Saturday, July 27, 2024
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बात न मानने पर झूठी ख़बरें चला अधिकारियों को करते थे बदनाम: 5 पत्रकारों के ख़िलाफ़ ‘गैंगस्टर एक्ट’

ये सभी आरोपित पुलिस पर अपने अजेंडे के अनुसार काम करने के लिए दबाव बनाते थे, जैसे- किसी आरोपित की मदद करना। इसके बदले वे आरोपित से रुपए ऐंठते थे। एक पत्रकार की हैसियत से इन्होने थानों व पुलिस के बीच अपनी पैठ बना ली थी और वे इसका नाजायज फायदा उठाते थे।

ग्रेटर नोएडा पुलिस ने 5 पत्रकारों के ख़िलाफ़ ‘गैंगस्टर एक्ट’ के तहत मामला दर्ज किया है। ये पत्रकार अपने पेशे का ग़लत इस्तेमाल करते हुए पुलिस अधिकारियों की इमेज ख़राब किया करते थे। ये अपने पोर्टल्स पर पुलिस के जवानों के ख़िलाफ़ जानबूझ कर ऐसे कंटेंट्स डालते थे, जिससे उनकी इमेज ख़राब हो। ये पुलिस बलों पर दबाव डाल कर काम निकलवाने की कोशिश करते थे। इनमें से 4 आरोपित पत्रकारों को गिरफ़्तार कर लिया गया है जबकि पाँचवा फरार है। उनके ऊपर 25,000 रुपए का इनाम रखा गया है। इनमें से 3 पहले से ही भ्रष्टाचार के मामलों में ज़मानत पर बाहर है।

ये सभी आरोपित पुलिस पर अपने अजेंडे के अनुसार काम करने के लिए दबाव बनाते थे, जैसे- किसी आरोपित की मदद करना। इसके बदले वे आरोपित से रुपए ऐंठते थे। गौतम बुद्ध नगर के डीएम बीएन सिंह ने कहा कि एक पत्रकार की हैसियत से इन्होने थानों व पुलिस के बीच अपनी पैठ बना ली थी और वे इसका नाजायज फायदा उठाते थे। पाँचों पत्रकारों पर आरोप है कि इन्होने पुलिस की क़ानूनी कार्यवाहियों में बाधा डाला है।

अगर कोई पुलिस अधिकारी इनकी बात नहीं मानता था या फिर इनके अजेंडे के अनुसार कार्य नहीं करता था तो ये सभी आरोपित पत्रकार ऐसी-ऐसी खबरें बनाते थे, जिनसे उस अधिकारी की इमेज ख़राब हो। पुलिस ने उनके पोर्टल्स पर कुछ ऐसी भ्रामक ख़बरें भी दिखाईं। इनमें से एक ख़बर में पुलिस पर ‘जाति के आधार पर ट्रांसफर पोस्टिंग’ की बात कही गई थी। एक अन्य ख़बर में उन्होंने पुलिस पर ‘सैंड माइनिंग’ करने का आरोप लगाया था।

इन पत्रकारों के द्वारा निशाने पर लिए गए अधिकारियों के ख़िलाफ़ कंटेंट्स को व्हाट्सप्प और फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर फैलाया जाता था। एफआईआर में दर्ज किया गया है कि इन्होने ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ का ग़लत फायदा उठाते हुए आधारहीन ख़बरें चलाईं और पुलिस की इमेज को नेगेटिव करने की कोशिश की। आरोपितों ने इन बातों का खंडन करते हुए कहा कि अगर पुलिस को उनके लेखों से दिक्कत थी तो पहले उन्हें नोटिस भेजनी चाहिए थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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