सौरभ कुमार, प्रखरादित्य, राघवेन्द्र, आशुतोष, अभिलाष, अर्पित, अंकित, रविरंजन… ये चंद नाम हैं जो हाल ही में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एमपी नगर थाने की कागजों में दर्ज किए गए हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए ये उन छात्रों के नाम हैं जो भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मीडिया की पढ़ाई कर रहे हैं। इनका कसूर यह है कि इन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन से दो प्राध्यापकों के खिलाफ जातिगत भेदभाव को लेकर शिकायत की। प्रशासन ने उनकी नहीं सुनी तो वे शांतिपूर्वक धरने पर बैठ गए। प्रशासन को यह नागवार गुजरा और पुलिस फौरन हरकत में आई। इसके बाद इन छात्रों के साथ क्या हुआ इसकी कहानी पर आने से पहले उन दो प्रोफेसरों का नाम जान लीजिए जो आरोपों के घेरे में हैं।
एक हैं दिलीप मंडल। मंडल साहब के ब्राह्मणवाद विरोधी ट्वीट पर सोशल मीडिया में आपकी नजर पड़ती ही होगी। ये ब्राह्मणवादी ट्विटर से लड़कर ब्लू टिक लेने के लिए भी कु-ख्यात हैं। दूसरे हैं मुकेश कुमार। प्रदेश में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद इस विश्वविद्यालय में राजनीतिक जो प्रयोगों का सिलसिला शुरू हुआ है उसके तहत ही कुछ महीने पहले दोनों की अनुबंध पर नियुक्ति हुई है। आरोप है कि दोनों प्रोफेसर ने छात्रों के बीच जातिगत भेदभाव कर माहौल खराब कर रहे हैं।
इस संबंध में 11 दिसंबर को छात्रों ने कुलपति के नाम एक लिखित आवेदन दिया था। उन्होंने शिकायत की थी कि दिलीप सी मंडल और मुकेश कुमार जाति के आधार पर छात्रों के साथ भेदभाव करते हैं और जातिगत कटुता बढ़ाने का काम कर रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि दिलीप मंडल और मुकेश कुमार सोशल मीडिया पर जाति विशेष को लेकर लगातार पोस्ट कर रहे हैं। छात्रों ने 24 घंटे इंतजार किया मगर इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से न तो उनसे संपर्क करने की कोई कोशिश की गई और न ही ज्ञापन से संबंधित कोई जवाब दिया गया। उल्टा कुलपति ने इनके खिलाफ नामजद शिकायत दर्ज करवा दी।
छात्र अर्पित शर्मा ने ऑप इंडिया को बताया कि दिलीप मंडल और मुकेश कुमार क्लास में छात्रों की जाति जानना चाहते हैं। जाति का पता चलने के बाद कथित तौर पर सवर्ण छात्रों से बदतमीज़ी करते हैं। इसके लिए वो क्लास में आते ही छात्र से पूरा नाम पूछते हैं और सवर्ण होने पर उन पर जातिगत टिप्पणियाँ की जाती है। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।
इससे त्रस्त छात्र जब 12 दिसंबर को कुलपति को दिए ज्ञापन का जवाब माँगने पहुँचे तो किसी ने उनसे बात नहीं की। इसके बाद छात्र कुलपति कार्यालय के सामने शांतिपूर्ण धरने पर बैठ गए और भजन करने लगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने काफी देर तक छात्रों से कोई बातचीत नहीं की। उसके बाद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार दीपक बघेल छात्रों से बात करने आए मगर उनकी कोई बात नहीं सुनी। उन्होंने छात्रों को भगाने की कोशिश की। छात्रों ने जब कुलपति से फोन पर बात करनी चाही तो तरह-तरह के बहाने बनाए जाने लगे। उनसे कहा गया कि वह सेमिनार में हैं और फोन पर उपलब्ध नहीं हो सकते। फिर जब उन्होंने लिखित आश्वासन माँगा तो रजिस्ट्रार एवं विभागाध्यक्षों ने कहा कि वो लिखित में नहीं दे सकते लेकिन कुलपति के साथ उनकी बात करा सकते हैं।
अगले दिन जब छात्र कुलपति से मिलने पहुँचे तो सभी को कॉन्फ्रेंस हॉल में बैठाया गया। उनसे कहा गया कि वे अपना नाम, कोर्स और मोबाइल नंबर लिख कर दें। इसके बाद कुलपति ने छात्रों से चर्चा की। चर्चा के दौरान कुलपति ने सभी की बातें सुनी, उन्होंने सभी बोलने का मौका तो दिया, लेकिन कोई समाधान नहीं दिया। छात्रों ने अपनी माँगों के संबंध में कुलपति से लिखित आश्वासन की माँग की, जिसके लिए भी कुलपति ने साफ तौर पर इनकार कर दिया।
