‘द कारवाँ’ के मुख्य संपादक विनोद जोस को भारतीय प्रेस परिषद (PCI) का सदस्य नियुक्त करने के बाद से विवाद गहराया हुआ है। हालाँकि, सरकारी सूत्रों ने ऑपइंडिया को बताया है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में सदस्यों को नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार नहीं है। जोस को इसका सदस्य बनाए जाने पर लोगों ने केंद्र सरकार के प्रति खासी नाराजगी व्यक्त की थी। उसके बाद सूत्रों ने यह स्थिति स्पष्ट की है।ही यह प्रतिक्रिया सामने आई है।
नेटिज़न्स ने सोशल मीडिया पर इसलिए नाराजगी व्यक्त की थी, क्योंकि विनोद के जोस अपनी पत्रिका ‘द कारवाँ’ के जरिए लंबे समय से मोदी सरकार और हिंदुओं के खिलाफ लगातार झूठ-नफरत फैला रहे हैं। ‘द कारवाँ’ को मोदी और भाजपा विरोधी एजेंडा चलाने और विनोद जोस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से घृणा करने के लिए जाना जाता है।
1) असीमानंद को आतंकी साबित करने की कोशिश और @AmitShah को जज लोया की मौत में फंसाने जैसे कितने कुकृत्य करने वाले अल्ट्रा-लेफ्ट पत्रिका कांरवा के कार्यकारी संपादक विनोद जोस (सूची में नं-6 पर देखिए) को भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य के रूप में @narendramodi सरकार ने अधिसूचित किया है। pic.twitter.com/ZgRccNoiaU
— संदीप देव #SandeepDeo (@sdeo76) October 12, 2021
स्पष्टीकरण देते हुए सरकारी सूत्र ने बताया, “नामांकन से लेकर नियुक्त करने तक की पूरी प्रक्रिया पीसीआई द्वारा की जाती है, जो भारत सरकार से कार्यात्मक रूप से अलग एक स्वायत्तशासी संगठन है। यह आरोप लगाना कि भारत सरकार ने पीसीआई के लिए किसी सदस्य को नियुक्त किया है, पूरी तरह से गलत और झूठ है।”
मालूम हो कि 7 मार्च, 2021 को भारतीय प्रेस परिषद ने सदस्यों के लिए नामांकन आमंत्रित करते हुए अधिसूचना जारी की थी, क्योंकि इसका तीन साल का कार्यकाल 30 मई, 2021 को समाप्त हो चुका है।
बता दें कि ‘द कारवाँ’ का इतिहास काफी दागदार रहा है, जिसने न सिर्फ जस्टिस लोया की मौत के मामले में गुमराह कर अमित शाह को बदनाम किया, बल्कि असीमानंद को आतंकवादी बताने की भी कोशिश की थी। कारवाँ मैगजीन के साथ मिल कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल के खिलाफ दुष्प्रचार करने के मामले में कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश को कोर्ट में माफ़ी तक माँगनी पड़ी थी।