Monday, October 14, 2024
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‘तुम सच्ची पत्रकारिता पर धब्बा हो’: कश्मीरी हिंदुओं पर झूठ फैलाने पर लोगों ने बरखा दत्त पर उतारा गुस्सा, माँगी माफी

वीडियो में महिला को कहते सुना जा सकता है कि यदि कश्मीरी पंडित के पास वहाँ मोनोपॉली होती तो वे कभी भागते नहीं। वे कहती हैं उनके साथ वहाँ जो हुआ है। अगर बरखा के साथ होता तो वह भी कश्मीर में नहीं रुकतीं। कट्टरपंथियों के अत्याचार याद करते हुए वे आगे कहती हैं कि कश्मीरी पंडितों के साथ और उनकी बेटियों के साथ क्या कुछ नहीं हुआ।

मीडिया जगत का एक जाना-माना नाम बरखा दत्त ट्विटर पर आज अचानक ट्रेंड करने लगीं। इस ट्रेंड के पीछे उनकी कोई नई रिपोर्टिंग नहीं बल्कि साल 2004 की एक रिपोर्टिंग थी। जिसका विषय कश्मीरी पंडित थे। इस ट्रेंड में बरखा के नाम के आगे Apologise भी लिखा नजर आया। सैंकड़ों लोगों ने इस #ApologiseBarkha पर ट्वीट किया और बरखा से उनके शब्दों पर माफी माँगने को बोला।

इस हैशटैग के अंतर्गत सोशल मीडिया यूजर्स ने बरखा की साल 2004 में एनडीटीवी के लिए की गई रिपोर्टिंग की क्लिप शेयर की। साथ ही उसी को आधार बनाकर कुछ ऐसे ट्वीट भी शेयर किए गए जिसमें उन्हें उनके अलग-अलग मामलों पर अलग-अलग मत रखने के लिए पाखंडी कहा गया और राहुल गाँधी जितना मूर्ख बताया गया।

अब इस वीडियो में ऐसा क्या है? जो शो एयर होने के 16 साल बाद उनपर ये परेशानी आ पड़ी। तो बता दें, इस वीडियो में बरखा ये कहती हुई सुनी जा सकती हैं कि कश्मीरी पंडित कश्मीर के विशेषाधिकृत लोग थे। वे कहती हैं कि कश्मीरी पंडित भले ही घाटी में अल्पसंख्यक थे। लेकिन उनका वहाँ सरकारी नौकरी जैसी जगहों पर एकाधिकार था और उन्होंने सबको दबाकर रखा हुआ था।

अब इस बात में कितनी सच्चाई है और कितना झूठ? इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि पिछले दिनों एक बुजुर्ग कश्मीरी हिंदू महिला बरखा का ये इंटरव्यू देखने के बाद बेहद दुखी हो गई थीं और उन्होंने कहा था कि वो बरखा दत्त की बातों से बिलकुल सहमत नहीं हैं।

वीडियो में महिला को कहते सुना जा सकता है कि यदि कश्मीरी पंडित के पास वहाँ मोनोपॉली होती तो वे कभी भागते नहीं। वे कहती हैं उनके साथ वहाँ जो हुआ है। अगर बरखा के साथ होता तो वह भी कश्मीर में नहीं रुकतीं। कट्टरपंथियों के अत्याचार याद करते हुए वे आगे कहती हैं कि कश्मीरी पंडितों के साथ और उनकी बेटियों के साथ क्या कुछ नहीं हुआ।

वे बताती हैं कि मुस्लिम उनसे कहते थे कि हम यहाँ पाकिस्तान बनाना चाहते हैं। हम कश्मीरी पंडित औरतों को चाहतें हैं। लेकिन कश्मीरी पंडित आदमियों के बगैर…”वहाँ हमने जो कमाया जो हमारे पास था, सब हमारी मेहनत थी। अगर हम वहाँ गरीबों पर अत्याचार करते तो हम अपना घर कभी नहीं छोड़ते। हम कैसे भागे हैं, हमारे साथ क्या हुआ है।”

महिला के अनुसार, उनके खुद के बच्चों के नाम मस्जिद में लिख दिए गए थे और ऐलान हुआ था कि ये पंडित हैं इन्हें मारो। वे कहती हैं, “हम जानते हैं कि हम अपने बच्चों को बचाने के लिए कैसे भागे। ये बरखा कैसी बात कर रही है। उसे ऐसी बात नहीं करनी चाहिए। वो हमेशा फेक न्यूज लिखती हैं। क्योकि उसे उसके पैसे मिलते हैं। मुझे उसपर गुस्सा आ रही है। उसे इसके लिए माफी माँगनी चाहिए। उसने ये गलत बात क्यों बोली।”

