Saturday, November 8, 2025
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बलूच विद्रोहियों को ‘फितना-अल-हिंदुस्तान’ बता भारत पर नाकामियों का ठीकरा फोड़ रहा पाक, पहले इस्लाम के नाम पर बनाए आतंकी अब TTP को बता रहा मजहब का ‘ख्वारिज’

अफगानिस्तान के तालिबान से लेकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) तक, बलूच स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर POK और सिंध के आंदोलनों तक हर ओर से पाकिस्तान की पिटाई हो रही है जिससे वह खोखला हुआ जा रहा है।

अक्टूबर 2007 की बात है, पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने एक इंटरव्यू में कहा था, “आतंकवाद पाकिस्तान की एकता और अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। अगर इसे खत्म न किया गया तो पाकिस्तान बिखर सकता है और उसके लोग खूनी गृहयुद्ध में झोंक दिए जाएँगे।” इस इंटरव्यू के 2 महीने के भीतर भुट्टो की हत्या कर दी गई।

बेनजीर भुट्टो का यह डर बेजा नहीं था, दशकों से अपने आँगन में उन्होंने आतंकवाद के साँप को पलते देखा था। आज इस बात को 18 साल बीत गए और भुट्टो की कही हर एक बात सच साबित हो रही है। आतंकवाद का वही साँप आज पाकिस्तान की छाती पर कुंडली मारकर बैठा है।

पाकिस्तान एक या दो तरफा नहीं बल्कि चौतरफा घिरा हुआ है। अफगानिस्तान के तालिबान से लेकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) तक, बलूच स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर POK और सिंध के आंदोलनों तक हर ओर से पाकिस्तान की पिटाई हो रही है जिससे वह खोखला हुआ जा रहा है। इस्लामी कट्टरपंथ ने पाकिस्तान को बरबाद कर दिया है।

मगर जो बाज आ जाए वो पाकिस्तान कैसा? आज भी वो अपनी बरबादी के लिए भारत को जिम्मेदार बता रहा है। यानी पाकिस्तान की जनता वहाँ के हुक्मरानों से सवाल पूछे इससे पहले ही वो देश के भीतर लगी आग के लिए भारत को जिम्मेदार बताने पर तुले हैं।

बीते 12 अक्टूबर को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने TTP के घातक हमले के बाद एक बयान जारी किया। इसमें पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, “पाकिस्तान को अफगान तालिबान, फितना-अल-ख्वारिज और फितना-अल-हिंदुस्तान द्वारा 11 और 12 अक्टूबर 2025 की रात को पाक-अफगान सीमा पर की गई अनावश्यक और अनुचित हिंसा पर गहरी चिंता है।”

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का बयान

इस लेख में जानेंगे कि फितना-ए-ख्वारिज और फितना-ए-हिंदुस्तान क्या हैं और कैसे इनके आड़ में पाकिस्तान देश के भीतर लगी आग का ठीकरा भारत और इस्लाम पर फोड़ना चाहता है।

TTP को पाकिस्तान ने घोषित किया फितना-अल-ख्वारिज?

26 जुलाई 2024 को पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया। इसमें पाकिस्तान सरकार ने प्रतिबंधित ‘आतंकी संगठन’ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को अब ‘फितना-अल-ख्वारिज’ घोषित कर दिया था।

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के इस आदेश में कहा गया, “तथाकथित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) की गतिविधियाँ इस्लामी धर्म और उसके सही शिक्षाओं के विपरीत हैं। इन्हें ध्यान में रखते हुए फैसला लिया गया है कि अब से इस संगठन को ‘फितना-अल-ख्वारिज’ कहा जाएगा।”

साथ ही, इस TTP से जुड़े लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहीं मजहबी उपाधियों जैसे ‘मौलवी’, ‘मुफ्ती’ और ‘हाफिज’ अब इस्तेमाल पर रोक लगा दी और इसकी जगह इनके लिए ‘खारिजी’ शब्द इस्तेमाल करने का आदेश दे दिया।

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय का 26 जुलाई 2024 का आदेश

इसके अर्थ पर गौर करें तो ‘फितना’ एक अरबी मूल का शब्द है जिसका मतलब ‘विद्रोह या बगावत’ होता है। वहीं, ख्वारिज का मतलब ‘चरमपंथ के रास्ते पर चले जाने वाले लोग’ होते हैं।

रिसर्च डेटाबेस से जुड़ी EBSCO की एक रिपोर्ट में कहा गया है, “ख्वारिज जिन्हें अक्सर खारिजी कहा जाता है, इस्लाम के शुरुआती समय में उभरी एक कट्टरपंथी शाखा थी। यह समूह पहले फितना के बाद पैदा हुआ था, जो 656 से 661 ईस्वी के बीच चला गृहयुद्ध था।”

