कोरोना महामारी के कारण कई जरूरी काम इस साल स्थगित कर दिए गए। कई त्यौहारों में भी वो रौनक नहीं दिखी, जो पिछले साल तक उत्सवों में थी। इसी क्रम में गणेश चतुर्थी भी अब आने वाली है। लेकिन पूरा महाराष्ट्र उसकी तैयारियों की जगह विश्वव्यापी महामारी से उभरने में लगा हुआ है। जिसके कारण गणेशोत्सव से जुड़ी इस बार मुंबई की 87 साल पुरानी परंपरा भी छूट गई। मगर, उसकी जगह मानवता की मिसाल को कायम करने का फैसला लिया गया।
इस बार कोरोना महामारी के कारण मुंबई में मशहूर लालबागचा राजा यानी लालबाग के राजा गणेश भगवान की मूर्ति नहीं बिठाई जाएगी। आज ही इस समारोह के रद्द किए जाने की घोषणा हुई है। फैसला लिया गया है कि इस बार ब्लड डोनेशन और प्लाज्मा डोनेशन के लिए कैंप आयोजित होंगे। इस खबर के आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है। लोग इस फैसले को लेकर अपनी-अपनी राय प्रकट करके समझाने में लगे हुए हैं।
लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडळ
— Lalbaugcha Raja (@LalbaugchaRaja) July 1, 2020
सन २०२० लालबागचा राजाचा गणेशोत्सव साजरा न करता करोनाचा प्रादुर्भाव लक्षात घेता भाविकांसाठी सदर वर्षी लालबागचा राजा ‘आरोग्य उत्सव’ साजरा करणार आहे. @OfficeofUT @CMOMaharashtra @AUThackeray @kishoripednekar @AnilDeshmukhNCP@MumbaiPolice pic.twitter.com/m7W2Nh7Bhs
लेकिन, इसी बीच मीडिया गिरोह के कुछ लोग भी हैं, जो अपनी धूर्तता दिखाने से बाज नहीं आ रहे। इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई को ही देखिए। राजदीप इस खबर को बताते हुए अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करने से नहीं चूकते।
वे लिखते हैं, “इस बार लालबागचा नहीं आएँगे: कोरोना के कारण मुंबई की सालों पुरानी परंपरा भी चली गई। सोचिए भगवान ने भी महामारी के आगे हार मान ली! इस साल लाल बागचा राजा नहीं मनाया जाएगा!”
Breaking now: no Lalbaug cha raja this year: the great Ganesh Chaturthi tradition of Mumbai is gone in corona year! Guess even the Gods have to bow before a pandemic! इस्स साल Lalbaug चा राजा नहीं मनाया जाएगा!
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 1, 2020
जी हाँ। सही पढ़ा आपने, राजदीप ने भगवान गणेश के लिए महामारी के सामने ‘हार मानने’ जैसे शब्द का ही प्रयोग किया है। लेकिन ऐसा करते हुए शायद राजदीप भूल गए कि जिन देवाधिदेव गणपति को लेकर वह अपनी टुच्ची मानसिकता को उजागर कर रहे हैं, उन गणपति के प्रति लोगों के मन में इतनी श्रद्धा है कि मात्र एक साल के गैप के कारण वो आने वाले समय में इस परंपरा को खत्म नहीं होने देंगे।
रही बात घुटने टेक देने की या हार मान जाने की, तो राजदीप को यह जानना आवश्यक है कि हिंदू धर्म में, हर शुभ कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए गणपति का स्मरण किया जाता है और माना जाता है कि उनके ध्यान मात्र से आने वाले विघ्नों का हरण होगा। बावजूद उसके कोई काम किसी कारणवश पूरा न हो पाए, या हमारी गलतियों व परिस्थिति के कारण वह अधूरा रह जाए तो ये भूलकर भी नहीं कहा जाता है कि परेशानी इतनी विकराल थी कि गणपति भी उसमें कारगर साबित नहीं हो पाए।
Why the fcuk are you this happy. And how bad is your understanding of Hinduism that you somehow think Ganesh Chaturthi not being celebrated is somehow a blow and Ganesha bows before the pandemic. @SparesofWar @WirelessEnergy1 @anexcommie
— Dharmic Nationalist 🕉️ 🚩🚩 (@HelloNNewman) July 1, 2020
अपने सेकुलर अजेंडे की रोटियाँ सेंकते-सेंकते शायद राजदीप भूल चुके हैं कि धार्मिक भावनाएँ क्या होती हैं? भगवान के प्रति श्रद्धा किसे कहते हैं? उन्हें तो किसी कार्यक्रम के रद्द होने के पीछे सिर्फ़ एक नजरिया दिखता है, जिसमें वो किसी भी प्रकार से हिंदुओं की भावना को ठेस पहुँचाना चाहते हैं। या फिर गणपति भगवान को किसी सरकारी तंत्र या विपक्षी पार्टी की तरह मानते हैं, जिनके घुटने टेकने से राजदीप जैसों में खुशी की लहर दौड़ती है।
खैर! सोशल मीडिया पर राजदीप सरदेसाई के इस घटिया कॉमेंट के लिए उन्हें खूब लताड़ लगाई जा रही है। पुलिस अधिकारी प्रणव महाजन राजदीप को जवाब देते हुए कहते हैं कि सर्वशक्तिमान कभी घुटने नहीं टेकते। बल्कि वे तो खुश हैं कि उनके भक्त ये जानते हैं कि इस चुनौती का समाधान कैसे करना है।
The Supreme Power never bows.
