पहले से चले आ रहे गहरे रिश्ते की बात की और कहा कि यह सहयोग सिर्फ संकट के समय नहीं, बल्कि हर दिन होता है। वैसे, हम आपको याद दिला दें कि कारगिल युद्ध के दौरान, जब अमेरिका ने मदद से इनकार कर दिया था, तब इजरायल ने भारत का साथ दिया था।
इजारयली राजदूर रुवेन अजार ने भारत की भौगोलिक और मौसमी चुनौतियों का जिक्र किया और कहा कि इजरायल भारत से बहुत कुछ सीख सकता है, खासकर इतने बड़े देश में आतंकवाद से निपटने के तरीकों से। उन्होंने कहा, “भारत को विशाल इलाकों और मुश्किल मौसम में काम करना पड़ता है, यह हमारे लिए सीखने की बात है। वहीं, इजरायल के पास कुछ अलग अनुभव हैं, जैसे आतंकियों द्वारा बनाई गई सुरंगों से निपटना या मजहबी उन्माह में बौखलाए आतंकियों को रोकना।” उन्होंने इन अनुभवों को साझा करने की बात कही, ताकि दोनों देश एक-दूसरे की मदद कर सकें।
आतंकवादी संगठनों के बीच वैश्विक साठगांठ पर चिंता जताते हुए अजार ने कहा कि हाल ही में हमास की पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मौजूदगी को भारत और इजरायल दोनों ने गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा, “आतंकी संगठन एक-दूसरे से प्रेरणा लेते हैं, ट्रेनिंग देते हैं, और मजहबी उन्माद फैलाते हैं। हमास ने 7 अक्टूबर को जो बर्बरता की, उसे वह अपने समर्थकों को दिखा रहा था, ताकि अपने दुश्मनों में डर पैदा कर सके। यही चिंता की बात है।” उन्होंने पहलगाम हमले को भी इसी तरह की रणनीति का हिस्सा बताया, जहाँ आतंकियों ने छुट्टियाँ मना रहे लोगों को निशाना बनाया।
पाकिस्तान के ‘स्वतंत्र जाँच’ के प्रस्ताव को अजार ने पूरी तरह खारिज किया। उन्होंने इसे ‘धोखा’ करार देते हुए कहा, “एक तरफ आतंकियों को पनाह देना और दूसरी तरफ जाँच की बात करना, यह दोहरा चरित्र है।” उन्होंने मुंबई 26/11 और पठानकोट हमलों का जिक्र किया, जब भारत ने पाकिस्तान को सबूत दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान का यह प्रस्ताव सिर्फ दुनिया को भ्रमित करने की कोशिश है।” भारत की कूटनीतिक कार्रवाइयों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि भारत अपने क्षेत्र और पड़ोसी देशों की स्थिति को अच्छे से समझता है और उसे कोई सलाह देने की जरूरत नहीं।
रुवेन अजार ने आतंकवाद को एक वैश्विक समस्या बताते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने भारत द्वारा कुछ YouTube चैनलों पर बैन लगाने जैसे कदमों की सराहना की और कहा कि ऐसी कंपनियों को सजा मिलनी चाहिए जो आतंकियों को अपने प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने देती हैं। उन्होंने आतंकवाद को पैसा और पनाह देने वाले देशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की वकालत की। उन्होंने कहा, “सीरिया, लेबनान, ईरान जैसे देशों को सजा मिली है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र इस दिशा में कुछ खास नहीं कर रहा। भारत और इजरायल जैसे देशों को मिलकर काम करना होगा।”
पहलगाम हमले को इजरायल के राजदूत रुवेन अजार ने इस क्षेत्र के लिए एक बड़ा मोड़ बताया, जैसा कि हमास का हमला उनके क्षेत्र के लिए था। उन्होंने कहा, “यह हमला इसलिए खास है क्योंकि आतंकियों ने छुट्टियाँ मना रहे लोगों को निशाना बनाया, ताकि उस इलाके में डर फैल जाए।” उन्होंने उम्मीद जताई कि यह घटना दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करेगी। उन्होंने कहा, “आतंकवाद अब सिर्फ किसी एक देश की समस्या नहीं। यूरोप, अमेरिका, भारत, इजरायल हर जगह लोग धर्म के नाम पर मारे जा रहे हैं। हमें इसे रोकने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा।”
इस इंटरव्यू के आखिर में रुवेन अजार ने भारत के आत्मरक्षा के हक को फिर से दोहराया और कहा, “हम भारत के साथ खड़े हैं। भारत को जो करना है, वह उसकी अपनी मर्जी है, लेकिन हम उसका पूरा समर्थन करते हैं।”