इसमें कहा गया है, “ख्वारिज का मतलब ‘बगावती’ या ‘अलग होने वाले’ लोगों से है। इस्लामी शिक्षाओं की अपनी अतिवादी व्याख्याओं और चौथे खलीफा अली इब्न अबी तालिब के नेतृत्व को अस्वीकार करने के कारण ये मुसलमानों के मुख्य समूह से अलग हो गए थे।”

पाकिस्तान सिर्फ इन्हें ‘खारिजी’ बताने पर ही नहीं रुका बल्कि इन्हें भारत से भी जोड़ दिया है। पाकिस्तान की सेना की 13 सितंबर 2025 की एक प्रेस रिलीज में कहा गया है, “10 से 13 सितंबर के बीच खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में दो अलग-अलग ऑपरेशनों में 35 ख्वारिज को खत्म कर दिया गया है।

पाकिस्तानी सेना की प्रेस रिलीज

पाकिस्तानी सेना ने कहा कि मारे गए ख्वारिज भारतीय प्रॉक्सी ‘फितना-अल-ख्वारिज’ से जुड़े हुए थे। यह ट्रेंड अब लगातार चल रहा है। बीते 12 अक्टूबर को पाकिस्तानी सेना ने कहा, “10/11 अक्टूबर 2025 की रात एक कायरतापूर्ण आतंकी हमले में, भारतीय प्रॉक्सी ‘फितना-अल-ख्वारिज’ से जुड़े ख्वारिजों ने डेरा इस्माइल खान जिले में स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूल को निशाना बनाया।”

जिस TTP को आज पाकिस्तान भारत का प्रॉक्सी बता रहा है असल में वो उसका ही पाला हुआ है। TTP की जड़ें अल-कायदा से जुड़ी हैं, वही अल-कायदा जिसके मुखिया और आतंकी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने अपने घर में शरण दी थी।

UNSC की वेबसाइट बताती है, “TTP पहले अलग-अलग सक्रिय आतंकवादी समूहों का गठजोड़ है, जो 2007 में फेडरल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइबल एरिया (FATA) में पाकिस्तान की सेना द्वारा अल-कायदा से जुड़े आतंकवादियों के खिलाफ अभियान के बाद एक साथ आए।” बैताल्लाह मेहसूद के नेतृत्व में इस संगठन की नींव पड़ी थी।

FATA अफगानिस्ता से सटा एक कबीलाई इलाका है और 2018 से पहले यह क्षेत्र सेमी-ऑटोनोमस हुआ करता था। यानी फैसले कबीलाई कानूनों के मुताबिक भी होते थे। 9/11 के हमले के बाद जब अमेरिका ने ‘आतंकवाद के खिलाफ युद्ध’ छेड़ा और सेना अफगानिस्तान में घुसी तो वहाँ से आतंकी/चरमपंथी संगठनों के लोग भागकर FATA आ गए।

तब पाकिस्तान में परवेज मुशर्रफ की सरकार थी और अमेरिका ने इन्हें FATA से निकालने के लिए पाकिस्तान को खूब पैसा दिया। पाकिस्तान ने FATA में अपनी सेना भेजी और कबीलों पर जुर्म भी किए गए। इससे स्थानीय लोग भड़के और चरमपंथी संगठनों ने इस नाराजगी को भुनाया और साथ मिलकर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ना शुरू कर दिया। यहीं से आगे चलकर TTP की नींव पड़ी थी जो पूरे पाकिस्तान में अपना इस्लामिक कानून लागू करना चाहता था।

बलूच विद्रोहियों को पाकिस्तान ने बनाया ‘फितना-अल-हिंदुस्तान’

पाकिस्तान ने केवल TTP पर ही ठप्पा नहीं लगाया है बल्कि बलूच विद्रोहियों को भी ‘फितना-अल-हिंदुस्तान’ का नाम दिया है। पाकिस्तान की सेना के अत्याचारों से प्रताड़ित होकर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे बलूचों को पाकिस्तान ने भारत द्वारा प्रायोजित बता दिया है।

मई 2025 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने बलूचिस्तान में सक्रिय सभी विद्रोही गुटों को ‘फितना-अल-हिंदुस्तान’ घोषित कर दिया। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने 31 मई 2025 को इसे लेकर एक आदेश भी जारी किया।

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने भारत पर आरोप मढ़ते हुए कहा, “हिंदुस्तान के इशारे पर बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में कुछ संगठनों और समूहों की संलिप्तता को ध्यान में रखते हुए, जो पाकिस्तान की इस्लामी आस्था और संप्रभुता और पारंपरिक परंपराओं के लिए हानिकारक हैं, यह निर्णय लिया गया है कि अब से बलूचिस्तान में सक्रिय सभी आतंकवादी समूहों और संगठनों को ‘फितना-अल-हिंदुस्तान’ कहा जाएगा।”

इसमें आगे कहा गया, “इस बदलाव का उद्देश्य इन आतंकवादी संगठनों और समूहों की वास्तविक प्रकृति और विचारधारा तथा पाकिस्तान के लोगों के खिलाफ भारत (हिंदुस्तान) के नापाक मंसूबों को सामने लाना है।”

