रवीश कुमार ने इस बार मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू यादव का गुणगान किया है, जो फ़िलहाल राँची जेल में बंद है। सरकार की पहल के बाद भारतीय रेलवे ने मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजने का निर्णय लिया है, जिसके लिए उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा। रवीश ने झूठा दावा किया कि मजदूरों से किराया लिया जा रहा है जबकि कोसी बाढ़ के समय लालू ने मुफ्त में ट्रेनें चलवाई थी।
रवीश ने लिखा कि लालू प्रसाद ने टीवी के एक शो से मिला एक करोड़ रुपया बाढ़ पीड़ितों के लिए दान कर दिया था, जिसे उस समय की ख़बरों में प्राथमिकता दी गई जबकि तब अगर मोदी सरकार होती तो ख़बर लिखने वाला इसी बात से शुरू करता कि सरकार मुफ्त में लोगों को घर पहुँचाएगी। बकौल रवीश, गृह मंत्रालय ने जिस नोटिफिकेशन में ऐलान किया था कि श्रमिक स्पेशल चलेगी, उसमें लिखा था कि रेलवे पैसा लेगी। रेलवे गाइडलाइन तय करेगी कि टिकटों की बिक्री कैसे होगी।
यहाँ रवीश कुमार ने यह नहीं बताया कि रेलवे रुपए तो लेगी लेकिन किससे? मजदूरों से नहीं। सम्बंधित राज्य सरकारें अपने-अपने नागरिकों को घर लाने का पूरा किराया वहन करेगी। रवीश कुमार ने फेसबुक पर लिखे इस लेख में ज़रूर इस बात का जिक्र किया है कि रेलवे के प्रवक्ता के अनुसार किराया मजदूरों को नहीं, राज्य सरकारों को देना होगा। लेकिन, इसके बावजूद उन्होंने ‘द हिन्दू’ की वो ख़बर शेयर की है, जिसमें सही सूचना नहीं है।
इस ख़बर में ‘द हिन्दू’ ने लोगों के बीच भ्रम का माहौल बनाते हुए फेक न्यूज़ शेयर किया कि मजदूरों को अपने गृह राज्य जाने के लिए 50 रुपए अतिरिक्त किराया देना होगा। सोशल मीडिया पर रोहिणी सिंह जैसे पत्रकारों और सीताराम येचुरी जैसे नेताओं ने धड़ल्ले से इस ख़बर को शेयर कर के मोदी सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया। असल में इन स्पेशल ट्रेनों के लिए आम लोगों द्वारा टिकट ख़रीदने का कोई प्रावधान ही नहीं है।
अगर राज्य सरकारें यात्रियों से रुपए वसूलती है तो इसमें मोदी सरकार का क्या दोष? ये एक अलग मुद्दा हो सकता है, अगर ऐसी स्थिति आती है तो। लेकिन, मोदी सरकार और रेलवे को बदनाम करने के लिए सब कुछ जानते हुए भी रवीश ने लिख दिया कि मज़दूर यात्रियों से किराया और 50 रुपए अतिरिक्त लिए जाएँगे। उन्होंने ‘आईटी सेल’ की रट लगाते हुए लिखा:
“आईटी सेल ही एकमात्र राजनीतिक जमात है, जो जनमत बनाता है। आप सभी आईटी सेल के लोगों से गुज़ारिश करें कि आईटी सेल मज़दूरों के हित के लिए लड़े। या फिर लालू प्रसाद के खिलाफ ट्रेंड कराए कि उन्होंने बिहार के बाढ़ पीड़ितों के लिए मुफ्त में ट्रेन चला कर रेलवे का नुकसान कर दिया। पीयूष गोयल के पक्ष में ट्रेंड कराए कि वे आर्थिक रूप से टूट चुके मज़दूरों से किराया लेकर रेलवे का फायदा कराया है। गोयल की मानवता लालू प्रसाद की मानवता से महान है।”
रवीश कुमार ने आईटी सेल की रट लगाते हुए ख़ुद एक सजायाफ्ता घोटालेबाज का महिमामंडन किया और रेलवे के स्पष्टीकरण का जिक्र करते हुए भी उसको नज़रंदाज़ किया। गृह मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि ट्रेनों में सोशल डिस्टेन्सिंग से लेकर सभी नियम का पालन कराया जाएगा और 50% क्षमता ही भरी जाएगी। लेकिन क्या रवीश छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल पूछेंगे, जिन्होंने कहा है कि मजदूरों का किराया राज्य सरकारों से लेना हास्यास्पद है?
शायद नहीं, क्योंकि बघेल कॉन्ग्रेस नेता हैं। सच्चाई ये है कि रेलवे ने मजदूरों और अन्य यात्रियों के लिए कम्प्लीमेंटरी मील और पीने का पानी की भी व्यवस्था की है, ख़ासकर लम्बी दूरी वाले ट्रेनों में। अलग-अलग प्रदेशों ने अपने नोडल अधिकारी तैनात किए हैं। राज्य ही अपने नागरिकों को रेलवे के पास लेकर जाएँगे, जिसके बाद उनकी यात्रा सुनिश्चित की जाएगी। रवीश कुमार ने एक बार फिर से ग़लत ख़बर फैलाई, जो उनकी आदत बन चुकी है।