— Pranav Mahajan (@pranavmahajan) July 1, 2020
Rather GOD is happy that HIS believers are the real intellectuals who know how to respond to a challenge.
गौरतलब हो कि इस वर्ष लालाबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल ने इस बड़े समारोह का आयोजन करने की जगह ‘आरोग्य उत्सव’ मनाने का ऐलान किया है। इस आयोजन के तहत वह ब्लड व प्लाज्मा डोनेशन कैंप लगाने जा रहे हैं। ताकि कोरोना महामारी के कारण उपजे हालातों से लड़ने में जरूरतमंदों की मदद हो सके।
लालबाग मंडल के सचिव सुधीर साल्वी ने कहा, “हमने इस साल गणेश उत्सव नहीं मनाने का फैसला किया है। हम इसे हेल्थ फेस्टिवल की तरह मनाएँगे। यह फैसला महामारी के चलते लिया गया है। त्योहार के उन 10 दिनों में हम ब्लड डोनेशन कैंप लगाएँगे, वहीं प्लाज़्मा डोनेशन के लिए लोगों को बढ़ावा देने के लिए जागरूक करेंगे। हम महामारी के चलते अपनी जान देने वाले पुलिसकर्मी और जवानों के परिवारों की भी मदद करेंगे। हम महामारी के लिए मुख्यमंत्री कोष में भी 25 लाख की रकम जमा कर रहे हैं।”
वहीं अधिकांश गणेश मंडल की ओर से भी इस बार तड़कता-भड़कता आयोजन न करने का ऐलान किया गया है। लेकिन बावजूद इन सभी मतों व प्रस्ताव के, राजदीप का इस पक्ष को एकदम नकारना और केवल भगवान का नाम लेकर लोगों को बरगलाने की कोशिश करना, यह बताता है कि उनकी चिंता इस बार लालबागचा का न आना या फिर मुंबई की सालों पुरानी परंपरा को छूटना नहीं है। बल्कि उनका एजेंडा तो यह है कि किस प्रकार से वामपंथी प्रोपेगेंडे को महामारी के समय में हवा देकर हिंदू आस्था को आहत किया जाए।
बता दें कि राजदीप सरदेसाई की इस टिप्पणी ने इस बार शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी तक को आहत कर दिया। जिसके कारण प्रियंका ने राजदीप को आड़े हाथों लेते हुए समझाया- लालबागचा ने महामारी के आगे घुटने नहीं टेके। बल्कि समाज को मार्ग दर्शाया है कि कैसे प्लाज्मा डोनेशन कैंप को आयोजित करके महामारी से लड़ा जा सकता है। प्रियंका चतुर्वेदी लिखती हैं कि राजा और त्यौहार पर आधी जानकारी से भरा ट्वीट उसे भयानक बनाता है।
Lalbaughcha Raja is not bowing before the pandemic but showing the way to society on how to contribute to fighting this crisis by organising plasma donation camps.
— Priyanka Chaturvedi (@priyankac19) July 1, 2020
Half information of both- the Raja and the festival makes for a terrible tweet Rajdeep. Shubh Savera. https://t.co/fFCZXE6qZB