Tuesday, June 10, 2025
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G-7 से पहले साइप्रस जाएँगे PM मोदी, तुर्की से है 36 का आँकड़ा: ‘उम्माह’ के नाम पर पाकिस्तान को दिए थे वो ड्रोन, जो भारत पर दागे गए

तुर्की और साइप्रस के बीच कई दशकों से गहरा विवाद है। यह विवाद 1974 में और बढ़ गया, जब तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर हमला कर दिया और उस पर कब्ज़ा कर लिया। तुर्की इस हिस्से को 'टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस' के रूप में मान्यता देता है। हालाँकि, इसे और किसी देश ने नहीं माना है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगामी दिनों में साइप्रस और क्रोएशिया के दौरे पर जाएँगे। यह दौरा उनकी कनाडा में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन यात्रा से पहले होगा। वह कनाडा के रास्ते में ही इन दोनों देशों का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री का यह साइप्रस दौरा भारत का तुर्की को जवाब माना जा रहा है।

साइप्रस अगले साल (2026) यूरोपीय संघ परिषद का अध्यक्ष भी बनने वाला है, जिससे यह दौरा और भी खास हो जाता है। पीएम मोदी का यह साइप्रस दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि तुर्की ने बीते दिनों पाकिस्तान को खुला समर्थन दिया है। प्रधानमंत्री मोदी से पहले अटल बिहारी वाजपेयी और इंदिरा गाँधी ही साइप्रस का दौरा करने गए हैं।

क्यों साइप्रस जा रहे प्रधानमंत्री मोदी?

पीएम मोदी के साइप्रस दौरे के कई कारण हैं। भारत यूरोप में अपनी पहचान और रिश्ते बढ़ाना चाहता है। साइप्रस यूरोपियन यूनियन का सदस्य है। ऐसे में उसके साथ रिश्ते भारत के लिए जरूरी हैं। इसके अलावा भारत तुर्की को साफ़ सन्देश देना चाहता है। तुर्की की साइप्रस से बिलकुल नहीं बनती।

इसके अलावा साइप्रस ने हमेशा कश्मीर और पाकिस्तान से होने वाले सीमा-पार आतंकवाद पर भारत का समर्थन किया है। साइप्रस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट, न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (NSG) की सदस्यता और 1998 के परमाणु परीक्षणों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी भारत का साथ दिया है।

साइप्रस ने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की थी और यूरोपीय संघ में पाकिस्तान से होने वाले सीमा-पार आतंकवाद का मुद्दा उठाने का संकेत दिया था। साइप्रस को एक महत्वपूर्ण निवेशक के तौर पर भी देखा जा रहा है।

साइप्रस से तुर्की की है लड़ाई

तुर्की और साइप्रस के बीच कई दशकों से गहरा विवाद है। यह विवाद 1974 में और बढ़ गया, जब तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर हमला कर दिया और उस पर कब्ज़ा कर लिया। तुर्की इस हिस्से को ‘टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस’ के रूप में मान्यता देता है। हालाँकि, इसे और किसी देश ने नहीं माना है।

इसके अलावा, पूर्वी भूमध्य सागर में गैस की खोज के अधिकारों को लेकर भी दोनों देशों में लगातार तनाव बना रहता है। भारत ने हमेशा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार साइप्रस समस्या के समाधान का समर्थन किया है। उसने पाकिस्तान को ड्रोन समेत तमाम हथियार दिए थे, जो भारत पर दागे गए।

तुर्की के लिए साइप्रस एक दुखती रग की तरह है, ऐसे में भारतीय प्रधानमंत्री का साइप्रस दौरा उसे एकदम अच्छा नहीं लगेगा। पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था, और खुद तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप एर्दोआन ने भी इस समर्थन को सार्वजनिक किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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