Tuesday, March 19, 2024
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द प्रिंट की ‘ज्योति’ में केमिकल लोचा ही नहीं, हिसाब-किताब में भी कमजोर: अल्पज्ञान पर पहले भी करा चुकी हैं फजीहत

1 मिलियन का अर्थ होता है 10 लाख और 85,000 उससे काफी कम संख्या है। उन्होंने 1 मिलियन को उस संख्या से नजदीक बता दिया था, जिससे वो पौने 12 गुना ज्यादा है। शमिका भी ये बात सुन कर कुछ देर शॉक्ड हो गई थी।

प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘द प्रिंट’ की पत्रकार ज्योति मल्होत्रा अपने अजीबोगरीब बयानों के कारण चर्चा में हैं। पहले तो उन्होंने कोरोना के दौरान ली जाने वाली दवा रेमेडिसविर (Remdesivir) को लेकर इस बात से आपत्ति जताई कि वो ‘केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स’ मंत्रालय के अंतर्गत आता है। अब सोशल मीडिया पर उन्हें एक और कन्फ्यूजन के लिए ट्रोल किया गया है। उन्हें समझाया गया कि केमिकल विभाग, स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत नहीं आता है।

जिस कन्वर्सेशन के कारण ज्योति मल्होत्रा चर्चा में हैं, वो ट्विटर पर पायल मेहता के साथ हुई। पायल ने PIB का महत्वपूर्ण अपडेट शेयर किया, जिसमें लिखा था कि भारत सरकार के पत्तन, पोत और जलमार्ग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने रेमेडिसविर दवा के सभी मौजूदा विनिर्माताओं और अन्य हितधारकों के साथ बैठक के बाद केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर के उत्पादन को बढ़ाने का फैसला लिया है।

रेमेडिसविर के सात विनिर्माताओं की मौजूदा कुल स्थापित क्षमता 38.80 लाख शीशी प्रतिमाह है। छह विनिर्माताओं को 10 लाख शीशी प्रतिमाह की उत्पादन क्षमता वाले सात अतिरिक्त स्थलों के लिए फास्ट ट्रैक अनुमति दी गई है। वहीं अन्य 30 लाख शीशी प्रतिमाह उत्पादन प्रक्रिया में है। इससे विनिर्माण क्षमता में लगभग 78 लाख शीशी प्रतिमाह बढ़ोतरी हो जाएगी। निर्यात के लिए रखी गई रेमेडिसविर की 4 लाख शीशी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए विनिर्माताओं को दी गईं।

इस पर ज्योति मल्होत्रा पूछने लगीं कि एंटी-कोविड ड्रग रेमडेसिविर के एक्सपोर्ट को प्रतिबंधित करने के फैसले से शिपिंग मंत्री का क्या लेना-देना है? साथ ही उन्होंने पूछा कि स्वास्थ्य मंत्री कहाँ हैं? इस पर पायल ने उन्हें बताया कि मंडाविया ‘केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स’ मंत्री भी हैं। यही विभाग ही है। फिर ज्योति ने लिखा कि क्या रेमडेसिविर केमिकल या फर्टिलाइजर है, कोई इससे अच्छा तर्क होना चाहिए।

पायल ने उन्हें समझाया, “चूँकि ये एक दवा है, इसलिए फार्मासिटिकल्स विभाग के अंतर्गत आता है। ये विभाग केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स मंत्रालय के तहत आता है।” साथ ही उन्होंने समझाने के लिए सरकारी वेबसाइट का लिंक भी शेयर किया। फिर ज्योति ने उन्हें समझाने के लिए धन्यवाद देते हुए लिखा कि वो जीवन जीती हैं और सीखते जाती हैं। लेकिन, तब तक उनकी किरकिरी हो चुकी थी और लोगों को उनके अल्पज्ञान का थाह लग चुका था।

2020 में अप्रैल माह में ही मल्होत्रा ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति की पूर्व सदस्य शमिका रवि के साथ बातचीत की थी। इसमें कोरोना को लेकर हालिया स्थिति और इससे निपटने के लिए लगे लॉकडाउन पर चर्चा की गई थी। उस बातचीत में अन्य देशों में कोरोना से निपटने की नीतियों पर भी बात हुई थी। अब लोगों ने मल्होत्रा को याद दिलाया है कि कैसे वह मिलियन में जीरो की संख्या को लेकर कन्फ्यूज्ड हो गई थीं।

शमिका ने कहा था कि नीतियों को तैयार करने वाला माहौल स्थिर नहीं है। उन्होंने बताया था कि कैसे हर देश इस महामारी से अलग-अलग तरीके से निपट रहा था। उन्होंने उदाहरण दिया था कि जिस चीन में एक मिलियन मरीजों की संख्या का अंदाज़ा लगाया गया था, वहाँ सिर्फ 85,000 ही मिले। इस पर मल्होत्रा ने कहा था, “लेकिन ये मिलियन से ज्यादा दूर नहीं है।” अब आप उनके गणित ज्ञान का अंदाज़ा लगा लीजिए।

1 मिलियन का अर्थ होता है 10 लाख और 85,000 उससे काफी कम संख्या है। उन्होंने 1 मिलियन को उस संख्या से नजदीक बता दिया था, जिससे वो पौने 12 गुना ज्यादा है। शमिका भी ये बात सुन कर कुछ देर शॉक्ड हो गई थी। अव्वल तो ये हुआ कि ‘द प्रिंट’ ने इस मामले में हास्यास्पद स्पष्टीकरण जारी किया।

इसमें कहा गया कि ज्योति मल्होत्रा का मतलब 8,50,000 से था, न कि 85,000 से, इसीलिए उन्होंने इसे 1 मिलियन के करीब बताया। बता दें कि अब भी चीन में कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,03,000 है, जो 1 मिलियन से लगभग 10 गुना कम है। फिर इस स्पष्टीकरण का क्या मलतब? इस तरह से ज्योति मल्होत्रा का ‘नॉट टू फार’ 9.15 लाख से पीछे रह गया था। अब उन्होंने रेमडेसिविर पर ज्ञान दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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