Friday, April 26, 2024
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राहुल गाँधी के कंधे पर भारत विरोधी नेता का हाथ: लंदन में आतंकियों के ‘दोस्त’ और Pak के हमदर्द जेरेमी कॉर्बिन से मिले, कश्मीर को बताता है भारत से अलग

यहाँ असली सवाल ये है कि कौन हैं ये जेरेमी कॉर्बिन और क्यों राहुल गाँधी से उनकी मुलाकात भारतीयों को खास तौर पर परेशान करने वाली है। हम कॉर्बिन के उनके पिछले रिकॉर्ड पर एक नज़र डालते हैं।

कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी इस समय इंग्लैंड के दौरे पर हैं जहाँ वह आजादी के 75 साल बाद भारत के भविष्य पर चर्चा करने के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए गए हैं। जहाँ एक राष्ट्र के रूप में भारत के अस्तित्व को खारिज करने से लेकर घरेलू भारतीय मुद्दों में पश्चिमी हस्तक्षेप की माँग तक, राहुल गाँधी एक के बाद एक भारत विरोधी बयान देने में व्यस्त हैं। यही नहीं भारत विरोधी रुख को आगे बढ़ाते हुए, राहुल गाँधी ने न सिर्फ भारत विरोधी बल्कि पाकिस्तान समर्थक जेरेमी कॉर्बिन से भी मुलाकात की, जो ब्रिटेन में लेबर पार्टी के प्रमुख थे।

मीडिया में एक तस्वीर आई है जिसमें इंडियन ओवरसीज कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सैम पित्रोदा के साथ, राहुल गाँधी को पूर्व लेबर नेता के साथ खड़े देखा जा सकता है, जो राहुल गाँधी की ही तरह राष्ट्रीय चुनावों में अपनी पार्टी को 2 हार का मुँह दिखा चुके हैं।

यहाँ असली सवाल ये है कि कौन हैं ये जेरेमी कॉर्बिन और क्यों राहुल गाँधी से उनकी मुलाकात भारतीयों को खास तौर पर परेशान करने वाली है। हम कॉर्बिन के उनके पिछले रिकॉर्ड पर एक नज़र डालते हैं, यह समझने के लिए कि भारत में चुनावी प्रक्रिया में लगे किसी भी व्यक्ति को उनके करीब क्यों नहीं आना चाहिए।

जम्मू और कश्मीर के भारतीय क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का प्रयास

कॉर्बिन ने हमेशा कश्मीरी अलगाववादियों का समर्थन किया है और कश्मीर के विषय पर पाकिस्तान की बयानबाजी को कायम रखा है। यहाँ तक कि लेबर पार्टी के मुखिया के तौर पर अपने कार्यकाल में उनकी पार्टी के सांसदों ने पाकिस्तान की बातों को दोहराते हुए कई बार कश्मीर के मुद्दे में दखल देने की कोशिश की। लेबर पार्टी ने एक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप और संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में जनमत संग्रह का आह्वान किया गया।

कॉर्बिन ने कश्मीर के मुद्दे पर कॉन्ग्रेस पार्टी के माध्यम से सीधे-सीधे कश्मीर के मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश की, यहाँ तक कि चर्चा करने के लिए उनके प्रतिनिधियों से मुलाकात भी की, हालाँकि, उस समय न तो कॉर्बिन और न ही कॉन्ग्रेस सत्ता में थी।

हालाँकि, बैठक के बाद भारत में कॉन्ग्रेस की पाकिस्तान समर्थक से मुलाकात पर भारी हंगामा हुआ था जिसपर कॉन्ग्रेस ने यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि वे लेबर पार्टी के नेता से केवल जम्मू-कश्मीर के भारतीय क्षेत्र पर उनके द्वारा पारित प्रस्ताव की निंदा करने के लिए मिले थे।

इतना ही नहीं, लेबर पार्टी के सांसद लियाम बर्न पाकिस्तानी मॉब के नेतृत्व में निकाले गए मार्च में सबसे आगे थे, जिसने लंदन में भारतीय उच्चायोग में तोड़फोड़ की थी। बर्न ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मुस्लिमों के होने के कारण कश्मीर पर पाकिस्तानी रुख का जोरदार समर्थन किया था।

जेरेमी कॉर्बिन: आतंकियों से हमदर्दी

जेरेमी कॉर्बिन का हर जगह आतंकवादियों और चरमपंथियों का समर्थन करने का एक लंबा इतिहास रहा है। चाहे वे आयरलैंड से हों या कश्मीर, लेबनान या गाजा से, कॉर्बिन की दिल में ऐसे आतंकी समूहों के लिए हमेशा एक सॉफ्ट कॉर्नर रहा।

पहले भी कई अवसरों पर कॉर्बिन ने कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादियों, हमास और हिज़्बुल्लाह को ‘दोस्त’ बताया है, एक बयान जिस पर बाद में कॉर्बिन ने माफ़ी भी माँगी लेकिन उसने कसम भी खाई कि वह उनके साथ बात करना बंद नहीं करेंगे। बदले में, कॉर्बिन को हमास से एक एंडोर्समेंट और “सैल्यूट” भी मिला। हमास ने अपने एक बयान में कहा, “ब्रिटिश लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन द्वारा सामूहिक रैली में भाग लेने वालों के लिए भेजे गए एकजुटता संदेश की वजह से हमें बहुत सम्मान और सराहना मिली है।”

