आज एक खबर सामने आई जिसमें जावेद खान नाम के एक ऐसे व्यक्ति पर भोपाल में 10 मई, 2022 को ‘बहन’ से बलात्कार के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। यह वही जावेद खान है जिसे मीडिया गिरोह ने कभी अपने ऑटो को एक अस्थायी एम्बुलेंस में बदलने के लिए एक कोविड योद्धा का दर्जा देते हुए स्टार बना दिया था। तब जावेद खान ने दावा किया था कि उसने कम से कम 15 लोगों को नजदीकी अस्पताल ले जाकर बचा लिया। जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों, लिबरलों और मशहूर वामपंथी हस्तियों सहित अनगिनत मीडिया संगठनों ने न सिर्फ स्वागत किया बल्कि खूब कवरेज भी दिया।
News9 ने एक ट्वीट में कहा था, “भोपाल के ऑटो चालक जावेद खान ने अपने ऑटो को एम्बुलेंस में बदल दिया है और मरीजों को मुफ्त अस्पताल ले जाते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने एम्बुलेंस बनाने के लिए अपनी पत्नी के गहने बेचे ताकि वह जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकें क्योंकि मध्य प्रदेश में एम्बुलेंस की भारी कमी है।”
Bhopal auto driver Javed Khan has converted his auto into an ambulance & takes patients to hospitals for free. He says he sold his wife’s jewellery to make the ambulance so that he could help people in need as there is a severe shortage of ambulances in Madhya Pradesh. pic.twitter.com/jiBmlVCirM
— News9 (@News9Tweets) April 30, 2021
टीम एसओएस इंडिया ने लिखा था, ‘भोपाल निवासी ऑटो चालक जावेद खान ने अपनी पत्नी के जेवर बेचकर अपने ऑटो को एंबुलेंस बना दिया है। जावेद जी मरीजों को मुफ्त में अस्पताल ले जाते हैं। हम उसे सलाम करते हैं।”
Bhopal resident and auto driver Javed Khan has sold his wife jewellery and converted his auto to an ambulance.
— Team S.O.S India (@TeamSOSIndia) May 3, 2021
Javed Ji takes patients to the hospital for free.
We salute him. #TeamIndiaVsCovid pic.twitter.com/bH9d1XPdN4
वहीं एशियानेट ने जावेद खान पर एक वीडियो स्टोरी प्रकाशित की थी। उन्होंने एक वीडियो दिखाया जिसमें जावेद बता रहा था कि कैसे उसने अपने ऑटो को एम्बुलेंस में बदल दिया।
WATCH: Javed Khan, an auto-rickshaw driver from Bhopal, #MadhyaPradesh, converts his bread-winning vehicle into free ambulance service. pic.twitter.com/1y87cDCg8U
— Asianet Newsable (@AsianetNewsEN) May 2, 2021
ग्रीन बेल्ट एंड रोड इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष एरिक सोलहेम ने कहा, “भारत में बहुत सारे कोविड नायक हैं! भोपाल में इस ऑटो-रिक्शा चालक जावेद खान ने अपने वाहन को ऑक्सीजन से भरपूर एम्बुलेंस में बदल दिया है और वह लोगों की मुफ्त में सेवा करता है। खान रोजाना करीब 600 रुपए ऑक्सीजन भरने में खर्च करते हैं।”
There are so many covid heroes in India 🇮🇳 !
— Erik Solheim (@ErikSolheim) May 6, 2021
This auto-rickshaw driver, Javed Khan, in Bhopal has converted his vehicle into an ambulance, complete with oxygen, and he serves people for free. Khan spends around Rs 600 a day filling up oxygen.
