दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन मंगलवार (जनवरी 26, 2021) को ‘किसान आंदोलन’ के तहत आयोजित ट्रैक्टर रैली में जम कर हिंसा हुई। जहाँ लगभग 400 पुलिसकर्मी घायल हुए, नवरीत सिंह नामक एक प्रदर्शनकारी की भी मौत हो गई। वीडियो में देखा जा सकता था कि ट्रैक्टर पलटने के हादसे के कारण वो घायल हुआ, जिससे उसकी मौत हुई। लेकिन, ‘The Wire’ और सिद्धार्थ वरदराजन लगातार अफवाह फैलाने में लगे हुए हैं।
अब उत्तर प्रदेश में ‘The Wire’ के मालिक सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ फेक न्यूज़ फैलाने के लिए संज्ञान लिया गया है। उसने मृतक के परिजनों के हवाले से जिस डॉक्टर पर ऑटोप्सी रिपोर्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया है, उसका बयान तक नहीं लिया। साथ ही बड़ी चालाकी से पूरी खबर में सारे आरोप परिजनों के कंधे पर बन्दूक रख कर ही चलाए गए हैं। वरदराजन ने इसे अपने ट्विटर हैंडल से भी शेयर किया। इन मामलों में वरदराजन सहित कइयों के खिलाफ पहले ही एक FIR दर्ज हो चुकी है।
उक्त प्रदर्शनकारी अपने ट्रैक्टर से पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ने का प्रयास कर रहा था। ऐसे ही स्टंट के दौरान ट्रैक्टर पलट गया। ये पूरी वारदात कैमरे में भी कैद हो गई। लेकिन, राजदीप सरदेसाई की अगुआई में मीडिया के एक वर्ग ये अफवाह फैलाने में जुट गया कि उक्त प्रदर्शनकारी को पुलिस ने गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। जबकि वीडियो के अलावा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी इस दावे की पुष्टि नहीं करते।
‘The Wire’ ने नवरीत सिंह के परिजनों और एक तथाकथित प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से दावा किया कि दिल्ली पुलिस झूठ बोल रही है। ऑटोप्सी रिपोर्ट में सामने आया है कि सर में लगी चोट के कारण हुए शॉक और हेमरेज से उसकी मौत हुई। मृतक के दादा के हवाले से प्रोपेगंडा पोर्टल ने छापा है कि ऑटोप्सी करने वाले डॉक्टर ने भी सिर में गोली देखी थी, लेकिन उसने कहा कि उसके हाथ बँधे हुए थे और वो कुछ नहीं कर सकता था।
We ardently request you to please let’s be sticking to facts and facts only. We hope our request will be sincerely taken up by you. Thank you.
— DM Rampur (@DeoRampur) January 30, 2021
Here is the official declaration. pic.twitter.com/2dowcoMriM
इस मामले में यूपी पुलिस का भी बयान प्रकाशित किया गया है, जिसने कहा है कि उन्होंने बस डॉक्टरों की टीम बनाई थी, जब ये मामले दिल्ली पुलिस का है तो भला वो क्यों इससे छेड़छाड़ करवाएँगे? वहीं ‘विशेषज्ञों’ के हवाले से परिवार को अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जाने की सलाह दी गई है, ताकि डॉक्टर से पूछताछ हो सके। नवरीत के शरीर पर कई जगह घाव थे, जो एक हो गोली से कैसे हो सकते हैं?
इसके अलावा, रिपोर्ट में परिवार द्वारा किए गए दावों को दबाने के लिए मृतक का एक वीडियो भी जोड़ा गया। वीडियो का हवाला देते हुए, परिवार ने कहा कि नवरीत के कानों के ऊपर गोली का एक घाव था। लेकिन, रामपुर के जिला अस्पताल में डिप्टी सीएमओ और डॉक्टर मनोज शुक्ला, जिन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की थी, ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं था। शुक्ला ने कहा कि हो सकता है कि उसके कान पर किसी तरह का कोई लगा हो या फिर वामपंथी पोर्टल को कोई गलत डॉक्यूमेंट्स मिल गया हो।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस और अस्पताल के डिप्टी सीएमओ के मना करने के बावजूद द वायर ने अपने शीर्षक में बदलाव न करके भ्रामक शीर्षक को आगे बढ़ाया। हालाँकि, जिला मजिस्ट्रेट रामपुर ने उन तीन डॉक्टरों की एक हस्ताक्षरित डेक्लरेशन को साझा किया जिन्होंने शव परीक्षण किया था और बताया था कि उपरोक्त आरोप झूठे थे।
We ardently request you to please let’s be sticking to facts and facts only. We hope our request will be sincerely taken up by you. Thank you.
— DM Rampur (@DeoRampur) January 30, 2021
Here is the official declaration. pic.twitter.com/2dowcoMriM
हस्ताक्षरित डेक्लरेशन में कहा गया है कि शव परीक्षण में शामिल तीन डॉक्टरों में से किसी ने भी किसी मध्यस्थ या किसी अन्य व्यक्ति से बात नहीं की थी। शव परीक्षण वीडियो-रिकॉर्ड किया गया था और निष्कर्ष अधिकारियों को सीलबंद लिफाफे में दिए गए थे। इसके बाद, द वायर ने उपरोक्त जानकारी को शामिल करने के लिए लेख को अपडेट किया है।
Story has already been updated to include the official declaration by the three doctors. Thank you.
— Siddharth (@svaradarajan) January 30, 2021
घटनास्थल पर ‘Times Now’ के पत्रकार प्रियांक त्रिपाठी भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस तो उक्त प्रदर्शनकारी ‘किसान’ के ट्रैक्टर पलटने के बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल लेकर जाना चाहती थी लेकिन प्रदर्शनकारियों ने ही ऐसे किसी भी प्रयास को नाकाम कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। न वो अस्पताल लेकर गए, न पुलिस को ले जाने दिया। जहाँ एक्सीडेंट के बाद किसान बेहोश पड़ा था, वहाँ अन्य प्रदर्शनकारी लाठी और तलवार लेकर खड़े होकर पुलिस को धमका रहे थे।