इंडिया टुडे ने एक बार फिर दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को मानसिक तौर पर अस्वस्थ दिखाने की कोशिश की है। उसने सुशांत के कथित मनोवैज्ञानिक सुसैन वॉकर (Susan Walker) के उन बयानों की रिपोर्ट सार्वजनिक की है, जो वॉकर ने मुंबई पुलिस को दिए थे। उन्होंने तीन मनोचिकित्सकों और एक मनोवैज्ञानिक के बयान दर्ज किए हैं, जो कथित तौर पर सुशांत का इलाज कर रहे थे।
‘इंडिया टुडे’ की रिपोर्ट के अनुसार, सुशांत सिंह राजपूत को ‘बायपोलर डिसऑर्डर’ था, और उनकी हालत अक्टूबर और नवंबर 2019 में बिगड़ गई थी। कथित तौर पर, वॉकर ने कहा कि रिया ने बताया कि सुशांत के विचार आत्मघाती हैं। वह नवंबर 2019 में पहली बार सुशांत से मिलीं। हालाँकि पहली अपॉइंटमेंट रद्द कर दी गई थी। जब वॉकर को सुशांत की स्थिति के बारे में पता चला, तो उन्होंने रिया को तुरंत सलाह दी।
सुशांत से बात करने के बाद, उसने निष्कर्ष निकाला कि उन्हें गंभीर बेचैनी (एंग्जाइटी) होती है। यहाँ तक कि दवाइयाँ भी काम नहीं कर रही थीं। उन्होंने आगे कहा कि जब वह युवा थे, तब ‘अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर’ (एडीएचडी) के लिए दवा लेते थे।
उन्होंने जिक्र किया है कि दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की माँ की भी घबराहट और बेचैनी के कारण ही मृत्यु हुई थी। वॉकर ने कहा कि उसे यकीन है कि सुशांत बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित थे। उन्होंने सुझाव दिया था कि उन्हें इसके इलाज के के लिए डॉ. परवीन दादाचंजी से मिलना चाहिए।
अपने बयान में, उन्होंने कहा कि सुशांत बिना किसी कारण के रोते थे। वह मूडी प्रवृति के थे और अक्सर ड्राइविंग के दौरान ओवर स्पीडिंग करते थे। जब वो अपनी इस बीमारी के चरम पर थे, तब वह लगातार 4-5 दिनों तक सो नहीं पा रहे थे। जून 07, 2020 को, रिया चक्रवर्ती के सुशांत के जाने से एक दिन पहले, उसने डॉ. वॉकर को फोन किया और राजपूत के बिगड़ते स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी। उसने उन्हें 8 जून का समय दिया, लेकिन रिया ने बाद में अपॉइंटमेंट रद्द कर दिया।
बयान और रिपोर्ट के साथ समस्याएँ
‘मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017’ के अनुसार, असाधारण परिस्थितियों में, जैसे कि जीवन या मृत्यु, या न्यायालय के आदेशों के सम्बन्ध में, किसी व्यक्ति की बीमारी के विवरण को बिना पूर्व अनुमति के इस्तेमाल करना या प्रकाशित करना गैरकानूनी है। समाचार एजेंसी द्वारा प्राप्त बयान को ‘इंडिया टुडे’ द्वारा प्रकाशित किया जाना अनैतिक और गैरकानूनी था।
सुसैन वॉकर एक क़्वालिफ़ाइड मनोचिकित्सक नहीं, बल्कि एक कंसल्टिंग मनोवैज्ञानिक है। उन्हें पेशेवर और कानूनी रूप से एक संभावित मानसिक विकार वाले रोगियों का इलाज करने की अनुमति नहीं है। वह दवाओं को बदलने, या जाँच के बारे में जानकारी नहीं दे सकती हैं। उन्होंने सुशांत को एक क्लिनिकल चेकअप के लिए जाने के लिए कहा, जो वह नहीं कर सकती। रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि क्या वह सुशांत की दवाओं या मनोचिकित्सक को बदलने वाली थी?
अपने बयान में, उन्होंने कहा, “मुझे लगा कि जब से सुशांत सिंह ने दवाइयाँ लेनी बंद कर दी है, तब से बायपोलर डिसऑर्डर व्यापक स्तर तक बढ़ गया था और हो सकता है कि उन्हें बीमारी से छुटकारा मिल गया हो, क्योंकि दवाइयाँ नहीं लेने से यह बीमारी हर बार बढ़ती रहती है। मेरे अनुभव के अनुसार यह और भी गंभीर हो जाता है।”
उन्होंने बार-बार सुशांत को बताया कि उसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन बायपोलर डिसऑर्डर का कोई इलाज नहीं है, और मरीज को जीवन भर इस बीमारी के नियमित इलाज से गुजरना पड़ता है। रोग का कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षण, उचित दवा और जीवनशैली में परिवर्तन के साथ इसका इलाज किया जा सकता है, जैसा कि डॉक्टर द्वारा राय दी गई है।
इंडिया टुडे ने भी सुसैन वॉकर के हवाले से कहा कि रिया चक्रवर्ती ने उन्हें बताया था कि सुशांत को आत्मघाती विचार आते हैं। ऐसे समय में, जब रिया सुशांत की मौत के मामले में जाँच का सामना कर रही है और उनकी भूमिका पर सवाल उठाया गया है, इंडिया टुडे रिया चक्रवर्ती के दावों के आधार पर फिर से यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि सुशांत मानसिक रूप से अस्वस्थ थे। हाल ही में रिया चक्रवर्ती को राजदीप सरदेसाई के साथ दिए गए कुख्यात इंटरव्यू में कई मुद्दों पर झूठ बोलते हुए पाया गया है, और इसलिए उनके दावे वर्तमान में विश्वसनीय नहीं हैं।
गौरतलब है कि इस इंटरव्यू में भी राजदीप सरदेसाई ने सुशांत सिंह की कथित मानसिक बीमारी पर ज़ोर दिया था। उन्होंने इसे इस तरह पेश किया जैसे मानसिक बीमारी का आरोप वास्तविक तथ्य हो। जबकि सुशांत सिंह का परिवार इस मुद्दे पर अपना पक्ष पहले ही रखा चुका है। उन्होंने कहा था कि पहले कभी सुशांत सिंह को इस तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई थी। न ही किसी विशेषज्ञ ने उनके संबंध में ऐसा कुछ कहा था। सुशांत पर मानसिक रूप से बीमार होने का आरोप अभी तक सिर्फ और सिर्फ रिया चक्रवर्ती ने लगाया है, जिन पर खुद इस मामले के संबंध में जाँच चल रही है। इसके अलावा वॉकर का ऐसा दावा है, जिनके पास ऐसे मामलों को देखने के लिए उचित योग्यता तक नहीं है।