कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश को झकझोर कर रख दिया है। कई राज्यों में चरमराते स्वास्थ्य ढाँचे को सँभालने की जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार के कंधों पर है। राज्य सरकारें वेंटिलेटर से लेकर ऑक्सीजन और दवाओं की कमी से निपटने के लिए और जल्द से जल्द स्वास्थ्य ढाँचे को मजबूत करने के लिए केंद्र के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार है, जिसको लेकर इन राज्यों ने मोदी सरकार से मदद की गुहार लगाई है। रेल मंत्रालय इसके बाद से इन राज्यों की सहायता करने के लिए देश भर में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) और ऑक्सीजन सिलेंडर का परिवहन कर रहा है। दरअसल, भारतीय रेलवे विभिन्न राज्यों में ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए खास ऑक्सीजन एक्सप्रेस (OXYGEN Express) ट्रेनें चला रहा है।
18 अप्रैल को रेल मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी थी कि महाराष्ट्र से खाली टैंकर चलेंगे जो विशाखापत्तनम, जमशेदपुर, राउरकेला, बोकारो से ऑक्सीजन उठाएँगे। रेलवे ने बताया कि टेक्निकल ट्रायल्स के बाद खाली टैंकरों को कलमबोली, बोइसर से मुंबई भेजा जाएगा और फिर वहाँ से वाइजाग, जमशेदपुर, राउरकेला और बोकारो भेजा जाएगा। वहाँ इनमें लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन भरी जाएगी। इसके अलावा रेल मंत्रालय ने मंजूरी देते हुए कहा कि राज्य में विभिन्न स्थानों तक लिक्विड ऑक्सीजन को रोल ऑन-रोल ऑफ सेवा के तहत पहुँचाया जाएगा।
इस पूरी जानकारी को लेकर 24 अप्रैल की सुबह, NDTV के पत्रकार संकेत उपाध्याय ने ट्विटर पर कहा कि वह ऑक्सीजन एक्सप्रेस होने की बात से इनकार करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह इन नेताओं का एक पीआर स्टंट था। वो भी अपनी वाहवाही लूटने के लिए।
Sorry for not being the Oxygen Express cheer leader on twitter. The train has been reduced to a PR exercise which seems to be failing in its purpose. Left Mumbai on 19th April at 8.05pm-reached Vizag on 22nd April at 4.15 am. Will get back with the returning times in a moment.
— Sanket Upadhyay (@sanket) April 24, 2021
उन्होंने कहा कि एक ऑक्सीजन एक्सप्रेस 19 अप्रैल को सुबह 8:05 बजे मुंबई से रवाना हुई और 22 अप्रैल को सुबह 4:15 बजे वाइजाग पहुँची। हैरानी की बात यह थी कि ऑक्सीजन एक्सप्रेस अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर रही थी, क्योंकि यह एक बेहद धीमा प्रयास था।
संकेत उपाध्याय के ट्वीट के अनुसार, ऑक्सीजन एक्सप्रेस को मुंबई से वाइजाग तक पहुँचने में 2 दिन का समय लगा। यह उसके लिए थोड़ा धीमा था। जब लोग मर रहे हैं, तो देश भर में यात्रा करने में मदद करने वाली कोई भी चीज निश्चित रूप से धीमी लग सकती है। हालाँकि, अगर संकेत उपाध्याय वास्तव में एक पत्रकार थे, तो अनुमान लगाने की बजाय जनता के सामने सटीक तथ्यों को पेश करने का प्रयास करते। यहाँ ध्यान देना होगा कि इस संकट के समय में देश में ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए सरकार द्वारा ऑक्सीजन एक्सप्रेस एकमात्र उपाय नहीं है।
सच्चाई तो यह है कि रेलवे की ऑक्सीजन एक्सप्रेस जितनी तेजी से यात्रा कर रही है, उतनी ही तेजी से आगे बढ़ रही है। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, मुंबई से वाइजाग तक पहुँचने के लिए ट्रेन के समय से उस दूरी को कवर किया जा सकता है, यह ऑक्सीजन टैंकर को ले जाने में लगने वाले समय से काफी कम है।
एक ऑक्सीजन ट्रक केवल 11 घंटे ही सड़क पर हो सकता है और 72 घंटे में मुंबई से वाइजाग तक पहुँच सकता है, जबकि ऑक्सीजन ट्रेन दिन में 24 घंटे यात्रा कर सकती है और 48 घंटे में अपने गंतव्य स्थान तक पहुँच सकती है।
मालूम हो कि आज भारत के सामने सबसे बड़ा मुद्दा ऑक्सीजन की कमी को हर राज्य में पूरा करना है। इसलिए इसका वितरण आवश्यक है। जिंदल स्टील एंड पावर ने 21 अप्रैल को ट्विटर पर कहा था कि उनके पास उनके अंगुल प्लाँट में 500 टन से अधिक लिक्विड ऑक्सीजन है। लेकिन परिवहन के लिए कोई साधन नहीं है।
JSPL has more than 500 tons of liquid oxygen stock readily available at our Angul plant. We are waiting for the users to send their tankers. We can fill up on a first come first serve basis or as per the priority decided by the Ministry of steel. @SteelMinIndia
— JINDAL STEEL & POWER (@JSPLCorporate) April 21, 2021
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (22 अप्रैल 2021) को देश में जारी ऑक्सीजन संकट को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक की थी। अधिकारियों के साथ हुई इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि ऑक्सीजन की जमाखोरी करने वालों पर राज्य सरकारें सख्त कार्रवाई करें। वहीं प्रधानमंत्री ने उत्पादन बढ़ाए जाने और वितरण में तेजी लाने पर जोर दिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जारी एक बयान के मुताबिक इस बैठक में प्रधानमंत्री ने ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने, उसके वितरण की गति तेज करने और स्वास्थ्य सुविधाओं तक उसकी पहुँच सुनिश्चित करने के लिए तेज गति से काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।