कॉर्बिन ने पहले आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (IRA) का भी सार्वजनिक रूप से समर्थन किया है, जिसने आयरलैंड को ब्रिटेन से मुक्त कराने के अपने प्रयास में आतंकवाद की एक नई श्रेणी को बढ़ावा दिया था। कॉर्बिन वामपंथी पत्रिका लेबर ब्रीफिंग के संपादकीय बोर्ड के महासचिव भी थे जिसने IRA हिंसा का समर्थन किया और स्पष्ट रूप से ब्राइटन होटल बॉम्बिंग का समर्थन किया, जिसमें 5 लोग मारे गए और 31 अन्य लोग अपंग हो गए।

2015 में, बीबीसी रेडियो अल्स्टर पर, कॉर्बिन ने आईआरए हिंसा और आतंकवाद की विशेष रूप से निंदा करने के लिए पांच बार मना कर दिया। तब उन्होंने सवाल का जवाब देने के बजाय फोन काटने का फैसला किया। एक ब्रिटिश इतिहासकार और पत्रकार लियो मैककिंस्ट्री के अनुसार, द टेलीग्राफ के लिए लिखते हुए लिखा था, “कॉर्बिन, वह व्यक्ति है जिसने 1980 के दशक में हिंसक आयरिश रिपब्लिकनवाद के प्रति सहानुभूति व्यक्त की, 1984 में ब्राइटन बमबारी के एक पखवाड़े बाद IRA प्रतिनिधियों को कॉमन्स में आमंत्रित किया और, 1987 में ट्रूप्स आउट मीटिंग, SAS आत्मघाती हमले में मारे गए आठ IRA आतंकवादियों को सम्मान देने के लिए एक मिनट का मौन रखा।”

कॉर्बिन के खिलाफ यहूदी विरोधी भावना के आरोप

लेबर पार्टी के नेता के रूप में कॉर्बिन के कार्यकाल में, पार्टी के भीतर यहूदी-विरोधी भावना रखने वाले लोग बहुतायत में थे। उस समय कॉर्बिन के नेतृत्व में पार्टी जिस दिशा में जा रही थी। इनके ज़बरदस्त यहूदी विरोधी भावना की वजह से तब कई लेबर पार्टी समर्थकों का मोहभंग हुआ था। यूके में मानवाधिकारों पर निगरानी रखने वालों ने कॉर्बिन के साढ़े चार साल के नेता के रूप में कार्यकाल को “गैरकानूनी” उत्पीड़न और भेदभाव के लिए जिम्मेदार पाया था। इसी वजह से कॉर्बिन को अंततः उनकी पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।

अन्य ‘दुर्व्यवहार’

जेरेमी कॉर्बिन ने ईरानी राज्य प्रसारण नेटवर्क प्रेस टीवी पर अपनी प्रजेंस मात्र के लिए £20,000 (लगभग 27,000 डॉलर) लिए थे, और एक ऐसे प्रोग्राम में हिस्सा लिया था जिसमें ईरानी पत्रकार मज़ियार बहारी पर अत्याचारों को दिखाया गया था। वह 2009-12 के बीच करीब पाँच बार चैनल पर दिखाई दिए।

कॉर्बिन ने रायद सालाह को भी समर्थन दिया है, जो एक कट्टरपंथी मुस्लिम है और जो यहूदियों के प्रति घृणा रखता है। सालाह ने एक बार यहूदियों के खिलाफ ‘ब्लड लिबेल’ फैलाया था, दरअसल, यह एक यहूदी विरोधी गाली है जिसका अर्थ है कि यहूदी अपनी रोटी बनाने के लिए अन्यजातियों के बच्चों के खून का इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं, उन पर नस्लीय घृणा और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया और यह भी दावा किया गया कि 9/11 के पीछे यहूदियों का हाथ था। कई अलग-अलग मौकों पर, कॉर्बिन ने उनके बारे में कहा, “सालाह एक बहुत सम्मानित नागरिक है’, ‘सालाह एक ऐसी आवाज है जिसे सुना जाना चाहिए।”

इस प्रकार, देखा जाए तो हमारे पास कॉन्ग्रेस के एक ऐसे नेता राहुल गाँधी हैं, जो ब्रिटेन के एक खतरनाक राजनेता से मिलते हैं, जिनका आतंकवादियों और चरमपंथियों का समर्थन करने का इतिहास है, जिसने हमेशा कश्मीर पर पाकिस्तान की बयानबाजी का समर्थन किया है, और यहाँ तक ​​कि पहले कश्मीर के अंदरूनी मामले में भी हस्तक्षेप करने की कोशिश की है। एक ऐसा राजनेता जिसका यहूदी-विरोधी रवैया उनकी अपनी पार्टी के लिए भी बर्दास्त के बाहर हो गया, जिसका वह नेतृत्व कर रहे थे उस पार्टी को भी उन्हें निलंबित करना पड़ा। एक ऐसे नेता का हाथ उनके कंधे पर है जो दुनिया के कुछ सबसे खूंखार आतंकवादियों को अपना दोस्त कहता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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