pic.twitter.com/tfxIq8wssh
अमेरिका में संदिग्ध भारत विरोधी संगठन इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने भी जावेद पर शेयर किए गए एक ट्वीट में लिखा, “भारत के मध्य प्रदेश राज्य के एक शहर भोपाल के मोहम्मद जावेद खान ने भारी ऑक्सीजन संकट के बीच COVID रोगियों की मुफ्त में मदद करने के लिए अपने ऑटो-रिक्शा को एक छोटी सी एम्बुलेंस में बदल दिया।”
Mohammad Javed Khan from Bhopal, a city in Indian state of Madhya Pradesh converted his auto-rickshaw into a small ambulance to help COVID patients for free amid a huge oxygen crisis 🛺
— Indian American Muslim Council (@IAMCouncil) May 25, 2021
pic.twitter.com/qyCENn65P7
एएफपी न्यूज एजेंसी ने भी जावेद की कहानी को कवर करते हुए लिखा, “जब भोपाल में ऑटो-रिक्शा चालक मोहम्मद जावेद खान ने लोगों को कोरोना से पीड़ित अपने माता-पिता को अस्पताल ले जाते देखा क्योंकि वे एम्बुलेंस का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे, तो उन्होंने अपना तिपहिया वाहन एक ऑक्सीजन सिलेंडर, एक ऑक्सीमीटर और अन्य चिकित्सा उपकरण फिट करके एक एम्बुलेंस में बदल दिया।”
VIDEO: 🇮🇳 When #Bhopal auto-rickshaw driver Mohammad Javed Khan saw people carrying their Covid-stricken parents to hospital as they were too poor to afford an ambulance, he fitted out his three-wheeler with an #oxygen cylinder, an oximeter and other medical supplies pic.twitter.com/L8cyrz4boQ
— AFP News Agency (@AFP) May 4, 2021
विवादास्पद मकतूब मीडिया ने लिखा, “भोपाल के एक ऑटोरिक्शा चालक जावेद खान के बारे में खबर के अगले ही दिन, जिसने COVID-19 रोगियों के लिए अपने ऑटोरिक्शा को एम्बुलेंस में बदलने के लिए अपनी पत्नी के गहने बेच दिए और इंटरनेट पर छा गए, आज अस्पताल ले जाते हुए उन्हें मध्य प्रदेश पुलिस ने रास्ते में हिरासत में ले लिया।”
The day after news about Javed Khan, an autorickshaw driver from Bhopal, who sold his wife’s jewellery to convert his autorickshaw into an ambulance for COVID-19 patients won the internet, Madhya Pradesh Police detained him on his way to the hospital.https://t.co/mliR5qqV8v
— Maktoob (@MaktoobMedia) May 1, 2021
बीबीसी संवाददाता मेघा मोहन ने भी जावेद खान की तारीफ की थी।
Had a very brief conversation with auto driver Javed Khan from Bhopal in India – he has converted his auto into an ambulance & takes Covid patients to hospitals for free.
— Megha Mohan (@meghamohan) April 30, 2021
He says he sold some of his family’s jewellery in order to kit it out. He seemed reluctant about donations. pic.twitter.com/DhBuP8ZeB2
हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी उन पर एक वीडियो स्टोरी करते हुए लिखा, “मध्य प्रदेश के भोपाल में एक शख्स ने अपने तिपहिया वाहन को एंबुलेंस जैसी गाड़ी में बदल दिया है। ऑटो चालक जावेद खान कोविड मरीजों को नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा मुहैया करा रहे हैं। खान का ऑटो ऑक्सीजन सिलेंडर, पीपीई किट, सैनिटाइजर और ऑक्सीमीटर से लैस है।”
#Watch | A man in MP’s Bhopal has turned his three-wheeler into an ambulance-like vehicle. Javed Khan, an auto driver, is providing ambulance service to Covid patients free of cost.
— Hindustan Times (@htTweets) April 30, 2021
Khan’s auto is equipped with an oxygen cylinder, a PPE kit, sanitizer & an oximeter. pic.twitter.com/FSvoJNBKgX
विवादास्पद मीडिया हाउस मिल्ली गजट के संस्थापक जफरुल-इस्लाम खान ने भी लिखा था, “बड़े दिल वाला आदमी: ऑटो रिक्शा से एम्बुलेंस बनाया, जावेद खान भोपाल में मुफ्त सेवा प्रदान करते हैं। खान ने परिवार के सदस्यों के आग्रह पर की पहल, आजकल शहर के चारों ओर कोविड मरीजों को मुफ्त में सेवा दे रहे हैं। ”
Man with big heart: Auto rickshaw turned ambulance: Javed Khan offers free service in Bhopal. An initiative inspired by the urging of family members, Khan nowadays drives around the city transporting Covid-19 patients free of cost.https://t.co/vzI83DmwDU
— Zafarul-Islam Khan (@khan_zafarul) May 1, 2021