यहाँ बता दें, कई संगठनों के अलावा इस समय बरखा से ट्विटर पर कई लोग माफी माँगने को बोल रहे हैं। लोग बरखा को सच्ची पत्रकारिता पर धब्बा बता रहे हैं क्योंकि उन्होंने गरीब व सताए गए कश्मीरी पंडितों को अपनी वीडियो में विशेषाधिकृत बोला। लोगों का कहना है कि ये उनके पक्षपात का साफ उदाहरण है।

बरखा दत्त की रिपोर्टिंग को ऑल्ट न्यूज का साथ

गौरतलब हो कि सोशल मीडिया पर बरखा की हकीकत का एक और सबूत मिलने के बाद एक ओर जहाँ अधिकांश लोग उनपर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं। वहीं आल्ट न्यूज सफाई दे रहा है कि ये वीडियो तो साल 2004 की है और लोग इसलिए वायरल कर रहे हैं कि वो एक नरसंहार पर स्पष्टीकरण दे रही हैं। इस लेख को बरखा ने भी शेयर किया है।

ऑल्ट न्यूज के इस गहरे अध्य्यन पर बरखा ने लिखा है कि जब ट्रोलर को कुछ नहीं मिलता तो वो फेक न्यूज चलाते हैं। लेकिन ऑल्टन्यूज ने इसका भांडाफोड़ किया है और बताया है कि ये क्लिप पंडितों के साथ हुए अन्याय पर एक लंबी चर्चा थी। इसलिए अब ट्रोलर जाएँ और नया झूठ तलाशें।

सोचिए जरा! इतना सब होने के बावजूद भी बरखा दत्त और उनकी लॉबी के ये लोग मानने को तैयार नहीं हैं कि उनसे कोई गलती हुई है। साल 2004 में भले ही कोई बरखा या एनडीटीवी से जवाब माँगने वाला नहीं था। लेकिन अब आतताइ चेहरों की हकीकत से सब वाकिफ हैं और ये भी जानते हैं कि इनके अपराधों को दूसरा कोण देकर लीपा-पोती करने वाले आखिर क्या चाहते हैं।

जिन कश्मीरी पंडितों के लिए बरखा अपनी 23 सेकेंड की क्लिप में ये बोलते दिख रहीं हैं कि उनकी मोनोपॉली थी। उन्हें याद करना चाहिए वो हिंदू सरपंच जिसे हाल ही में गोली मारी गई और जानना चाहिए कि आज भी वहाँ की स्थिति पूरी तरह से सुधरी नहीं है। आज भी वहाँ हिंदू भय में है।

लेकिन हाँ! अब उन्हें ये सहारा है कि जिस अनुच्छेद 370 को परिधि में रखकर पहले उन पर अत्याचार हो रहे थे। वे अब उससे मुक्त हैं और जिस भूमि को एक समय कट्टरपंथी पाकिस्तानी भूमि कहते थे वो अब पूर्ण रूप से भारत की है। आज हिंदुओं को वहाँ अपना अधिकार पता चलता है और ‘हर घर से अफजल निकलेगा’ जैसे नारे बोलने से पहले कोई भी व्यक्ति बार-बार सोचेगा।

और शायद अब देश की जनता भी तकनीक के माध्यम से और अन्य संसाधनों की वजह से इतनी सशक्त हो गई है कि बरखा जैसे लोगों की पक्षपाती रिपोर्टिंग आर्काइव समझकर सहेजने से ज्यादा उन्हें उजागर करना अपना कर्तव्य समझता है।

यहाँ बता दें कि केवल बरखा नहीं है जो अपने कुकर्मों पर मीडिया लॉबी का साथ पाकर अपनी गलती को भी जस्टिफाई करने की कोशिश कर रही। एक कॉन्ग्रेस नेता भी है। जिन्होंने पूर्व में मान रखा है कि उन्हें भारत बिलकुल नहीं पसंद और वो भारत से नफरत करते हैं।

वो भी आज कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार का ठीकरा कट्टरपंथियों से हटाकर भाजपा पर फोड़ रहे हैं। सलमान निजामी नाम का ये नेता अपने ट्वीट में लिख रहा है कि कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वो भारत का ध्रुविकरण करने के लिए भाजपा का प्लान था। बस समुदाय विशेष को बलि का बकरा बना दिया गया। उस समय वीपी सरकार गठबंधन में थी और आडवाणी, वाजपेयी, मुफ्ती और जगमोहन द्वारा मुख्य भूमिका में थे। यह एक कठोर सच्चाई है!

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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