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय का आदेश

इसके बाद से पाकिस्तान की सेना द्वारा इस शब्द का बार-बार जिक्र किया जा रहा है। पाकिस्तान की सेना की कोशिश है कि किसी तरह लोगों को मन में यह बात बिठा दी जाए तो बलूचिस्तान में जो हो रहा है वो उनके कुकर्मों को फल नहीं है बल्कि उसमें हिंदुस्तान का हाथ है।

पाकिस्तानी सेना ने 1 अक्टूरब 2025 के अपने X पोस्ट में लिखा, “1 अक्टूबर 2025 को सुरक्षा बलों ने भारतीय प्रॉक्सी, ‘फितना-अल-हिंदुस्तान’ से संबंधित आतंकवादियों की उपस्थिति की सूचना पर बलूचिस्तान के खुजदार जिले में एक खुफिया जानकारी पर आधारित अभियान चलाया।”

PAK सेना का ट्वीट

अब पाकिस्तान से त्रस्त बलूचिस्तान के लड़ाके जो भी घटनाएँ करते हैं उन्हें पाकिस्तान भारत के मथे मढ़कर अपनी कारगुजारियों से बचने की कोशिश करता है। स्कूल में हमला हो या जाफर एक्सप्रेस का हाईजैक सभी को पाकिस्तान ने भारत से जोड़ दिया है।

इस्लाम और हिंदुस्तान के नाम पर जान बचाने की कोशिश में लगा पस्त पाकिस्तान

पाकिस्तान ने दशकों तक इस्लामी कट्टरपंथ के नाम पर आतंक फैलाया है। पाकिस्तान से चलने वाले आतंकियों संगठनों ने मजहब की आड़ में आतंकी तैयार किए और भारत उनका निशाना बनता रहा। ऐसा वक्त तक आया कि जब दुनिया के हर आतंकी हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े निकलने लगे और यह सब मजहब की आड़ में किया जा रहा था।

पाकिस्तान के हुक्मरान अपनी नाकामी छिपाने के लिए इस्लाम का सहारा लेते आए हैं। पाकिस्तान का फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पाकिस्तान को कलमें की बुनियाद पर मदीना के बनी दूसरी रियासत तक बता चुका है। जाहिर है कि इस तरह के शब्दों के प्रयोग से वो इस्लामी कट्टरपंथियों को अपने काबू में करने की कोशिश करता है।

पहले तो पाकिस्तान ने लोगों को इस्लाम के नाम पर भड़काया, दुनिया को इकट्ठा करने की कोशिश की और जब इससे भी उसकी दाल ना गली तो उसके इस्लाम के नाम पर ही अपने लोगों को बाँटकर नया पैंतरा चलने की कोशिश की है।

दरअसल, तहरीक-ए-तालिबान के नाम को लेकर भी पाकिस्तान परेशान था। ‘तहरीक’ का अर्थ होता है ‘आंदोलन’ जबकि ‘तालिबान’ या ‘तालिब’ का अनुवाद ‘छात्र’ होता है। इसलिए, इसे समूह को ‘पाकिस्तान के छात्रों का आंदोलन’ समझा जाता था जिससे पाकिस्तान परेशान था और इस जुड़ाव को खत्म करने के लिए ही ‘ख्वारिज’ शब्द दिया गया है। जो इन्हें ‘इस्लामी विद्रोही’ साबित करने की कोशिश है।

पाकिस्तान TTP को इस्लाम का दुश्मन बता रहा है लेकिन इस्लाम और उसके पैंगबर के नाम पर बने जैश-ए-मोहम्मद (मुहम्मद की सेना), लश्कर-ए-तैयबा (पवित्र सेना), हिज्बुल मुजाहिदीन (इस्लामी पवित्र लड़ाकों का दल) जैसे दलों को खुलकर आतंकवाद फैलाने के लिए संरक्षण देता है।

अब यही आतंकवाद जब पाकिस्तान पर भारी पड़ रहा है तो वो किसी भी स्थिति में इससे बचना चाहता है। पाकिस्तान में फौज और आतंकवाद का गठजोड़ किसी से भी छिपा नहीं है। हाल ही में जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान पर भारत ने हमला किया और आतंकियों को मार गिराया तो उनके लिए नमाज-ए-जनाजा पढ़ने के लिए पाकिस्तानी फौज के जवान मौजूद थे।

पाकिस्तान को अगर आतंकवाद और गृह युद्ध से बचना है तो इस तरह भारत पर आरोप लगाकर या इस्लाम के नाम पर लोगों को बरगलाकर वो नहीं बच सकता है। उसे अपनी नीतियों में बदलाव लाने होंगे और अपने यहाँ पल रहे आतंकवाद को जड़ से खत्म करना होगा। वरना वो दिन अब दूर नहीं पाकिस्तान टुकड़े-टुकड़े में टूट जाएगा।

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शिव
शिव
7 वर्षों से खबरों की तलाश में भटकता पत्रकार...

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