अलजज़ीरा ने लिखा, “जैसा कि भारत कोरोनोवायरस महामारी की दूसरी लहर के तहत संघर्ष कर रहा है, मोहम्मद जावेद खान ने अपने ऑटो-रिक्शा को एक छोटी एम्बुलेंस में बदल दिया है, जो आशा की किरण है।”
As India struggles under a second wave of the coronavirus pandemic, Mohammad Javed Khan has converted his auto-rickshaw into a small ambulance, becoming a symbol of hope. pic.twitter.com/fQgbVijysa
— Al Jazeera English (@AJEnglish) May 22, 2021
जावेद खान एक नायक थे, लेकिन आरएसएस के नारायण दाभाडकर मीडिया गिरोह के लिए ‘संदिग्ध’
यहाँ किसी किसी भी मीडिया हाउस, मशहूर हस्ती, पत्रकार आदि ने जावेद खान की मंशा पर सवाल नहीं उठाया। हालाँकि, उसी दौरान एक और रिपोर्ट सामने आई थी कि आरएसएस के एक स्वयंसेवक ने एक और कोविड मरीज को बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी।
पूरा मामला यूँ है कि एक आरएसएस स्वयंसेवक नारायण दाभाडकर, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा में बिताया, महामारी की दूसरी लहर के बीच कोविड से संक्रमित होते हैं। जैसे ही उनका SPO2 का स्तर गिरा, उनकी बेटी ने उन्हें शहर के किसी हॉस्पिटल में बेड दिलाने की कोशिश की। उनकी बेटी किसी तरह इंदिरा गाँधी अस्पताल में उनके लिए बेड दिलाने में कामयाब रही। हालाँकि, जब वे अस्पताल पहुँचे, दाभाडकर काका जैसा कि उन्हें प्यार से जाना जाता था, ने देखा कि 40 साल की एक महिला अपने बच्चों के साथ रो रही थी और अस्पताल के अधिकारियों से अपने पति को भर्ती करने के लिए बेड के लिए मिन्नतें कर रही थी, जो गंभीर स्थिति में थे।
दाभाडकर काका ने बिना कुछ सोचे-समझे शांति से डॉक्टरों को सूचित किया कि उनका बेड महिला के पति को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं अब 85 वर्ष का हूँ, मैंने अपना जीवन जी लिया है, इसके बजाय आप इस आदमी को बेड दे दें, इनके बच्चों को इसकी आवश्यकता है।”
उसने अपने परिवार के सदस्यों से उन्हें घर वापस ले जाने के लिए कहा, जहाँ उन्होंने अगले तीन दिनों तक बहादुरी से वायरस से लड़ाई लड़ी, जिसके बाद उन्होंने अपना शरीर छोड़ दिया।
आरएसएस कार्यकर्ता नारायण दाभाडकर के बलिदान पर मीडिया संगठनों ने जताया संदेह
जबकि मेनस्ट्रीम मीडिया और लेफ्ट-लिबरल उनके बलिदान से स्पष्ट रूप से हैरान थे और उन्होंने इसमें में फैक्ट चेक करने का फैसला किया। जहाँ लोकसत्ता ने पुणे के एक तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता शिवराम थावरे की नागपुर के इंदिरा गाँधी अस्पताल के अधीक्षक अजय प्रसाद के साथ बातचीत के आधार पर इसका फैक्ट चेक किया। इंदिरा गाँधी अस्पताल ने उन्हें सूचित किया था कि उनके अस्पताल में भर्ती नारायण धाबड़कर के नाम का कोई मरीज नहीं है। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं था कि ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ ने नागपुर नगर निगम द्वारा संचालित इंदिरा गाँधी अस्पताल से संपर्क किया, जहाँ नारायण दाभाडकर भर्ती थे। बता दें कि इंदिरा गाँधी सरकारी अस्पताल, जो महाराष्ट्र सरकार द्वारा संचालित है, जहाँ उन्हें स्पष्ट रूप से एक मरीज के रूप में भर्ती नहीं किया गया था।
गौरतलब है कि दाभाडकर काका की बेटी ने एक वीडियो जारी कर इस बारे में बताया। वीडियो में, उन्होंने कहा कि उनका इंदिरा गाँधी म्युनिसिपल अस्पताल में इलाज चल रहा था, और उनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टरों ने उनकी बिगड़ती हालत की जानकारी दी थी। इलाज के दौरान, उन्होंने अपने प्रियजनों के लिए बेड तलाशते लोगों की अफरा-तफरी सुनी। तभी धाबडकर काका ने यह कहते हुए अपना बिस्तर खाली करने का फैसला किया कि वह पहले से ही एक पूर्ण जीवन जी चुके हैं, और किसी भी अस्पताल में उनके लिए रिज़र्व बेड का इस्तेमाल किसी और के इलाज के लिए किया जा सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस ने भी फैक्ट चेक किया था, जहाँ उन्होंने इस स्टोरी को सच पाया। तब हॉस्पिटल के इंचार्ज डॉक्टर ने कहा कि उन्हें कारण तो नहीं पता, लेकिन उन्हें बेहतर अस्पताल में ले जाने के लिए ज़रूर कहा गया था। उनके दामाद अमोल पाचपोर ने डिस्चार्ज लेटर पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद उन्हें डिस्चार्ज किया गया था। लेकिन ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की भी इस खबर में हॉस्पिटल के बयान के बावजूद भ्रम फैलाया गया और दाभाडकर के एक परिजन से बयान के लिए दबाव बनाया गया, जबकि वो खुद कोरोना संक्रमित थे।