विश्विद्यालय के एक छात्र सौरभ कुमार ने इस घटना के बारे में ऑप इंडिया को बताया, “कुलपति द्वारा माँगों को न माने के बाद विद्यार्थी शांतिपूर्वक कुलपति कक्ष के बिल्कुल बाहर गाँधीवादी तरीके से धरने पर बैठ गए। इस दौरान हम सब ‘रघुपति राघव राजा राम’ का पाठ कर रहे थे एवं संविधान की पुस्तक अपने साथ लेकर बैठे थे। हमने किसी का भी रास्ता नहीं रोका था। इस दौरान शिक्षकों एवं अन्य आगंतुकों की आवाजाही बनी रही, जो कि सीसीटीवी में साफ तौर पर देखा जा सकता है। थोड़ी देर बाद पुलिस पहुँची और हमे हटने की चेतावनी दी गई। हम शांतिपूर्वक भजन करते रहे।”
सौरभ ने आगे बताया कि इसके पुलिस ने बलपूर्वक विद्यार्थियों को धकेलना शुरू किया। फिर पुलिस उन्हें जबरदस्ती सीढ़ियों से घसीटकर नीचे ले गई। इस दौरान एक छात्र आशुतोष भार्गव के पाँव में फ्रैक्चर हो गया। अन्य छात्रों को भी चोटें आई। लेकिन पुलिसिया दमन नहीं रुका।
एक छात्र आकाश शुक्ला के सीने में चोट लगी और वह बेहोश हो गए। इसके बावजूद कोई पुलिसकर्मी या प्रशासन का कोई व्यक्ति छात्रों की मदद के लिए नहीं आया। छात्रों को जब पुलिस ने बलपूर्वक बिल्डिंग से बाहर निकाल दिया तो वे मुख्य द्वार की सीढ़ियों के पास धरने पर बैठ गए।
एक अन्य छात्र रवि रंजन ने बताया उनके जिन साथियों को चोंटें लगीं थीं, उनकी फर्स्ट एड की व्यवस्था भी नहीं की गई। छात्रों ने खुद ही अपनी ज़ख्म साफ किए। कुछ देर बाद रात 9 बजे के करीब पुलिस ने 10 मिनट के अंदर परिसर खाली न करने पर लाठी चार्ज करने की धमकी दी। छात्रों ने परिसर खाली करने से इनकार किया तो पुलिस ने बल प्रयोग कर उन्हें गिरफ्तार किया। इतना ही नहीं गिरफ्तार करने के बाद बगल के एमपी नगर थाने ले जाने की बजाए ठंड की रात में पुलिस छात्रों को लगभग 20 किलोमीटर दूर बिलखिरिया थाने ले गई (वीडियो में सुनें सौरभ कुमार का बयान)।
थाने में देर रात छात्रों के कपडे उतरवाए गए। इसके बाद छात्रों को कुछ कागजों पर दस्तख़त के लिए मजबूर किया गया। आखिरकार 4 घंटे के बाद छात्रों को एमपीनगर थाने लाया गया और रात के 2 बजे के आसपास छात्रों को कागजों पर दस्तखत करवा कर छोड़ दिया गया। पीड़ित छात्रों ने बताया की अभी तक 25 लोगों पर नामज़द FIR दर्ज करवाया गया है। रघुपति राघव राजा राम गा रहे छात्रों पर बलवे की धारा लगाई गई है। इस संबंध में हमने पुलिस का पक्ष जानने की कोशिश की पर बात नहीं हो पाई।
Deependra Baghel, Registrar: I’ve accepted their demand that they’ll also be a part of the committee. Dilip Mandal & Mukesh Kumar won’t enter the University until probe is completed. But they’re demanding that the VC seek apology over his statement, a statement which they twisted pic.twitter.com/BqefRNhHSk
— ANI (@ANI) December 13, 2019
छात्र दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई चाहते हैं। एक समिति बनाई गई है। कमेटी 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट देगी। सौरभ ने बताया कि रजिस्ट्रार दीपेंद्र बघेल ने उनकी दो माँगें तो मान ली है। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों पर कर्मचारियों के साथ जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल का जो आरोप लगाया था उसका अब तक खंडन नहीं किया गया है। रजिस्ट्रार दीपेंद्र बघेल ने बताया, “मामले की जाँच की जा रही है। जाँच पूरी होने तक दिलीप मंडल और मुकेश कुमार विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं करेंगे।”
दिलीप मंडल पढ़ाने की जगह ‘जाति के आधार पर विभाजन’ खड़ा कर रहे हैं: माखनलाल यूनिवर्सिटी में बवाल
पूरा नाम क्या है? जाति जानने के बाद प्रताड़ित करते हैं दिलीप मंडल: माखनलाल यूनिवर्सिटी के छात्र