Friday, November 15, 2024
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सुप्रीम कोर्ट से अर्नब गोस्वामी को राहत, तीन सप्ताह तक नहीं होगी कार्रवाई, ले सकते हैं बेल

अर्नब गोस्वामी ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भाषण की अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का एक प्रयास किया गया है। इस याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने सुनवाई की।

सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर 3 सप्ताह के लिए रोक लगा दी है। इस दौरान वे अग्रिम जमानत भी माँग सकते हैं। अपने खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर को लेकर अर्नब ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने और साम्प्रदायिकता फैलाने के आरोप में सौ से अधिक FIR अर्नब के खिलाफ दर्ज कराया गया था ।

कोर्ट में अर्नब गोस्वामी की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और एडवोकेट सिद्धार्थ भटनागर ने पक्ष रखा, तो महाराष्ट्र राज्य की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने। इसके अलावा राजस्थान राज्य के लिए मनीष सिंघवी और छत्तीसगढ़ के लिए विवेक तन्खा ने पक्ष रखा।

अर्नब गोस्वामी ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भाषण की अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का एक प्रयास किया गया है। इस याचिका पर शुक्रवार (अप्रैल 24, 2020) को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने सुनवाई की।

बता दें कि एक शो के दौरान अर्नब गोस्वामी की टिप्पणी से बौखलाए कॉन्ग्रेसियों ने अर्नब के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट में बताई गई कि छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में ही 101 FIR दर्ज कराई गई है। इसके अलावा अर्नब गोस्वामी के खिलाफ पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड के अलग-अलग थानों में एक दर्जन से अधिक FIR कॉन्ग्रेस नेताओं के द्वारा दर्ज कराई गईं थी। नागपुर में दंगे भड़काने के आरोप में अर्नब के खिलाफ आईपीसी की धारा 153, 153A, 153B, 295A, 208, 500, 504, 505(2), 506, 120B और 117 में केस दर्ज किया गया।

कॉन्ग्रेसियों ने अर्नब गाेस्वामी पर आराेप लगाया था कि महाराष्ट्र के पालघर जिले में दाे साधुओं समेत तीन की लिचिंग मामले में उन्होंने अपने टीवी चैनल के कार्यक्रम में देश के लोगों को गुमराह किया। धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, निवास भाषा के आधार पर नफरत फैलाने की काेशिश की है।

दो कॉन्ग्रेसियों ने किया था अर्नब पर हमला

गौरतलब है कि 22-23 अप्रैल की रात एडिट कॉल निपटा कर लौटते हुए अर्नब गोस्वामी और उनकी पत्नी पर कॉन्ग्रेस के दो मोटरसाइकिल सवार गुंडों ने हमला किया था। रिपब्लिक टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी ने खुद इस हमले की जानकारी देते हुए बताया कि उनकी कार के आगे अपनी मोटरसाइकिल खड़ी कर दी और फिर हमला किया।

अर्नब ने कहा कि उनके सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि दोनों हमलावर युवा कॉन्ग्रेस के सदस्य थे और वो उन्हें सबक सिखाने आए थे। रिपब्लिक भारत के ही स्तम्भकार अजित दत्ता (Ajit Datta) ने एक ट्वीट के जरिए दावा किया था कि हमलावरों के पास स्पेशल लॉकडाउन पास थे। इसी लॉकडाउन पास के नाम पर हमलावरों ने बाहर निकलकर अर्नब और उनकी पत्नी पर हमला किया।

क्या है मामला?

दरअसल पिछले दिनों महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं सहित तीन लोगों की भीड़ ने निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी। लेकिन कॉन्ग्रेस चुप रही। राज्य सरकार में वह शिवसेना के साथ सत्ता में साझीदार है। इस मॉब लिंंचिंग पर चुप्पी को लेकर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गॉंधी को घेरते हुए ‘रिपब्लिक टीवी’ के संस्थापक अर्नब गोस्वामी ने तीखे सवाल पूछे थे।

अर्नब ने कहा था कि इस मामले में मीडिया का रवैया काफ़ी पक्षतापूर्ण है। कोरोना वायरस पर तो सभी न्यूज़ चैनल कार्यक्रम कर रहे हैं। लेकिन साधुओं की मॉब लिंचिंग पर सारे के सारे मौन धारण किए हुए हैं। इस दौरान उन्होंने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी पर भी निशाना साधा था और उनसे सवाल पूछे।

क्या कहा था अर्नब गोस्वामी ने?

मॉब लिंचिंग पर सोनिया गॉंधी की चुप्पी को लेकर अर्नब ने कहा था, “सोनिया गाँधी तो खुश हैं। वो इटली में रिपोर्ट भेजेंगी कि देखो, जहाँ पर मैंने सरकार बनाई है, वहाँ पर हिन्दू संतों को मरवा रही हूँ। वहाँ से उन्हें वाहवाही मिलेगी। लोग कहेंगे कि वाह, सोनिया गाँधी ने अच्छा किया। इनलोगों को शर्म आनी चाहिए। क्या उन्हें लगता है कि हिन्दू चुप रहेंगे? आज प्रमोद कृष्णन को बता दिया जाना चाहिए कि क्या हिन्दू चुप रहेंगे? पूरा भारत भी यही पूछ रहा है। बोलने का समय आ गया है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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